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संदर्भ:
स्पैडेक्स अनडॉकिंग: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने SpaDex उपग्रहों के अनडॉकिंग ऑपरेशन को पहली ही कोशिश में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। इस सफलता के साथ, भारत अमेरिका, रूस और चीन के प्रतिष्ठित समूह में शामिल हो गया है, जिन्होंने अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग क्षमता का प्रदर्शन किया है।
अंतरिक्ष डॉकिंग / Space Docking:
- अर्थ: अंतरिक्ष डॉकिंग उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें दो अंतरिक्ष यान कक्षा में मिलने के बाद आपस में जुड़कर एक इकाई के रूप में कार्य करते हैं। यह एक बहुत ही जटिल और सटीक प्रक्रिया होती है, जो उन्नत अंतरिक्ष अभियानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- अंतरिक्ष डॉकिंग के मुख्य चरण (Key Steps of Space Docking):
- रेंडेज़वस (Rendezvous): दो अंतरिक्ष यानों को एक ही कक्षा में लाना और उनकी दूरी और वेग (velocity) के अंतर को न्यूनतम करना।
- डॉकिंग (Docking): विशेष डॉकिंग सिस्टम का उपयोग करके दोनों अंतरिक्ष यानों के बीच एक यांत्रिक संबंध (Mechanical Connection) स्थापित करना।
- शक्ति और संसाधन साझाकरण (Power and Resource Sharing): डॉकिंग के बाद, दोनों अंतरिक्ष यान शक्ति (Power), ईंधन (Fuel), या चालक दल (Crew) को स्थानांतरित कर सकते हैं ताकि संयुक्त अभियानों (Joint Operations) को सफलतापूर्वक पूरा किया जा सके।
अनडॉकिंग / Undocking क्या हैं?
- अर्थ: अनडॉकिंग वह प्रक्रिया है जिसमें दो जुड़े हुए अंतरिक्ष यान (सैटेलाइट्स) को अलग किया जाता है ताकि वे स्वतंत्र रूप से अपने-अपने मार्ग पर आगे बढ़ सकें।
- अनडॉकिंग की प्रक्रिया: अनडॉकिंग का संचालन 460 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा (Circular Orbit) में किया गया, जिसका झुकाव (Inclination) 45 डिग्री था।
- PSLV-C60 SpaDeX Mission (PSLV-C60 SpaDeX मिशन):
- सैटेलाइट्स का नाम: SDX-01 (Chaser) और SDX-02 (Target)
- लॉन्च की जानकारी: ये दोनों सैटेलाइट्स 30 दिसंबर, 2024 को Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV)-C60 के माध्यम से सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किए गए थे।
मिशन का उद्देश्य (Objective of the Mission):
- Docking और Undocking तकनीक का प्रदर्शन: अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स को जोड़ने (Docking) और अलग करने (Undocking) की तकनीक का परीक्षण करना।
- रेंडीवू क्षमता (Rendezvous Capability): कम-पृथ्वी कक्षा (Low-Earth Orbit – LEO) में सैटेलाइट्स को एक-दूसरे के करीब लाने की तकनीक को परखना।
- ऊर्जा हस्तांतरण: Docking के बाद एक सैटेलाइट से दूसरे सैटेलाइट में ऊर्जा का हस्तांतरण करना, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है।
महत्वता (Significance):
- यह मिशन भारत को अंतरिक्ष में Docking तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बनाएगा।
- इससे पहले यह तकनीक केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास थी।
- भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशनों, गहरे अंतरिक्ष मिशनों और अंतरिक्ष में ईंधन भरने के अभियानों के लिए यह तकनीक बेहद महत्वपूर्ण होगी।