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हाल ही में, अमेरिका-चीन द्वीपक्षीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समझौता (Science and Technology Cooperation Agreement) को पांच और वर्षों के लिए नवीनीकरण करने पर सहमति व्यक्त हुई है।
अमेरिका-चीन द्वीपक्षीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समझौता:
- समझौते का इतिहास:
- समझौता पहली बार 1979 में हस्ताक्षरित हुआ था।
- इसके बाद से हर पांच साल में इसे नवीनीकरण किया जाता है।
- को–चेयर और कार्यकारी एजेंट नियुक्ति:
- अमेरिका और चीन दोनों देश अपने-अपने को-चेयर नियुक्त करते हैं।
- दोनों देशों से एक-एक एजेंसी को ‘कार्यकारी एजेंट’ के रूप में नामित किया जाता है।
- अतिरिक्त प्रोटोकॉल और उप–समझौते:
- विभिन्न एजेंसियों के बीच अतिरिक्त प्रोटोकॉल हैं।
- 40 उप-समझौते विभिन्न क्षेत्रों में किए गए हैं, जैसे कृषि, परमाणु संलयन आदि।
- नवीनीकरण के प्रावधान:
- नवीनीकरण में शोधकर्ताओं की सुरक्षा और डेटा पारस्परिकता को बढ़ावा देने के प्रावधान शामिल हैं।
- सहयोग को बुनियादी शोध और अंतर सरकारी स्तर तक सीमित किया गया है।
2024 में समझौते में जो नए प्रावधान जोड़े गए:
- बुनियादी शोध तक सीमित:
- समझौता केवल बुनियादी शोध तक सीमित किया गया है और महत्वपूर्ण एवं उभरती तकनीकों में सहयोग से बचने का प्रयास किया गया है।
- इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संवेदनशील तकनीकों का उपयोग चीन द्वारा सैन्य या प्रतिस्पर्धी लाभ के लिए न किया जाए।
- शोधकर्ताओं की सुरक्षा के लिए प्रावधानों का सुधार: शोधकर्ताओं की सुरक्षा और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए नए उपाय जोड़े गए हैं, ताकि दोनों पक्ष अपने-अपने शोध वातावरण की रक्षा करने के मानकों का पालन करें।
- डेटा पारस्परिकता और पारदर्शिता: डेटा साझा करने में पारस्परिकता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नए प्रावधान स्थापित किए गए हैं, जिससे बौद्धिक संपदा अधिकारों और डेटा के दुरुपयोग की चिंताओं को दूर किया जा सके।
- विवाद समाधान तंत्र: एक तंत्र जोड़ा गया है, जो किसी पक्ष द्वारा समझौते की शर्तों का उल्लंघन करने पर विवादों का समाधान करेगा, जिससे सहयोगी परियोजनाओं से उत्पन्न संभावित संघर्षों को नियंत्रित किया जा सके।
- समाप्ति खंड: समझौते में एक खंड शामिल किया गया है, जो “बुरी नीयत कार्य” की स्थिति में प्रस्तावित परियोजनाओं को रद्द करने की अनुमति देता है, ताकि सहयोगात्मक ढांचे का दुरुपयोग रोका जा सके।
चीन और अमेरिका के बीच नवीनीकरण समझौते का महत्व:
- संयुक्त विकल्पों का सामना: अमेरिका के पास तीन विकल्प थे: समझौते को जैसा का वैसा पांच वर्षों के लिए नवीनीकरण करना, इसे रद्द करना, या इसमें नए प्रावधान जोड़कर नवीनीकरण करना। अमेरिका ने तीसरे विकल्प को चुना।
- बुनियादी शोध तक सीमित: समझौता केवल इंटरगवर्नमेंटल स्तर पर, बुनियादी शोध तक और पारस्परिक लाभ के पहले से निर्धारित क्षेत्रों तक सीमित रहेगा।
- महत्वपूर्ण और उभरती तकनीकों का निषेध: समझौता स्पष्ट रूप से महत्वपूर्ण और उभरती तकनीकों से संबंधित काम को बाहर रखता है, और यह सुनिश्चित करता है कि चीनी पक्ष अमेरिकी सुरक्षा और शोधकर्ताओं की सुरक्षा से असमान लाभ नहीं उठा सके।
U.S. को चीन के साथ सहयोग से लाभ:
- चीनी शोध पारिस्थितिकी तंत्र तक पहुंच: समझौते ने अमेरिकी शोधकर्ताओं को चीन के बढ़ते शोध पर्यावरण तक पहुंच प्रदान की है, जिससे दोनों देशों के वैज्ञानिक क्षेत्रों में सहयोगात्मक परियोजनाओं को संभव बनाया गया है।
- R&D निवेश में वृद्धि: इस सहयोग ने दोनों पक्षों के अनुसंधान और विकास निवेश में महत्वपूर्ण वृद्धि का योगदान दिया है, विशेष रूप से चीन के R&D खर्च में 1979 से अब तक भारी वृद्धि हुई है।
- संयुक्त शोध अवसर: STA (विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझौता) ने संयुक्त शोध पहलों को बढ़ावा दिया है, जिसने कृषि, स्वास्थ्य, पर्यावरण विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में प्रगति की है, जिससे दोनों देशों को साझा ज्ञान और नवाचार से लाभ हुआ है।
- शैक्षिक आदान-प्रदान: इस समझौते ने दोनों देशों के छात्रों और वैज्ञानिकों के बीच आवागमन को बढ़ावा दिया है, जिससे शैक्षिक आदान-प्रदान हुआ है और विभिन्न स्तरों पर समझ और सहयोग को बढ़ावा मिला है।