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भारत में द्वितीय ब्लू वार्ता का आयोजन (Second Blue Talks Held in India) | UPSC Preparation

Second Blue Talks Held in India

 

सामान्य अध्ययन पेपर III: पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, जल संसाधन

 

चर्चा में क्यों? 

भारत ने 20 मई 2025 को नई दिल्ली में फ्रांस और कोस्टा रिका के सहयोग से दूसरी ब्लू वार्ता आयोजित की। इस बैठक का उद्देश्य था महासागर संरक्षण में वैश्विक एकता को बढ़ावा देना और एक समन्वित दृष्टिकोण विकसित करना।

भारत में आयोजित द्वितीय ब्लू वार्ता के मुख्य बिंदु (Second Blue Talks Held in India)
    • आयोजनकर्ता
      • भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने 20 मई 2025 को नई दिल्ली में दूसरी ब्लू टॉक्स का आयोजन किया। 
      • यह सम्मेलन फ्रांस और कोस्टा रिका के सहयोग से आयोजित किया गया।
  • प्रमुख व्यक्तित्व:
      • दूसरी ब्लू टॉक्स की अध्यक्षता डॉ. एम. रविचंद्रन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने की। 
      • भारत में कोस्टा रिका के राजदूत नेस्टर बाल्टोडानो वर्गास और फ्रांस के उप मिशन प्रमुख डेमियन सैयद सह-अध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे। 
      • इस मंच पर वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, उद्योग जगत, शिक्षाविदों, नागरिक समाज और अंतरराष्ट्रीय हितधारकों ने भाग लिया।
  • श्वेत पत्र:
      • इस आयोजन में एक विशेष श्वेत पत्र (White Paper) जारी किया गया जिसका शीर्षक था – “Transforming India’s Blue Economy: Investment, Innovation and Sustainable Growth”। 
      • इस दस्तावेज़ में भारत के ब्लू इकोनॉमी को टिकाऊ और समावेशी बनाने के लिए निवेश, नवाचार और नीति समन्वय पर बल दिया गया। 
      • इस प्रयास में देश के 25 केंद्रीय मंत्रालयों, तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की भागीदारी दर्शाई गई है।
  • केंद्रीय विषय:
    • समुद्री और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण, प्रबंधन और पुनर्स्थापन: इसमें समुद्री जैव विविधता को सुरक्षित रखने और क्षतिग्रस्त तटीय क्षेत्रों की बहाली पर विशेष बल दिया गया।
    • महासागर विज्ञान, शिक्षा और तकनीकी सहयोग: प्रतिभागियों ने इस बात पर बल दिया कि उन्नत तकनीकों और अनुसंधान के माध्यम से महासागरीय स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।
    • भूमि-आधारित समुद्री प्रदूषण में कमी: समुद्र में पहुंचने वाले कचरे, रसायनों और अपशिष्ट को रोकने के लिए समन्वित नीति और जागरूकता की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
    • जलवायु, महासागर और जैव विविधता के अंतर्संबंध: इन तीनों के पारस्परिक प्रभाव को समझकर नीति निर्माण की दिशा तय करने पर बल दिया गया।
  • अतिरिक्त:
    • यह आयोजन 9-13 जून 2025 को फ्रांस के नीस (Nice) शहर में होने वाले तीसरे संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (UNOC3) की तैयारी का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव था।
    • यह सम्मेलन भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान “Chennai High-Level Principles” की निरंतरता को दर्शाता है।
    • सम्मेलन में समुद्री कृषि (Seaweed Farming), स्मार्ट पोर्ट्स और पर्यावरण अनुकूल जहाज पुनर्चक्रण जैसे नवाचारों को भी सराहा गया।

ब्लू वार्ता (Blue Talks) क्या हैं?

