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तिपिटक: बौद्ध ग्रंथों का सारांश और भारत-थाईलैंड संबंध

संदर्भ:

तिपिटक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके थाई समकक्ष पैतोंगटार्न शिनावात्रा द्वारा वर्ल्ड तिपिटक: सज्झाय फोनिटिक एडिशन प्रदान किया गया। यह महत्वपूर्ण कूटनीतिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान भारत और थाईलैंड के बीच गहरे ऐतिहासिक और आध्यात्मिक संबंधों को दर्शाता है, जो उनकी साझा बौद्ध विरासत पर आधारित है।

Tipitaka (तिपिटक) – बौद्ध ग्रंथों का सारांश:

  1. अर्थ: ‘Tipitaka’ पाली भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है “तीन टोकरी”। यह बौद्ध धर्मग्रंथों के तीन प्रमुख भागों को दर्शाता है।
  2. तीन पिटक (Baskets):
    1. विनय पिटक (Vinaya Pitaka) – अनुशासन की टोकरी: इसमें भिक्षुओं और भिक्षुणियों के लिए नियम, अनुशासन और मठ जीवन के आचार-विचार शामिल हैं।
    2. सुत्त पिटक (Sutta Pitaka) – उपदेशों की टोकरी: बुद्ध द्वारा दिए गए प्रवचनों (Discourses) का संग्रह है, जो धार्मिक शिक्षाओं का मुख्य स्रोत है।
    3. अभिधम्म पिटक (Abhidhamma Pitaka) – उच्च धर्म की टोकरी: बौद्ध दर्शन और मनोविज्ञान की गहराई से व्याख्या करता है। यह बौद्ध शिक्षाओं का दार्शनिक और विश्लेषणात्मक पक्ष है।
  3. रचना का समय स्थान: इन ग्रंथों का संकलन गौतम बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में प्रथम बौद्ध संगीति (First Buddhist Council) के दौरान राजगृह (राजगीर), भारत में किया गया था।
  4. टिप्पणी: तिपिटक थेरवाद (Theravāda) बौद्ध परंपरा का प्रमुख ग्रंथ है और श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार जैसे देशों में इसका गहरा प्रभाव है।

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