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भारत और अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत भारत में एक मल्टी-मटेरियल सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट (फैब) स्थापित किया जाएगा। यह भारत का पहला फैब होगा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दुनिया में अपनी तरह का पहला परियोजना है। इसके साथ ही, यह क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया) के भीतर भी पहला फैब है।
“शक्ति” सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट की विशेषताएँ:
- फोकस क्षेत्र: यह फैब आधुनिक युद्ध के तीन आवश्यक स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करेगा:
- उन्नत संवेदन (Advanced Sensing)
- उन्नत संचार (Advanced Communication)
- उच्च वोल्टेज पावर इलेक्ट्रॉनिक्स (High Voltage Power Electronics)
- प्रौद्योगिकियाँ: इसे इन्फ्रारेड, गैलियम नाइट्राइड, और सिलिकॉन कार्बाइड सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए स्थापित किया जाएगा।
- साझेदारी: यह फैब भारत सेमीकंडक्टर मिशन के समर्थन के साथ स्थापित होगा और इसमें भारत सेमी, थर्डटेक, और अमेरिकी स्पेस फोर्स के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी शामिल होगी।
सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट का महत्व:
- रणनीतिक बदलाव:
- यह परियोजना भारत को चिप लेने वाले से चिप निर्माता में बदल देगी, जिससे न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बना देगी।
- आयात पर निर्भरता कम करना:
- वर्तमान में, भारत राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों के लिए प्रतिवर्ष 1 बिलियन डॉलर मूल्य के सेमीकंडक्टर का आयात करता है। इस फैब की स्थापना से आयात में कमी आएगी।
- सुरक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत करना:
- यह फैब दूरसंचार, रेलवे, और हरित ऊर्जा जैसे वाणिज्यिक क्षेत्रों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा।
- अनुसंधान और विकास में सहयोग:
- यह चिप निर्माण में अनुसंधान एवं विकास के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंधों को बढ़ावा देगा, जैसे कि ग्लोबलफाउंड्रीज (जीएफ) द्वारा कोलकाता में पावर सेंटर का निर्माण।
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM):इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने वर्ष 2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) को कुल 76,000 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ लॉन्च किया। यह कार्यक्रम भारत में स्थायी अर्द्धचालक और प्रदर्शन पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए एक व्यापक कार्यक्रम का हिस्सा है। कार्यक्रम का उद्देश्य:
नोडल एजेंसी की भूमिका: ISM योजना के कुशल, सुसंगत, और सुचारू कार्यान्वयन के लिए, यह कार्यक्रम वैश्विक विशेषज्ञों के नेतृत्व में कार्य करेगा। इसके तहत नोडल एजेंसी का गठन किया जाएगा, जो अर्द्धचालक और डिस्प्ले उद्योग में निवेश को आकर्षित करने के लिए आवश्यक कार्यों का समन्वय करेगी। |
निष्कर्ष:
भारत और अमेरिका के बीच यह सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट स्थापित करने का समझौता न केवल दोनों देशों के बीच तकनीकी साझेदारी को मजबूत करेगा, बल्कि भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह परियोजना भारत की सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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