Shyama Prasad Mukherjee
संदर्भ:
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती के अवसर पर दो वर्षीय आधिकारिक स्मृति समारोह आयोजित करने की घोषणा की है। यह आयोजन उनके राष्ट्रनिर्माण में योगदान, शिक्षा, राजनीति और सांस्कृतिक विचारों को सम्मान देने के उद्देश्य से किया जाएगा।
(Shyama Prasad Mukherjee) श्यामा प्रसाद मुखर्जी: जीवन और योगदान
प्रारंभिक राजनीतिक यात्रा
- शुरुआत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े, परंतु 1930 के दशक में हिंदू महासभा में शामिल हो गए।
- 1934 में मात्र 33 वर्ष की आयु में कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे युवा कुलपति बने
प्रशासनिक भूमिका
- 1941–42 में बंगाल सरकार में वित्त मंत्री रहे (फजलुल हक मंत्रिमंडल)।
- 1944 में अंग्रेज़ी दैनिक ‘Nationalist’ की स्थापना की।
- अखिल भारतीय हिंदू महासभा के बिलासपुर अधिवेशन की अध्यक्षता की।
- हिंदू-मुस्लिम समस्या का समाधान खोजने हेतु जिन्ना से मुलाकात की।
विचारधारा और स्वतंत्रता के बाद
- मुस्लिम लीग और विभाजन के मुखर आलोचक रहे।
- 1947–1950 के बीच अंतरिम सरकार में उद्योग और आपूर्ति मंत्री रहे, लेकिन नीति मतभेदों के चलते इस्तीफा दे दिया।
- 1951 में भारतीय जन संघ की स्थापना की — यह आज की भारतीय जनता पार्टी (BJP) की वैचारिक पूर्ववर्ती पार्टी है।
विचार और विरासत
- राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और आर्थिक आत्मनिर्भरता के प्रबल समर्थक।
- उन्हें एक कट्टर राष्ट्रवादी, शिक्षाविद् और सांस्कृतिक एकता के पक्षधर के रूप में याद किया जाता है।
- कोलकाता का श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट और कई संस्थानों का नाम उनके सम्मान में रखा गया है।