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Aditya-L1 ने सौर फ्लेयर ‘कर्नेल’ की तस्वीर कैप्चर की

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संदर्भ:

Aditya-L1, भारत के पहले अंतरिक्ष-आधारित सौर मिशन, ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इसके Solar Ultraviolet Imaging Telescope (SUIT) ने पहली बार निचले सौर वातावरण (फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर) में सौर फ्लेयर कर्नेल की तस्वीर कैप्चर की है।

सौर ज्वाला (Solar Flare) क्या है?

  • सौर ज्वाला सूर्य के वायुमंडल से निकलने वाली अचानक और तीव्र ऊर्जा का विस्फोट है।
  • यह घटना सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) में अचानक बदलाव के कारण होती है।
  • जब सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र अचानक टूटता है, तो तीव्र ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, जो शॉर्ट फ्लैश (Short Flash) की तरह दिखता है।
  • ये एक्सरे (X-rays) और अल्ट्रावायलेट (Ultraviolet) विकिरण छोड़ते हैं, जिससे अंतरिक्ष मौसम प्रभावित होता है और सैटेलाइट संचार, जीपीएस और पावर ग्रिड बाधित हो सकते हैं।
  • सौर ज्वालाएँ मुख्य रूप से सूर्य के धब्बों (Sunspots) से उत्पन्न होती हैं और तीव्रता के आधार पर A, B, C, M और X श्रेणियों में वर्गीकृत की जाती हैं।

Aditya-L1 और सौर ज्वालाएँ (Solar Flares) का अध्ययन:

कैसे अध्ययन करता है Aditya-L1?

  1. SUIT (Solar Ultraviolet Imaging Telescope): सूर्य के निचले वायुमंडल (lower solar atmosphere) की पराबैंगनी (UV) छवियाँ कैप्चर करता है।
  2. SoLEXS (Solar Low Energy X-ray Spectrometer) और HEL1OS (High Energy L1 Orbiting X-ray Spectrometer): सौर एक्सरे उत्सर्जन की निगरानी करते हैं, जिससे सौर ज्वालाओं का पता लगाया जा सकता है।
  3. L1 बिंदु से निरंतर अवलोकन: यह उपग्रह सौर गतिविधि की वास्तविक समय (real-time) की तस्वीर प्रदान करता है।

Solar Ultraviolet Imaging Telescope (SUIT) क्या है?

  • यह Aditya-L1 पर स्थित एक विशेष टेलीस्कोप है।
  • इसे IUCAA (Inter-University Centre for Astronomy and Astrophysics), पुणे द्वारा विकसित किया गया है।
  • यह 11 विभिन्न NUV (Near-Ultraviolet) तरंगदैर्घ्य में उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियाँ लेता है।
  • सूर्य के प्रकाशमंडल (Photosphere) और क्रोमोस्फियर (Chromosphere) का विस्तृत अध्ययन करता है।

SUIT की हालिया खोजें:

  • SUIT ने 3-श्रेणी (Class X6.3) की सौर ज्वाला देखी, जो अब तक दर्ज की गई सबसे तीव्र ज्वालाओं में से एक है।
  • 200-400 nm NUV बैंड में तेज़ी से चमक देखी गई, जो पहली बार इतनी बारीकी से अध्ययन किया गया।
  • इसने स्पष्ट रूप से सौर सतह से कोरोना तक ऊर्जा संचरण के प्रमाण दिए।

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