  • परिचय:
    • ब्लू वार्ता एक ऐसा बहुपक्षीय संवाद मंच है जो विभिन्न देशों की सरकारों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों को एक साथ लाता है, ताकि महासागर संसाधनों के सतत् उपयोग और संरक्षण के लिए वैश्विक सहमति विकसित की जा सके। 
    • यह मंच न केवल समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संकटों पर ध्यान केंद्रित करता है।
      • इससे पहले नई दिल्ली में फरवरी 2024 में प्रथम ब्लू वार्ता की मेजबानी की गई थी।
  • उद्देश्य:
    • समुद्री संरक्षण हेतु वैश्विक सहयोग: ब्लू वार्ता का प्रमुख उद्देश्य है वैश्विक स्तर पर समुद्री संरक्षण के लिए संवाद और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देना। इसमें भाग लेने वाले देश, वैज्ञानिक और अन्य हितधारक समुद्री जैवविविधता, प्रदूषण, पारिस्थितिकीय क्षरण और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर संयुक्त रणनीति पर विचार करते हैं। 
    • SDG 14 की दिशा में ठोस पहल: ब्लू वार्ता का मूल केंद्र संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 14 (SDG 14) – “जल के भीतर जीवन” की प्राप्ति है। यह मंच समुद्री पारिस्थितिकी के संरक्षण, प्रदूषण में कमी, मछली संसाधनों के टिकाऊ दोहन और महासागर स्वास्थ्य के लिए व्यावहारिक रणनीतियाँ विकसित करने पर बल देता है। 
    • वैज्ञानिक नवाचार: ब्लू वार्ता एक ऐसा मंच भी है जहां समुद्री विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा दिया जाता है। समुद्री जलवायु डाटा संग्रहण, गहराई मापन, समुद्र तल मानचित्रण, और समुद्री जैव संसाधनों की खोज जैसे क्षेत्रों में साझेदार देश मिलकर शोध करते हैं। 
    • ब्लू इकोनॉमी: ब्लू वार्ता का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह महासागर आधारित अर्थव्यवस्था (Blue Economy) को सतत् और समावेशी विकास के रूप में देखने की दृष्टि को बढ़ावा देती है। समुद्र से जुड़ी गतिविधियाँ जैसे मत्स्य पालन, समुद्री परिवहन, अपतटीय ऊर्जा, और तटीय पर्यटन – इन सभी को पर्यावरण के अनुकूल और दीर्घकालिक रूप में ढालने पर बल दिया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (United Nations Ocean Conference) का परिचय 

    • परिचय
      • संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (United Nations Ocean Conference) वैश्विक समुद्री पारिस्थितिकी के संरक्षण हेतु एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंच है, जो समुद्रों से संबंधित जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए वैज्ञानिक, तकनीकी और नीति-आधारित समाधान प्रस्तुत करता है। 
        • महासागर न केवल अद्वितीय जैवविविधता का केंद्र हैं, ये पृथ्वी के सबसे बड़े कार्बन सिंक हैं, जो जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
        • इस सम्मेलन में विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाकर प्लास्टिक प्रदूषण, समुद्री कचरा, जलवायु परिवर्तन, शिपिंग के पर्यावरणीय प्रभाव और समुद्री नियोजन जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाती है। 
      • उद्देश्य:
        • इस सम्मेलन का उद्देश्य महासागरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है और उनके सतत उपयोग के लिए वैश्विक स्तर पर साझा रणनीति विकसित करना है।
        • इस सम्मेलन का मूल उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 14 को प्रभावी रूप से लागू करना हैं। 
        • इसका लक्ष्य है एक ऐसा भविष्य बनाना, जिसमें स्वस्थ महासागर आर्थिक अवसर प्रदान करें, स्वच्छ हवा और पानी सुनिश्चित करें, तथा वैश्विक समुदायों की सहनीयता (resilience) को सुदृढ़ करें।
  • गत सम्मेलन
      • पहला महासागर सम्मेलन जून 2017 में न्यूयॉर्क में आयोजित हुआ था, जिसकी सह-मेजबानी फिजी और स्वीडन ने की थी। 
        • इस सम्मेलन ने महासागरों के स्वास्थ्य में गिरावट को रोकने के लिए व्यावहारिक समाधान तलाशने की दिशा में वैश्विक प्रयासों की शुरुआत की।
      • 2022 का दूसरा महासागर सम्मेलन, 27 जून से 1 जुलाई तक लिस्बन (पुर्तगाल) में हुआ, जिसकी सह-मेजबानी केन्या और पुर्तगाल ने की। 
        • इस सम्मेलन की थीम थी: “विज्ञान और नवाचार आधारित महासागर कार्यवाही को बढ़ाना”
        • यह संवाद केंद्रित रहा – महासागर विज्ञान दशक (2021-2030) के अंतर्गत साझेदारी, समाधान और प्रगति की समीक्षा पर।
  • आगामी सम्मेलन:
    • तीसरा संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (UNOC3) 9 से 13 जून, 2025 तक नीस, फ्रांस में होगा।
    • यह सम्मेलन फ्रांस और कोस्टा रिका की साझेदारी में हो रहा है और 
    • इसका प्रमुख उद्देश्य है:  “महासागर संरक्षण और सतत उपयोग हेतु सभी हितधारकों की सहभागिता के साथ कार्रवाई को गति देना”।
    • इस सम्मेलन में सभी 193 सदस्य राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान, गैर-सरकारी संगठन, वैज्ञानिक समुदाय, निजी क्षेत्र, स्थानीय समुदाय, स्वदेशी जनजातियाँ भाग लेंगे।
  • विशेष आयोजन – सम्मेलन से पूर्व तीन प्रमुख कार्यक्रम:
    • One Ocean Science Congress (4–6 जून, 2025, नीस)
    • Blue Economy and Finance Forum (7–8 जून, 2025, मोनाको)
    • Ocean Rise & Coastal Resilience Coalition Launch (7 जून, 2025, नीस)

