Trade Deficit
संदर्भ:
भारत का व्यापार घाटा मई 2025 में घटकर $6.6 अरब रह गया, जो 2024 की तुलना में 30% कम है। इस कमी का मुख्य कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और सेवा निर्यात (Service Exports) में मजबूती रहा है।
मुख्य बिंदु:
- कुल निर्यात 8% बढ़कर 71.1 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि सेवा निर्यात 9.4% बढ़कर 32.4 बिलियन डॉलर हो गया। हालांकि, वैश्विक तेल की कीमतों में गिरावट के कारण व्यापारिक निर्यात 2.2% गिरकर 38.7 बिलियन डॉलर हो गया।
- गैर-पेट्रोलियम निर्यात में 1% की वृद्धि हुई। व्यापारिक आयात में 1.7% की गिरावट आई, हालांकि गैर-पेट्रोलियम आयात में 10% की वृद्धि हुई।
- कुल मिलाकर, मई 2025 में कुल आयात में 1% की गिरावट आई।
ट्रेड डेफिसिट (Trade Deficit) क्या है?
- जब किसी देश का आयात (imports) उसके निर्यात (exports) से अधिक होता है, तब व्यापार घाटा होता है।
- इसमें माल और सेवाएं दोनों शामिल होते हैं।
- यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक–आर्थिक संकेतक होता है।
ट्रेड डेफिसिट के कारण:
- बचत और निवेश के बीच असंतुलन
- उच्च घरेलू मांग और आयात पर निर्भरता
- मुद्रा विनिमय दरों में उतार–चढ़ाव
- वैश्विक आर्थिक विकास
- मजबूत घरेलू मुद्रा और उपभोक्ता खर्च से निर्यात में कमी और आयात में वृद्धि
प्रभाव:
सकारात्मक:
- उपभोक्ताओं को सस्ते और विविध उत्पाद मिलते हैं
- जीवन स्तर में सुधार संभव
नकारात्मक:
- राष्ट्रीय ऋण बढ़ सकता है
- घरेलू उद्योगों को नुकसान
- रोज़गार में गिरावट
- मुद्रा अवमूल्यन (depreciation)
- आर्थिक अस्थिरता और नीतिगत दबाव