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भारत में जनजातीय कल्याण के लिए सरकारी पहल

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भारत का जनजातीय समुदाय देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 2011 की जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की आबादी 10.45 करोड़ है, जो कुल जनसंख्या का 8.6% है। भारत में 705 से अधिक जनजातीय समूह हैं, जो दूर-दराज और दुर्गम क्षेत्रों में निवास करते हैं। इन समुदायों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए सरकार ने कई योजनाएं और नीतियां शुरू की हैं।

जनजातीय विकास के लिए सरकारी प्रयास:

  • 1974-75 में जनजातीय उप-योजना (TSP) की शुरुआत के साथ ही सरकार ने जनजातीय समुदायों के विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए।
  • यह योजना अब अनुसूचित जनजाति घटक (STC) और अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (DAPST) के रूप में विकसित हो चुकी है।
  • वर्ष 2023-24 के लिए DAPST का बजट ₹1.2 लाख करोड़ तक पहुँच गया है।
  • साथ ही, केंद्रीय बजट 2024-25 में जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए ₹13,000 करोड़ का आवंटन किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 60% की वृद्धि है।

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2024 को झारखंड के हजारीबाग में “धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान” लॉन्च किया।
  • ₹79,150 करोड़ की इस योजना का उद्देश्य 63,000 आदिवासी गांवों में सामाजिक बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका के क्षेत्रों में सुधार करना है।
  • इस अभियान से 5 करोड़ से अधिक आदिवासी लोग लाभान्वित होंगे, और यह 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 549 जिलों में लागू किया जाएगा।

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS)

  • सरकार की शिक्षा पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) हैं, जो आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।
  • प्रधानमंत्री ने 40 EMRS का उद्घाटन किया और 2,800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 25 EMRS की आधारशिला रखी।
  • ये विद्यालय न केवल शैक्षिक विकास को बढ़ावा देते हैं, बल्कि स्थानीय कला और संस्कृति के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (PM-JANMAN)

  • धरती आबा कार्यक्रम के साथ-साथ प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (PM-JANMAN) के तहत कई परियोजनाओं की नींव रखी।
  • ₹1,360 करोड़ से अधिक की इन परियोजनाओं का उद्देश्य सड़क कनेक्टिविटी में सुधार, आंगनबाड़ियों और बहुउद्देशीय केंद्रों का निर्माण और स्कूल छात्रावासों का विकास करना है।
  • इसके अलावा, 275 मोबाइल चिकित्सा इकाइयाँ, 500 आंगनबाड़ी केंद्र और 250 वन धन विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं।
  • साथ ही, 5,550 से अधिक पीवीटीजी गांवों को “नल से जल” योजना के तहत स्वच्छ पेयजल मुहैया कराया गया है।

जनजातीय सशक्तिकरण के लिए प्रमुख सरकारी योजनाएँ:

जनजातीय सशक्तिकरण के लिए भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रमुख योजनाएँ आदिवासी समुदायों की शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक और सांस्कृतिक उन्नति पर केंद्रित हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं का विवरण दिया गया है:

  1. प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाएँ:
    • प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति: यह योजना कक्षा 9 और 10 के एसटी छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है ताकि माध्यमिक शिक्षा तक उनकी पहुँच सुनिश्चित हो सके और स्कूल छोड़ने की दर कम हो।
    • पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति: कक्षा 11 से लेकर स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों तक उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले एसटी छात्रों को इस योजना के तहत सहायता प्रदान की जाती है।
  2. राष्ट्रीय विदेश छात्रवृत्ति योजना (एसटी छात्रों के लिए): यह योजना मेधावी एसटी छात्रों को विदेशों में स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट और पोस्ट-डॉक्टरेट स्तर की पढ़ाई करने का अवसर देती है। इसमें प्रत्येक वर्ष 20 छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है, जिसमें 30% आरक्षण महिला उम्मीदवारों के लिए होता है।
  3. विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) विकास कार्यक्रम: इस योजना का उद्देश्य सबसे कमजोर जनजातीय समूहों को स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, स्वच्छ पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है। इसके तहत 200 जिलों की 22,000 बस्तियों में लगभग 7 लाख PVTG परिवारों को लाभ पहुंचाया जा रहा है।
  4. जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (TRI) को सहायता: इस योजना के अंतर्गत जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (TRI) को सहायता दी जाती है, जो आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और उनकी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  5. अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (DAPST): DAPST योजना यह सुनिश्चित करती है कि सभी केंद्रीय मंत्रालय आदिवासी कल्याण के लिए योजनाएं लागू करें। यह शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, और बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण कमियों को दूर करने पर केंद्रित है।
  6. एसटी छात्रों के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप: यह योजना डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से उच्च शिक्षा के लिए आदिवासी छात्रों को फेलोशिप प्रदान करती है, जिसमें डिजीलॉकर एकीकरण के माध्यम से समय पर वित्तीय सहायता और शिकायत निवारण की व्यवस्था होती है।
  7. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम (NSTFDC): NSTFDC, एसटी समुदाय के लोगों को आय-सृजन गतिविधियों के लिए रियायती ब्याज दरों पर वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलती है।
  8. भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ (TRIFED): TRIFED अपने “Tribes India” आउटलेट्स और ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के माध्यम से जनजातीय उत्पादों को बाजार में बढ़ावा देता है, जिससे आदिवासी कारीगरों को स्थायी आजीविका के अवसर प्राप्त होते हैं।
  9. आदि महोत्सव एवं सांस्कृतिक उत्सव: आदि महोत्सव और अन्य सांस्कृतिक उत्सव आदिवासी संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करने के मंच हैं। यह आयोजन प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (PMJVM) के तहत आयोजित होते हैं, जो आदिवासी कौशल विकास और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं।
  10. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY): यह योजना गर्भवती महिलाओं और शिशु के स्वास्थ्य को सुधारने के उद्देश्य से बनाई गई है, जिसमें आदिवासी महिलाओं को विशेष रूप से लाभ पहुंचाया जाता है।

