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सेबी ने फास्ट ट्रैक फॉलो-ऑन ऑफर का प्रस्ताव रखा

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संदर्भ:

फास्ट ट्रैक फॉलो-ऑन ऑफर: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) और इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) के लिए फास्ट-ट्रैक फॉलो-ऑन ऑफर (FPO) की अनुमति देने वाला एक ढांचा प्रस्तावित किया है। इस पहल का उद्देश्य इन निवेश साधनों के लिए फंड जुटाने की प्रक्रिया को अधिक सुगम और प्रभावी बनाना है।

InvITs और REITs क्या हैं?

  1. इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs)
    • यह एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है, जो छोटे और संस्थागत निवेशकों को इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स (जैसे सड़कें, राजमार्ग) में निवेश करने का अवसर देता है।
    • म्यूचुअल फंड और REITs के समान कार्य करता है, लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए अनुकूलित किया गया है।
    • चूंकि इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में स्थिर आय आने में समय लगता है, इसलिए InvITs लंबी अवधि के निवेश के लिए उपयुक्त हैं।
  2. रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REITs)
    • यह म्यूचुअल फंड के समान है, लेकिन यह रियल एस्टेट में निवेश करता है।
    • REITs में निवेश करने से, निवेशक रियल एस्टेट संपत्तियों से होने वाली आय (किराया, पूंजी वृद्धि) का हिस्सा प्राप्त कर सकते हैं।
    • REITs का मुख्य उद्देश्य छोटे निवेशकों को रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश करने का अवसर देना है, बिना पूरी संपत्ति खरीदने की आवश्यकता के।
    • भारतीय REIT नियमन के अनुसार, REITs का 80% निवेश किराए पर दी गई और पूरी तरह से विकसित व्यावसायिक संपत्तियों में होना चाहिए।
    • अधूरे या निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स में निवेश नहीं किया जा सकता।

SEBI का प्रस्ताव: प्रमुख विशेषताएँ

  1. प्रायोजकों (Sponsors) के लिए लॉकइन प्रावधान
    • 15% इकाइयाँ (Units) जो प्रायोजकों और उनकी समूह कंपनियों को आवंटित की जाती हैं, 3 वर्षों के लिए लॉकइन रहेंगी।
    • शेष इकाइयाँ 1 वर्ष के लिए लॉकइन रहेंगी।
  2. फास्ट ट्रैक फॉलो-ऑन ऑफर (FPO) आवश्यकताएँ

    • सभी सूचीबद्ध स्टॉक एक्सचेंजों में आवेदन अनिवार्य।
    • एक नामित स्टॉक एक्सचेंज समन्वय के लिए चुना जाएगा।
    • न्यूनतम 25% सार्वजनिक इकाइयों का होना आवश्यक।
  3. इकाइयों (Units) की नई जारी करने पर प्रतिबंध: ड्राफ्ट फाइलिंग और अंतिम लिस्टिंग के बीच, कोई नई इकाई जारी नहीं की जाएगी (सार्वजनिक, अधिकार, या वरीयता जारी करने सहित), सिर्फ कर्मचारी लाभ योजनाओं को छोड़कर।
  4. दस्तावेज़ और अनुमोदन
    • ड्राफ्ट FPO दस्तावेज़ मर्चेंट बैंकर द्वारा SEBI को अवलोकन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
    • अंतिम दस्तावेज़ SEBI की टिप्पणियों को शामिल करने के बाद दायर किया जाएगा।
    • मर्चेंट बैंकर को ड्राफ्ट के साथ ड्यू डिलिजेंस सर्टिफिकेट भी जमा करना होगा।

प्रस्ताव का महत्व:

  • तेज़ फंड जुटाने की प्रक्रिया – फास्ट-ट्रैक FPO प्रणाली से पूंजी जुटाने में देरी नहीं होगी।
  • बाज़ार में विश्वास बढ़ेगा – स्पष्ट लॉक-इन नियम और अनुपालन से निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
  • पारदर्शिता में सुधार – बेहतर वित्तीय प्रकटीकरण (Financial Disclosure) से सार्वजनिक निर्गम (Public Issue) मानकों के अनुरूप पारदर्शिता बढ़ेगी।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा – पूंजी प्रवाह सुगम होगा, जिससे इन क्षेत्रों का विकास तेज़ी से होगा।

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