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51वां G-7 शिखर सम्मेलन (The 51st G-7 Summit) | Apni Pathshala

The 51st G-7 Summit

The 51st G-7 Summit

संदर्भ:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा के कानानास्किस में आयोजित 51 वे G-7 आउटरीच समिट के दौरान G-7 देशों के नेताओं के साथ प्रमुख वैश्विक चुनौतियों पर रचनात्मक और व्यापक चर्चा की। इस दौरान जलवायु परिवर्तन, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, डिजिटल परिवर्तन और वैश्विक शांति जैसे विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ।

Group of Seven (G7): एक संक्षिप्त विश्लेषण

स्थापना और सदस्यता:

  • स्थापना वर्ष: 1975 (तेल संकट के जवाब में)
  • शुरुआती सदस्य: फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका (Group of Six)
  • कनाडा का जुड़ाव: 1976 में, जिससे यह G7 बना
  • रूस का जुड़ाव और निष्कासन:
    • 1998 में रूस शामिल हुआ, जिससे यह G8 बना
    • 2014 में रूस को बाहर कर दिया गया, समूह फिर G7 बन गया
  • यूरोपीय संघ: स्थायी पर्यवेक्षक (observer), लेकिन अध्यक्षता नहीं करता

वैश्विक प्रभाव:

  • वैश्विक जनसंख्या का 10% प्रतिनिधित्व करता है
  • परंतु वैश्विक GDP का लगभग 30% नियंत्रित करता है

कार्य और उद्देश्य:

  • हर साल G7 शिखर सम्मेलन आयोजित होता है
  • उद्देश्य: वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा कर समाधान निकालना
  • निर्णय: सर्वसम्मति (consensus) से लिए जाते हैं

प्रमुख मुद्दे (प्रेसिडेंसी के अनुसार बदलते हैं):

  • अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा
  • आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति
  • जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा उपयोग
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और तकनीकी चुनौतियाँ
  • स्वास्थ्य और भविष्य की महामारी की तैयारी
  • व्यापार नीति और आपूर्ति श्रृंखलाएँ

अध्यक्षता:

  • हर वर्ष एक सदस्य देश रोटेशन के आधार पर अध्यक्ष बनता है
  • वही उस वर्ष के एजेंडा और प्राथमिकताओं का निर्धारण करता है

भारत की G7 में भागीदारी: मुख्य तथ्य

  • औपचारिक सदस्य नहीं, लेकिन G7 द्वारा आउटरीच पार्टनर के रूप में लगातार आमंत्रित किया जाता है।
  • 2003 से अब तक 11 से अधिक बार भारत को आमंत्रण मिला है।
  • 2019 से हर वर्ष भारत G7 समिट में सम्मिलित हो रहा है।
  • भारत की भागीदारी उसके आर्थिक आकार (विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था) और वैश्विक दक्षिण की आवाज़ होने को दर्शाती है।

भारत की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?

  • वैश्विक मुद्दों पर नेतृत्व: जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा, वैश्विक आर्थिक विकास जैसे विषयों पर भारत की स्पष्ट और सक्रिय भागीदारी।
  • Global South की प्रतिनिधि शक्ति: विकासशील देशों की ज़रूरतों और प्राथमिकताओं को वैश्विक मंच पर रखने वाला प्रमुख देश।

G7 शिखर सम्मेलन क्यों महत्वपूर्ण है?

  1. आर्थिक प्रभाव:
    • सदस्य देश वैश्विक GDP का बड़ा हिस्सा नियंत्रित करते हैं।
    • इनकी आर्थिक नीतियाँ वैश्विक बाजारों और वित्तीय स्थिरता को प्रभावित करती हैं।
  2. वैश्विक निर्णयों का प्रभाव: G7 के निर्णयों का असर वैश्विक व्यापार, जलवायु नीति और मानवीय सहायता पर पड़ता है।
  3. संकट समन्वय मंच: वैश्विक महामारियाँ, युद्ध, आर्थिक मंदी जैसे संकटों में G7 समन्वय का एक विश्वसनीय केंद्र होता है।
  4. बहुपक्षीयता का प्रतीक: G7 नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और सर्वसम्मति से निर्णय लेने के सिद्धांत को मजबूती देता है।

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