जनजातीय समुदायों का सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण

जनजातीय समुदायों का सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है। इन योजनाओं का उद्देश्य आदिवासी समुदायों को शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और बुनियादी ढांचे में सुधार करके सशक्त बनाना है, जिससे उनकी जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके।

  1. आर्थिक विकास और आय सृजन पर ध्यान:
  • सावधि ऋण योजना: इस योजना के तहत आदिवासी समुदायों को व्यावसायिक इकाइयों के लिए 5 से 10 वर्षों की पुनर्भुगतान अवधि के साथ आसान ऋण प्रदान किया जाता है।
  • आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना (एएमएसवाई): यह योजना आदिवासी महिलाओं को केवल 4% ब्याज दर पर 22 लाख रुपये तक का रियायती ऋण प्रदान करती है।
  • माइक्रो क्रेडिट योजना: इस योजना के तहत आदिवासी स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को प्रति समूह ₹5 लाख तक के ऋण की पेशकश की जाती है।
  • आदिवासी शिक्षा ऋण योजना (एएसआरवाई): यह योजना आदिवासी छात्रों को शिक्षा के लिए आसान ऋण प्रदान करती है, जिसमें ब्याज सब्सिडी के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलती है।
  1. बुनियादी ढाँचे और आजीविका के अवसर:
  • प्रधानमंत्री आदिवासी आदर्श ग्राम योजना (PMAAGY): इस योजना का उद्देश्य उन गांवों में बुनियादी ढाँचा सुधारना है जहां आदिवासी जनसंख्या अधिक है। यह योजना लगभग 36428 गांवों में बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए लागू की जा रही है।
  1. स्वास्थ्य संबंधी पहल:
  • सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन: यह मिशन सिकल सेल रोग (एससीडी) से पीड़ित आदिवासी समुदायों के बीच इस बीमारी का उन्मूलन करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। इसमें जागरूकता अभियान, सार्वभौमिक स्क्रीनिंग और गुणवत्तापूर्ण उपचार की सुविधा दी जाती है।
  • मिशन इंद्रधनुष: इस मिशन का उद्देश्य आदिवासी समुदायों पर विशेष ध्यान देने के साथ गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए टीकाकरण सुनिश्चित करना है।
  • निक्षय मित्र पहल: यह पहल तपेदिक (टीबी) रोगियों को पोषण और अतिरिक्त चिकित्सा सहायता प्रदान करती है, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में।
  1. सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण:
  • आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के संग्रहालय: सरकार ने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में 10 संग्रहालयों की स्थापना की है। इन संग्रहालयों का उद्देश्य आदिवासी विरासत और उनके संघर्ष को संरक्षित करना है।
  • मानगढ़ धाम का विकास: राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां 1913 में भील आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान हुआ था।

निष्कर्ष: सरकार की इन पहलियों ने जनजातीय समुदायों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और आजीविका के अवसर प्रदान करके, सरकार आदिवासी समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर रही है। आदिवासी संस्कृति, इतिहास और विरासत को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के साथ-साथ, यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि आदिवासी भारत की विकास यात्रा में पूरी तरह से शामिल हों।

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