Tamil Nadu Space Industrial Policy
संदर्भ:
हाल ही में तमिलनाडु कैबिनेट ने राज्य की स्पेस इंडस्ट्रियल पॉलिसी को मंज़ूरी दी है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहित करना और निवेश आकर्षित करना है। यह नीति कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों के उदाहरणों का अनुसरण करती है। नीति का फोकस सैटेलाइट निर्माण, लॉन्च सेवाओं और उपग्रह आधारित अनुप्रयोगों पर है।
- यह पहल केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2023 में जारी की गई भारतीय अंतरिक्ष नीति के अनुरूप है।
(Tamil Nadu Space Industrial Policy) तमिलनाडु अंतरिक्ष औद्योगिक नीति:
निवेश और रोजगार लक्ष्य:
- अगले 5 वर्षों में ₹10,000 करोड़ का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य।
- इस अवधि में लगभग 10,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद।
राज्य की क्षमताओं का लाभ:
- तमिलनाडु की इलेक्ट्रॉनिक्स, परिशुद्ध निर्माण (Precision Manufacturing) और सहायक क्षेत्रों में दक्षता को ध्यान में रखते हुए नीति तैयार की गई है।
- नीति के तहत स्पेस टेक्नोलॉजी को शासन में शामिल कर निम्नलिखित क्षेत्रों में सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर बनाने का प्रयास:
- आपदा प्रबंधन
- कृषि और मत्स्य पालन
- परिवहन और राजस्व
- स्वास्थ्य और नगर प्रशासन
वित्तीय प्रोत्साहन और सहायता (Financial Incentives & Support):
- पेरोल सब्सिडी: अनुसंधान एवं विकास (R&D) में कार्यरत कंपनियों या अंतरिक्ष क्षेत्र में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स स्थापित करने वाली इकाइयों को वेतन सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
- स्पेस बे: चयनित क्षेत्रों को ‘स्पेस बे’ घोषित किया जाएगा, जहां ₹300 करोड़ से कम निवेश करने वाली कंपनियों को संरचित प्रोत्साहन पैकेज मिलेगा।
- औद्योगिक आवास प्रोत्साहन: अंतरिक्ष औद्योगिक पार्कों के डेवलपर्स को पार्क के भीतर आवासीय सुविधाएं विकसित करने की लागत पर 10% सब्सिडी मिलेगी, अधिकतम ₹10 करोड़ (10 वर्षों में) तक सीमित।
- हरित पहल समर्थन: हरित एवं सतत पहल अपनाने वाली परियोजनाओं को पूंजी लागत पर 25% सब्सिडी मिलेगी, अधिकतम ₹5 करोड़ तक सीमित।
भारतीय अंतरिक्ष नीति – 2023: मुख्य बिंदु
- दृष्टिकोण: भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाना, मजबूत वाणिज्यिक उपस्थिति स्थापित करना, अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना और अंतरिक्ष तकनीक को सामाजिक-आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और वैज्ञानिक प्रगति में उपयोग करना।
- लागू क्षेत्र: सभी अंतरिक्ष गतिविधियां जो भारतीय क्षेत्र या अधिकार क्षेत्र से संबंधित हैं, इस नीति के अंतर्गत आती हैं।
- कार्यान्वयन: नीति का क्रियान्वयन अंतरिक्ष विभाग (DoS) द्वारा जारी विस्तृत निर्देशों के अनुसार किया जाएगा।
- रणनीति:
- उपग्रहों, ग्राउंड सिस्टम, सेवाओं आदि में निजी क्षेत्र की संपूर्ण भागीदारी को प्रोत्साहन।
- सार्वजनिक और निजी उपयोगकर्ताओं को अंतरिक्ष सेवाएं स्वतंत्र रूप से खरीदने की अनुमति।
- ग़ैर–सरकारी संस्थाएं (NGEs) – भूमिकाएं:
NGEs को निम्नलिखित गतिविधियों की अनुमति होगी:- उपग्रहों और लॉन्च व्हीकल्स का डिज़ाइन, प्रक्षेपण और संचालन।
- संचार, रिमोट सेंसिंग और नेविगेशन सेवाएं प्रदान करना।
- ग्राउंड स्टेशन बनाना और संचालित करना।
- स्पेस ट्रांसपोर्टेशन, स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस और रिकवरी सिस्टम का विकास।
- क्षुद्रग्रह/अंतरिक्ष संसाधन खनन और वाणिज्यीकरण।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और मानव अंतरिक्ष उड़ान में भागीदारी।