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द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024 :
संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (UNICEF) ने द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024 (SOWC 2024) रिपोर्ट जारी की, जो वर्ष 2050 तक बच्चों के भविष्य को आकार देने वाली शक्तियों और प्रवृत्तियों की जाँच करती है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है, जहां लगभग
संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (UNICEF) ने द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024 (SOWC 2024) रिपोर्ट जारी की, जो वर्ष 2050 तक बच्चों के भविष्य को आकार देने वाली शक्तियों और प्रवृत्तियों की जाँच करती है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है, जहां लगभग 1 अरब बच्चे, ऐसे देशों में रह रहे हैं जो जलवायु और पर्यावरणीय खतरों के उच्च जोखिम में हैं।
एसओडब्ल्यूसी–2024: मुख्य विशेषताएं
- विश्व बाल दिवस और रिपोर्ट का उद्देश्य:
20 नवंबर 2024 को, विश्व के बच्चों की स्थिति रिपोर्ट (State of the World’s Children) यूनिसेफ द्वारा जारी की गई। यह रिपोर्ट विश्व बाल दिवस के अवसर पर प्रस्तुत की जाती है, जो बच्चों के लिए और उनके द्वारा कार्रवाई का वार्षिक दिवस है। इस वर्ष का मुख्य फोकस ‘भविष्य को सुनें‘ है, जिसमें बच्चों और युवाओं की आवाज पर ध्यान केंद्रित किया गया है कि वे किस तरह की दुनिया चाहते हैं।
- 2050 तक बच्चों के जीवन को प्रभावित करने वाली मुख्य प्रवृत्तियाँ:
रिपोर्ट में तीन प्रमुख रुझानों को रेखांकित किया गया है, जो 2050 तक बच्चों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालेंगे:
- जनसांख्यिकी परिवर्तन
- जलवायु और पर्यावरण संकट
- अग्रणी प्रौद्योगिकियां
- जनसांख्यिकी परिवर्तन:
- अनुमान है कि 2050 तक वैश्विक बाल जनसंख्या 2.3 बिलियन के आसपास स्थिर हो जाएगी, लेकिन क्षेत्रीय वितरण में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।
- भारत, चीन, नाइजीरिया और पाकिस्तान मिलकर वैश्विक बाल जनसंख्या का एक-तिहाई से अधिक हिस्सा होंगे।
- भले ही भारत की बाल जनसंख्या 106 मिलियन घटने की संभावना है, लेकिन 2050 तक 350 मिलियन बच्चों के साथ यह सबसे बड़ी हिस्सेदारी बनाए रखेगा।
- जलवायु और पर्यावरण संकट:
- दुनिया भर में लगभग 1 अरब बच्चे जलवायु और पर्यावरणीय खतरों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं, और भारतीय बच्चे इन खतरों से असमान रूप से प्रभावित हो रहे हैं।
- बाल जलवायु जोखिम सूचकांक (CCRI) के अनुसार, 2021 में भारत 163 देशों में 26वें स्थान पर रहा, जहां बच्चे विशेष रूप से गर्मी, बाढ़, सूखा और वायु प्रदूषण जैसे खतरों के संपर्क में हैं।
- रिपोर्ट चेतावनी देती है कि 2050 तक भारत सहित पूरी दुनिया में बच्चे चरम जलवायु और पर्यावरणीय संकटों का सामना करेंगे।
- 2000 के दशक की तुलना में, 2050 तक लगभग 8 गुना अधिक बच्चे अत्यधिक गर्मी की लहरों का सामना करेंगे।
- प्रौद्योगिकीय विभाजन:
- 2024 में, उच्च आय वाले देशों में 95% से अधिक लोग इंटरनेट से जुड़े हैं, जबकि निम्न आय वाले देशों में यह संख्या केवल 26% है।
- डिजिटल असमानता अभी भी स्पष्ट रूप से बनी हुई है।
