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संदर्भ:
एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत में बाघों की जनसंख्या पिछले दो दशकों में 30% बढ़ी है और पिछले दस वर्षों में दोगुनी हो गई है। यह बाघ संरक्षण और वन्यजीव संरक्षण प्रयासों की बड़ी सफलता को दर्शाता है।
अध्ययन के निष्कर्ष:
- प्रभावी संरक्षण रणनीतियाँ:
- भारत ने भूमि-साझाकरण (जहां बाघ मानवों के साथ सह-अस्तित्व में रहते हैं) और भूमि-संरक्षण (जिन क्षेत्रों में मानव हस्तक्षेप नहीं होता) का संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है।
- 85% प्रजनन बाघ इन संरक्षित क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जो बाघों के प्रजनन के लिए सुरक्षित क्षेत्र के रूप में काम करते हैं।
- कानूनी संरक्षण:
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम – बाघों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
- वन संरक्षण अधिनियम – बाघों के आवासों को नष्ट होने से रोकता है।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) – संरक्षण प्रयासों की निगरानी करने वाली एक समर्पित संस्था।
- सामाजिक–आर्थिक और सांस्कृतिक कारक:
- उन क्षेत्रों में जहां आर्थिक स्थिति बेहतर है और जंगलों पर निर्भरता कम है, वहां बाघों की पुनः उपस्थिति देखी गई है।
- हालांकि, गरीबी, सशस्त्र संघर्ष (जैसे छत्तीसगढ़ और झारखंड में), और आवासों का विनाश कुछ क्षेत्रों में बाघों की जनसंख्या में गिरावट का कारण बने हैं।
भारत में बाघों की जनसंख्या (वर्तमान):
- कुल बाघों की संख्या (2022 अनुमान): न्यूनतम: 3,167 बाघ।
- विस्तृत आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार:
- उच्चतम सीमा: 3,925 बाघ।
- औसत जनसंख्या: 3,682 बाघ।
- वृद्धि दर: बाघों की वार्षिक वृद्धि दर 1% है, जो लगातार प्रगति को दर्शाता है।
भविष्य की चुनौतियाँ और सुझाव:
चुनौतियाँ:
- अविकसित बाघ आवास: 157,000 वर्ग किमी संभावित बाघ आवास राजनीतिक अस्थिरता और आवासीय हानि के कारण अनुपयोगी रह गया है।
- मानव–वन्यजीव संघर्ष: यह लगातार एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
सुधार के लिए सुझाव:
- संरक्षित क्षेत्रों और आवासीय गलियारों का विस्तार: बाघों के लिए नए सुरक्षित क्षेत्र और आवासीय गलियारों को बढ़ाया जाए।
- विरोधी शिकार उपायों को मजबूत करना: बाघों की रक्षा के लिए शिकार विरोधी उपायों को और सख्त किया जाए।
- स्थायी आजीविका का संवर्धन: स्थानीय समुदायों के लिए स्थायी आजीविका के अवसर बढ़ाए जाएं।
- संघर्ष निवारण रणनीतियाँ सुधारें:
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ विकसित की जाएं।
- तेज प्रतिक्रिया टीमें तैयार की जाएं।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के बारे में:
- संरचना: NTCA पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है, जिसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की सक्षम धाराओं के तहत गठित किया गया है।
- NTCA के उद्देश्य:
- प्रोजेक्ट टाइगर को वैधानिक अधिकार प्रदान करना: ताकि इसके निर्देशों का पालन कानूनी रूप से अनिवार्य हो सके।
- केंद्र–राज्य की जवाबदेही को बढ़ावा देना: बाघ अभ्यारण्यों के प्रबंधन में केंद्र और राज्यों की जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के साथ समझौता ज्ञापनों (MoU) का आधार प्रदान करना।
- संसद द्वारा निगरानी सुनिश्चित करना: बाघ संरक्षण प्रयासों पर संसद की निगरानी सुनिश्चित करना।
- स्थानीय लोगों के आजीविका हितों को संबोधित करना: बाघ अभ्यारण्यों के आसपास रहने वाले स्थानीय समुदायों के आजीविका हितों का समाधान करना।