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सेबी ने म्यूचुअल फंडों के सैचेटाइजेशन का प्रस्ताव रखा

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संदर्भ:
म्यूचुअल फंडों के सैचेटाइजेशन का प्रस्ताव: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड निवेशों को छोटे निवेशकों के लिए अधिक सुलभ और किफायती बनाने के लिए “सैचेटाइजेशन” (Sachetisation) की अवधारणा को बढ़ावा देने का प्रस्ताव पेश किया है।

सैचेटाइजेशन क्या है?

  • परिभाषा: सैचेटाइजेशन का मतलब है वित्तीय उत्पादों और सेवाओं को छोटे और अधिक किफायती पैकेजों में उपलब्ध कराना, जिससे इन्हें आसानी से उपयोग और प्रबंधित किया जा सके।

सैचेटाइजेशन

  • वित्तीय क्षेत्र में सैचेटाइजेशन: SEBI ने म्यूचुअल फंड्स के लिए इसी दृष्टिकोण का प्रस्ताव रखा है, जिसमें छोटे-छोटे निवेशों को SIPs (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान्स) के माध्यम से संभव बनाया जाएगा, जैसे कि मासिक ₹250 की न्यूनतम राशि से।
  • उद्देश्य:
    • वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना।
    • निम्न-आय वर्ग के निवेशकों के बीच म्यूचुअल फंड्स में भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
    • अर्थव्यवस्था के उपेक्षित वर्गों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना।
    • फंड हाउसों को ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए प्रेरित करना।

SEBI का सैचेटाइजेशन प्रस्ताव

  1. प्रस्ताव का विवरण: SEBI ने ₹250 की छोटी राशि वाले SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के रूप में सैचेटाइज्ड म्यूचुअल फंड उत्पाद लॉन्च करने का सुझाव दिया है।
  2. पात्रता मानदंड:
    • केवल नए निवेशकों के लिए उपलब्ध।
    • निवेशक विभिन्न एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) में अधिकतम 3 छोटे SIP शुरू कर सकते हैं।
  3. फीस और प्रोत्साहन: इंटरमीडियरीज द्वारा रियायती फीस और प्रोत्साहन प्रदान किए जाएंगे।
  4. भुगतान का तरीका: भुगतान केवल ऑटो-पे मोड (NACH और UPI) के माध्यम से किया जाएगा।
  5. सब्सिडी: AMCs द्वारा वहन की जाने वाली लागत को SEBI के निवेशक शिक्षा और जागरूकता कोष (Investor Education and Awareness Fund) के माध्यम से सब्सिडी दी जाएगी।
  6. प्रोत्साहन: नए निवेशकों के लिए 24 SIP किस्तें पूरी करने पर डिस्ट्रीब्यूटर्स और प्लेटफॉर्म्स को ₹500 का प्रोत्साहन दिया जाएगा, जिससे आउटरीच प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा।
  7. अपवाद योजनाएँ: डेब्ट स्कीम, सेक्टोरल, थीमैटिक, स्मॉल-कैप और मिड-कैप इक्विटी फंड्स (उनकी अस्थिरता के कारण) इसमें शामिल नहीं होंगे।
  8. प्रतिबद्धता अवधि: निवेशकों को 5 वर्षों (60 किस्तों) के लिए प्रतिबद्ध होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, लेकिन पूर्व-परिपक्व निकासी की अनुमति होगी।

सैचेटाइजेशन के महत्व

  1. सस्ते वित्तीय उत्पाद: छोटे-छोटे निवेश (सैचेट) से म्यूचुअल फंड कम आय वर्ग के लोगों के लिए अधिक सुलभ और किफायती बनेंगे।
  2. वित्तीय सशक्तिकरण: निवेश की न्यूनतम सीमा कम होने से कम आय वर्ग और underserved समुदाय वित्तीय बाजारों में भाग ले सकेंगे।
  3. दूरदराज़ क्षेत्रों तक पहुंच: म्यूचुअल फंड कंपनियां इस योजना के माध्यम से ग्रामीण और कम आय वाले क्षेत्रों में अपनी सेवाएं पहुंचाने की दिशा में काम करेंगी। इससे बचत और निवेश की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा।
  4. वित्तीय समावेशन: मुख्य उद्देश्य समाज के उन वर्गों को वित्तीय सेवाओं से जोड़ना है, जिनके पास पारंपरिक निवेश उत्पादों तक पहुंच नहीं है। छोटे और नियमित निवेश विकल्प से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया जाएगा।

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