SOWC 2024: भारत–विशिष्ट निष्कर्ष
- बाल जनसंख्या:
- वर्ष 2050 तक, भारत में दुनिया की सबसे बड़ी बाल जनसंख्या होने की संभावना है, जो लगभग 350 मिलियन होगी, जो वैश्विक बाल जनसंख्या का 15% होगी।
- भारत, चीन, नाइजीरिया और पाकिस्तान मिलकर विश्व की बाल जनसंख्या का एक–तिहाई से अधिक हिस्सा बनायेंगे।
- जलवायु जोखिम:
- बाल जलवायु जोखिम सूचकांक (CCRI) 2021 के अनुसार, भारत 163 देशों में 26वें स्थान पर है, जो देश में जलवायु खतरों के प्रति बच्चों की उच्च संवेदनशीलता को दर्शाता है।
- भारतीय बच्चे अत्यधिक गर्मी, बाढ़, सूखा, और वायु प्रदूषण जैसे जलवायु संकटों से गंभीर रूप से प्रभावित हैं।
- CCRI की भूमिका:
- यह सूचकांक यूनिसेफ द्वारा जारी किया जाता है, जो चक्रवातों, हीटवेव और अन्य जलवायु प्रभावों के प्रति बच्चों की संवेदनशीलता और उनकी आवश्यक सेवाओं तक पहुंच के आधार पर देशों की रैंकिंग करता है।
-
यूनिसेफ (UNICEF):
- यूनिसेफ संयुक्त राष्ट्र का संगठन है जो दुनियाभर के बच्चों को मानवीय और विकासात्मक सहायता प्रदान करता है।
- यूनिसेफ को संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children’s Fund) के नाम से भी जाना जाता है।
- यूनिसेफ की स्थापना 11 दिसंबर 1946 को की गई थी।
- इसे द्वितीय विश्व युद्ध से प्रभावित देशों में बच्चों और माताओं को आपातकालीन भोजन और स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए बनाया गया था।
- 1950 में यूनिसेफ का उद्देश्य बढ़ाकर विकासशील देशों में बच्चों और महिलाओं की दीर्घकालिक जरूरतों को शामिल किया गया।
- 1953 में, “अंतरराष्ट्रीय” और “आपातकालीन” शब्द इसके नाम से हटा दिए गए, लेकिन इसका संक्षिप्त नाम “UNICEF” ही रखा गया।
- यह लीग ऑफ नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन इमरजेंसी फंड का उत्तराधिकारी है।
- यूनिसेफ का मुख्यालय न्यूयॉर्क सिटी, अमेरिका में है।
- 1965 में यूनिसेफ को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1 अरब बच्चे, ऐसे देशों में रह रहे हैं जो जलवायु और पर्यावरणीय खतरों के उच्च जोखिम में हैं।
एसओडब्ल्यूसी–2024: मुख्य विशेषताएं
- विश्व बाल दिवस और रिपोर्ट का उद्देश्य:
20 नवंबर 2024 को, विश्व के बच्चों की स्थिति रिपोर्ट (State of the World’s Children) यूनिसेफ द्वारा जारी की गई। यह रिपोर्ट विश्व बाल दिवस के अवसर पर प्रस्तुत की जाती है, जो बच्चों के लिए और उनके द्वारा कार्रवाई का वार्षिक दिवस है। इस वर्ष का मुख्य फोकस ‘भविष्य को सुनें‘ है, जिसमें बच्चों और युवाओं की आवाज पर ध्यान केंद्रित किया गया है कि वे किस तरह की दुनिया चाहते हैं।
- 2050 तक बच्चों के जीवन को प्रभावित करने वाली मुख्य प्रवृत्तियाँ:
रिपोर्ट में तीन प्रमुख रुझानों को रेखांकित किया गया है, जो 2050 तक बच्चों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालेंगे:
- जनसांख्यिकी परिवर्तन
- जलवायु और पर्यावरण संकट
- अग्रणी प्रौद्योगिकियां
- जनसांख्यिकी परिवर्तन:
- अनुमान है कि 2050 तक वैश्विक बाल जनसंख्या 2.3 बिलियन के आसपास स्थिर हो जाएगी, लेकिन क्षेत्रीय वितरण में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।