संयुक्त राष्ट्र की महासागरीय पारिस्थितिकी सुरक्षा हेतु प्रमुख वैश्विक पहलें

  • महासागर विज्ञान दशक (2021-2030):  संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित “महासागर विज्ञान दशक” एक दूरदर्शी प्रयास है। जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान को मजबूती प्रदान कर महासागर स्वास्थ्य की बिगड़ती स्थिति को सुधारना है।
    • इस दशक के अंतर्गत विभिन्न देशों, वैज्ञानिक संस्थानों, समुद्री समुदायों और नीति-निर्माताओं को एक साझा मंच पर लाकर महासागर संबंधी वैज्ञानिक परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। 
  • समुद्री संरक्षित क्षेत्र (MPAs):  समुद्री संरक्षित क्षेत्र, जिन्हें संक्षेप में MPAs कहा जाता है, समुद्री जीवन के लिए सुरक्षित स्थान सुनिश्चित करते हैं, जहाँ मानव गतिविधियों पर नियंत्रण होता है या उन्हें पूरी तरह निषिद्ध किया जाता है। 
    • इन क्षेत्रों के माध्यम से कोरल रीफ, मछलियों की प्रजातियाँ, समुद्री स्तनधारी और अन्य महत्वपूर्ण जीवों के प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। 
  • समुद्री जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय समझौता:  “राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे समुद्री जैव विविधता संरक्षण समझौता” (BBNJ) महासागर के उन विशाल क्षेत्रों के लिए एक कानूनी रूपरेखा प्रदान करता है जो किसी भी देश की सीमा के बाहर स्थित हैं। 
    • यह समझौता जैव विविधता के सतत् उपयोग, जीन संसाधनों की साझेदारी, और समुद्री तकनीक के हस्तांतरण जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को न्यायपूर्ण आधार पर संबोधित करता है।
  • अन्य संयुक्त राष्ट्र समर्थित प्रयास: GEOS (Global Ecosystem for Ocean Solutions) जैसे मंचों के माध्यम से नवीन समाधानों को बढ़ावा दिया जा रहा है। ब्लू फाइनेंस के जरिए सतत् महासागर परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता सुनिश्चित की जा रही है, जबकि क्षेत्रीय समुद्र कार्यक्रम विभिन्न महासागरीय क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर भागीदारी और क्रियान्वयन को प्रेरित करता है।

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