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अर्धचालक चिप क्या हैं?

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संदर्भ:

अर्धचालक चिप: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 (भोपाल) में घोषणा की कि भारत में विकसित पहला स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप 2025 तक उत्पादन के लिए तैयार होगा, जो देश के सेमीकंडक्टर उद्योग में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।

अर्धचालक (Semiconductor) क्या है?

  • अर्धचालक एक ऐसा पदार्थ है जो कुछ परिस्थितियों में विद्युत प्रवाह को प्रवाहित करता है और कुछ में अवरुद्ध कर सकता है।
  • इन्हें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, जैसे कि कंप्यूटर, स्मार्टफोन और एकीकृत सर्किट (ICs) में उपयोग किया जाता है।

अर्धचालकों का उपयोग कहाँ होता है?

  1. विद्युत परिपथों (Electrical Circuits) और घटकों (Components) में।
  2. मुख्य अर्धचालक उपकरण:
    • डायोड (Diodes)
    • ट्रांजिस्टर (Transistors)
    • इंटीग्रेटेड सर्किट (ICs – Integrated Circuits)
  3. उपयोग के प्रमुख क्षेत्र:
    • उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स (Consumer Electronics) – मोबाइल, टीवी, लैपटॉप।
    • बैंक एटीएम (Bank ATMs) और डिजिटल भुगतान प्रणाली।
    • रेलवे और परिवहन (Trains & Transportation)।
    • इंटरनेट और संचार प्रणाली (Internet & Communications)।
    • सामाजिक अवसंरचना (Social Infrastructure) के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र।

भारत का अर्धचालक उद्योग (India’s Semiconductor Industry):

  • भारतीय अर्धचालक बाजार:
    • 2023 में अनुमानित मूल्य: लगभग $38 बिलियन
    • 2030 तक अनुमानित वृद्धि: $109 बिलियन
  • संभावनाएँ (Potential)
    • भारत का अर्धचालक उपभोग बाजार 2030 तक 13% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने की उम्मीद है।
    • भारत अर्धचालक निर्माण और डिज़ाइन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कार्य कर रहा है।
    • सरकार इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत निवेश और प्रोत्साहन योजनाएँ चला रही है।

भारत के अर्धचालक क्षेत्र की चुनौतियाँ:

  1. अर्धचालक विनिर्माण संयंत्रों (Fabs) की कमी: भारत में अभी तक कोई व्यावसायिक सेमीकंडक्टर फैब नहीं है (पहला फैब 2025 तक शुरू होने की उम्मीद)।
  2. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भरता; भारत ताइवान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका पर अर्धचालक निर्माण के लिए निर्भर है।
  3. उच्च पूंजी और तकनीकी आवश्यकताएँ: अर्धचालक निर्माण में सूक्ष्मता (precision), विशेषीकृत श्रमिकों और बड़े निवेश की जरूरत होती है।
  4. भूराजनीतिक जोखिम (Geopolitical Risks): अमेरिकाचीन व्यापार युद्धऔर ताइवान विवाद से वैश्विक अर्धचालक आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।

भारत में अर्धचालक उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम:

  1. Semicon India Program: घरेलू अर्धचालक उद्योग को प्रोत्साहन देने और रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया।
  2. India Semiconductor Mission (ISM): भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और डिजाइन हब बनाने के लिए अर्धचालक और डिस्प्ले निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर ध्यान केंद्रित।
  3. वैश्विक कंपनियों के साथ साझेदारी: Micron, Foxconn जैसी कंपनियों के साथ मिलकर भारत में निर्माण इकाइयाँ स्थापित करने की पहल।

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