- भारत, चीन, नाइजीरिया और पाकिस्तान मिलकर वैश्विक बाल जनसंख्या का एक-तिहाई से अधिक हिस्सा होंगे।
- भले ही भारत की बाल जनसंख्या 106 मिलियन घटने की संभावना है, लेकिन 2050 तक 350 मिलियन बच्चों के साथ यह सबसे बड़ी हिस्सेदारी बनाए रखेगा।
- जलवायु और पर्यावरण संकट:
- दुनिया भर में लगभग 1 अरब बच्चे जलवायु और पर्यावरणीय खतरों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं, और भारतीय बच्चे इन खतरों से असमान रूप से प्रभावित हो रहे हैं।
- बाल जलवायु जोखिम सूचकांक (CCRI) के अनुसार, 2021 में भारत 163 देशों में 26वें स्थान पर रहा, जहां बच्चे विशेष रूप से गर्मी, बाढ़, सूखा और वायु प्रदूषण जैसे खतरों के संपर्क में हैं।
- रिपोर्ट चेतावनी देती है कि 2050 तक भारत सहित पूरी दुनिया में बच्चे चरम जलवायु और पर्यावरणीय संकटों का सामना करेंगे।
- 2000 के दशक की तुलना में, 2050 तक लगभग 8 गुना अधिक बच्चे अत्यधिक गर्मी की लहरों का सामना करेंगे।
- प्रौद्योगिकीय विभाजन:
- 2024 में, उच्च आय वाले देशों में 95% से अधिक लोग इंटरनेट से जुड़े हैं, जबकि निम्न आय वाले देशों में यह संख्या केवल 26% है।
- डिजिटल असमानता अभी भी स्पष्ट रूप से बनी हुई है।
SOWC 2024: भारत–विशिष्ट निष्कर्ष
- बाल जनसंख्या:
- वर्ष 2050 तक, भारत में दुनिया की सबसे बड़ी बाल जनसंख्या होने की संभावना है, जो लगभग 350 मिलियन होगी, जो वैश्विक बाल जनसंख्या का 15% होगी।
- भारत, चीन, नाइजीरिया और पाकिस्तान मिलकर विश्व की बाल जनसंख्या का एक–तिहाई से अधिक हिस्सा बनायेंगे।
- जलवायु जोखिम:
- बाल जलवायु जोखिम सूचकांक (CCRI) 2021 के अनुसार, भारत 163 देशों में 26वें स्थान पर है, जो देश में जलवायु खतरों के प्रति बच्चों की उच्च संवेदनशीलता को दर्शाता है।
- भारतीय बच्चे अत्यधिक गर्मी, बाढ़, सूखा, और वायु प्रदूषण जैसे जलवायु संकटों से गंभीर रूप से प्रभावित हैं।
- CCRI की भूमिका:
- यह सूचकांक यूनिसेफ द्वारा जारी किया जाता है, जो चक्रवातों, हीटवेव और अन्य जलवायु प्रभावों के प्रति बच्चों की संवेदनशीलता और उनकी आवश्यक सेवाओं तक पहुंच के आधार पर देशों की रैंकिंग करता है।
यूनिसेफ (UNICEF):
- यूनिसेफ संयुक्त राष्ट्र का संगठन है जो दुनियाभर के बच्चों को मानवीय और विकासात्मक सहायता प्रदान करता है।
- यूनिसेफ को संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children’s Fund) के नाम से भी जाना जाता है।
- यूनिसेफ की स्थापना 11 दिसंबर 1946 को की गई थी।
- इसे द्वितीय विश्व युद्ध से प्रभावित देशों में बच्चों और माताओं को आपातकालीन भोजन और स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए बनाया गया था।
- 1950 में यूनिसेफ का उद्देश्य बढ़ाकर विकासशील देशों में बच्चों और महिलाओं की दीर्घकालिक जरूरतों को शामिल किया गया।
- 1953 में, “अंतरराष्ट्रीय” और “आपातकालीन” शब्द इसके नाम से हटा दिए गए, लेकिन इसका संक्षिप्त नाम “UNICEF” ही रखा गया।
- यह लीग ऑफ नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन इमरजेंसी फंड का उत्तराधिकारी है।
- यूनिसेफ का मुख्यालय न्यूयॉर्क सिटी, अमेरिका में है।
- 1965 में यूनिसेफ को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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