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यूक्रेन में रूस द्वारा थर्मोबैरिक हथियार के उपयोग ने इन शक्तिशाली बमों के विनाशकारी प्रभावों के कारण वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। हालाँकि, इन हथियारों का विकास और तैनाती केवल रूस तक ही सीमित नहीं है।
थर्मोबैरिक हथियारों की विशेषताएँ:
- अन्य नाम: इन्हें अक्सर “वैकेयूम बम” या “उन्नत विस्फोट हथियार” के रूप में जाना जाता है।
- कार्यप्रणाली:
- इन हथियारों में एक ईंधन कंटेनर होता है, जिसमें दो अलग-अलग विस्फोटक चार्ज होते हैं।
- इन्हें रॉकेट के रूप में प्रक्षिप्त किया जा सकता है या विमान से बम के रूप में गिराया जा सकता है।
- जब यह अपने लक्ष्य से टकराता है, तो पहला विस्फोटक चार्ज कंटेनर को खोलता है और ईंधन मिश्रण को बादल के रूप में फैलाता है।
- यह बादल किसी भी इमारत के खुले भाग या सुरक्षा घेरे में प्रवेश कर सकता है जो पूरी तरह से बंद नहीं है।
- दूसरा चार्ज इस बादल को विस्फोटित करता है, जिससे एक विशाल आग का गोला, विस्फोट की एक विशाल तरंग, और एक वैक्यूम बनता है, जो आसपास के सभी ऑक्सीजन को सोख लेता है।
प्रभाव:
- विनाशकारी क्षति:
- थर्मोबैरिक बमों द्वारा उत्पन्न शॉकवेव मजबूत इमारतों और उपकरणों को नष्ट कर सकती है।
- विस्फोट के दबाव के अंतर से मानव शरीर को गंभीर क्षति हो सकती है, जिसमें अंगों और फेफड़ों का फटना शामिल है।
- सामाजिक प्रभाव: इन हथियारों का प्रयोग सिविलियनों पर भी भयंकर प्रभाव डाल सकता है, खासकर जब इन्हें आवासीय क्षेत्रों, स्कूलों, या अस्पतालों के निकट उपयोग किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून और नियम:
- थर्मोबैरिक हथियारों के उपयोग पर विशेष रूप से प्रतिबंध लगाने वाला कोई अंतर्राष्ट्रीय कानून नहीं है।
- हालाँकि, यदि कोई देश इनका उपयोग नागरिक आबादी को लक्षित करने के लिए करता है, तो उसे हेग सम्मेलनों (1899 और 1907) के तहत युद्ध अपराध का दोषी ठहराया जा सकता है।
निष्कर्ष: थर्मोबैरिक हथियारों की विनाशकारी क्षमता और इनके प्रयोग के बारे में अंतर्राष्ट्रीय नियमों की कमी इस प्रकार के हथियारों के इस्तेमाल के प्रति चिंता बढ़ाती है। इसके प्रभावों को समझना और वैश्विक स्तर पर इसके उपयोग को नियंत्रित करना अत्यंत आवश्यक है।
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