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संदर्भ:
इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल ‘शिव शक्ति पॉइंट‘ की आयु का अनुमान 3.7 अरब वर्ष लगाया है। उन्नत इमेजिंग तकनीकों का उपयोग करके, उन्होंने 25 गड्ढों का अध्ययन किया और अलग-अलग भूभाग प्रकारों की पहचान की। उनके विश्लेषण से पता चला कि यह समतल और कम ऊँचाई वाला क्षेत्र इतने वर्षों पुराना है।
चंद्रयान–3 के अध्ययन के प्रमुख बिंदु:
- यह कालखंड पृथ्वी पर आदि सूक्ष्मजीवों (Primitive Microbial Life) के उद्भव के समय से मेल खाता है।
- आदि सूक्ष्मजीवन का अर्थ है वे प्रारंभिक सूक्ष्म जीव, जो पृथ्वी पर सबसे पहले अस्तित्व में आए।
- वैज्ञानिकों की टीम, जिसमें इसरो के इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सेंटर (बेंगलुरु), भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (अहमदाबाद) और पंजाब विश्वविद्यालय (चंडीगढ़) के विशेषज्ञ शामिल हैं, ने शिव शक्ति प्वाइंट (चंद्रयान-3 का लैंडिंग स्थल) का पहला भूवैज्ञानिक मानचित्र बनाया।
- वैज्ञानिकों ने लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) वाइड-एंगल कैमरा जैसी उन्नत इमेजिंग तकनीकों का उपयोग कर शिव शक्ति प्वाइंट के आसपास चंद्र सतह पर मौजूद चट्टानों का वितरण डेटा एकत्र किया।
भूवैज्ञानिक मानचित्र के निष्कर्ष: इस क्षेत्र में तीन प्रकार की भू–आकृति (Terrain Types) पाई गईं:
- ऊँचे और खुरदरे क्षेत्र (High-relief rugged terrain)
- समतल मैदान (Smooth plains)
- निचले और समतल मैदान (Low-relief smooth plains)
- भूवैज्ञानिक मानचित्रण (Geological Mapping) विभिन्न डेटा को संगठित कर भूवैज्ञानिक इकाइयों में वर्गीकृत करने की एक प्रक्रिया है।
- इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार, इस लैंडिंग स्थल का स्थानीय क्षेत्र मुख्य रूप से मैनजिनस (Manzinus) और बोगुस्लावस्की (Boguslawsky) क्रेटर्स के द्वितीयक प्रभाव (Ejecta) से बना है।
शिव शक्ति पॉइंट :
- अगस्त 2023में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल को शिव शक्ति प्वाइंट नाम दिया गया।
- 2024 में, अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने इस स्थान को ‘स्टेशियो शिव शक्ति’ (Statio Shiv Shakti) के रूप में आधिकारिक मान्यता दी।
- यह नाम भारतीय पौराणिक कथाओं से लिया गया है, जो “शिव” (पुरुष तत्व) और “शक्ति” (स्त्री तत्व) की अद्वितीय शक्ति और संतुलन को दर्शाता है।
- यह स्थल तीन बड़े क्रेटरों से घिरा हुआ है।
अध्ययन का महत्व:
- चंद्रमा पर वायुमंडल नहीं होने के कारण वह निरंतर क्षुद्रग्रह (Asteroid) प्रभावों के प्रति संवेदनशील रहता है।
- सिर्फ चंद्रमा की सतह पर मौजूद प्रभाव क्रेटरों की गिनती करके उस क्षेत्र की आयु का निर्धारण किया जा सकता है।
- चंद्रयान–3 एक अत्यधिक क्रेटरयुक्त (Heavily Cratered) क्षेत्र में उतरा, जिससे यह अध्ययन महत्वपूर्ण हो जाता है।
- यह भूवैज्ञानिक मानचित्र वैज्ञानिकों को मिशन द्वारा एकत्र किए गए डेटा को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है।
- यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के ऊँचाई वाले क्षेत्रों की भूवैज्ञानिक इतिहास (Geological History) की वैज्ञानिक समझ में सुधार करता है।
चंद्रयान–3:
- चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की, जिससे भारत ऐसा करने वाला पहला देश बना।
- इस मिशन का उद्देश्य सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना, एक रोवर को तैनात कर सतह का विश्लेषण करना और चंद्रमा की भूगर्भीय संरचना व खनिज संरचना का अध्ययन करना था।
- चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में शिव शक्ति पॉइंट पर उतरा।