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स्वेज़ नहर संकट (Suez Canal Crisis) | Apni Pathshala

Suez Canal Crisis

Suez Canal Crisis

संदर्भ:

मिस्र की स्वेज नहर प्राधिकरण (SCA) ने 130,000 मीट्रिक टन या उससे अधिक क्षमता वाले कार्गो जहाजों के लिए ट्रांजिट शुल्क में 15% की छूट देने की घोषणा की है।
यह फैसला रेड सी (Red Sea) में बढ़ते सुरक्षा संकट के चलते लिया गया है, जिससे इस महत्वपूर्ण जलमार्ग पर प्रभाव पड़ा है, जो अरब प्रायद्वीप, पूर्वोत्तर अफ्रीका और अरब सागर को भूमध्य सागर से जोड़ता है।

 

(Suez Canal Crisis) स्वेज़ नहर संकट: वैश्विक व्यापार पर असर

  • हौती मिलिशिया के हमले: नवंबर 2023 से यमन की हौती मिलिशिया द्वारा रेड सी (लाल सागर) में लगातार हमले किए जा रहे हैं, जिससे यह महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग असुरक्षित हो गया है। यह मार्ग स्वेज़ नहर के माध्यम से वैश्विक व्यापार के लिए एक प्रमुख रास्ता है।
  • वैकल्पिक मार्ग की ओर मोड़: सुरक्षा संकट के चलते अब जहाज़ों को लंबा और महंगा Cape of Good Hope (केप ऑफ गुड होप) मार्ग अपनाना पड़ रहा है, जिससे वैश्विक व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और परिवहन लागत में भारी वृद्धि हुई है।

स्वेज़ नहर: यूरोपएशिया व्यापार की जीवनरेखा:

  • स्थिति: स्वेज़ नहर मिस्र में स्थित एक कृत्रिम समुद्री जलमार्ग है, जो भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है।
  • निर्माण: इसका निर्माण फ्रांसीसी अभियंता फर्डिनेंड डी लेसेप्स द्वारा किया गया था।
  • पूर्णता और संचालन: नहर 1869 में पूर्ण हुई, लेकिन 1879 में नौवहन के लिए खोली गई।
  • राष्ट्रीयकरण: मिस्र ने इसे 1956 में राष्ट्रीयकृत किया।
  • लंबाई: लगभग 193 किमी
  • रणनीतिक महत्व:
    • यह यूरोप और एशिया के बीच सीधे जहाज़ी संपर्क की सुविधा देती है, जिससे अफ्रीका को घेरने की आवश्यकता नहीं रहती।
    • यह मार्ग यात्रा दूरी को लगभग 7,000 किमी तक घटा देता है।
    • स्वेज़ नहर के माध्यम से वैश्विक व्यापार का 12–15% संचालित होता है, जिसमें तेल और गैस का बड़ा हिस्सा शामिल है।

स्वेज़ नहर संकट: भारतीय व्यापार पर प्रभाव:

  • जहाज़ी मार्ग में बदलाव: हौती हमलों के बाद, भारत के पश्चिमी गोलार्ध के लगभग 90% कार्गो को अब Cape of Good Hope के लंबे मार्ग से भेजा जा रहा है।
  • अनुबंधगत प्रभाव: प्रभाव खरीदार-बेचने वाले के बीच हुए अनुबंध की प्रकृति पर निर्भर करता है। कुछ खेपों को बढ़ी हुई मालभाड़ा लागत के कारण रोका गया है।
  • मालभाड़ा दरों में उछाल: कुछ मामलों में मालभाड़ा लागत छह गुना तक बढ़ गई है, जिससे विशेष रूप से कम मूल्य, अधिक मात्रा वाले कार्गो और खाद्य सामग्री प्रभावित हो रही हैं।

भारत के आयात पर प्रभाव:

  • आयात लागत में वृद्धि: लंबा ट्रांजिट समय और संकट के कारण आयात महंगे हो गए हैं, जिससे इंवेंट्री प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता बढ़ेगी।
  • ईंधन कीमतों पर असर: भारत की कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता को देखते हुए, यह संकट ईंधन कीमतों में कटौती की योजनाओं को प्रभावित किया है।
  • टैंकर बाजार की स्थिति: प्रभावित मार्गों के लिए मालभाड़ा बढ़ा है, लेकिन अब तक टैंकरों का व्यापक मार्ग परिवर्तन नहीं देखा गया है।

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