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संयुक्त राष्ट्र महिला रिपोर्ट ने वैश्विक स्तर पर सामाजिक सुरक्षा में लैंगिक असमानताओं को उजागर किया है, जिसके कारण अरबों महिलाएँ और लड़कियाँ गरीबी के दायरे में आ रही हैं। अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस के अवसर पर जारी की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दो अरब से अधिक महिलाएँ और लड़कियाँ किसी भी प्रकार के सामाजिक संरक्षण—जैसे नकद लाभ, बेरोज़गारी बीमा, पेंशन, या स्वास्थ्य सेवा—से वंचित हैं।
संयुक्त राष्ट्र महिला रिपोर्ट की प्रमुख बातें:
- लैंगिक असमानता: “विकास में महिलाओं की भूमिका पर विश्व सर्वेक्षण” रिपोर्ट के अनुसार, 2015 से अब तक हुई प्रगति के बावजूद, कई विकासशील क्षेत्रों में सामाजिक सुरक्षा कवरेज में लैंगिक अंतर बढ़ गया है। यह दर्शाता है कि पुरुषों को हाल की उपलब्धियों से अधिक लाभ मिला है, जबकि महिलाओं और लड़कियों को पीछे छोड़ दिया गया है।
- मातृत्व लाभ की कमी: रिपोर्ट में पाया गया है कि 63 प्रतिशत से अधिक महिलाएँ अभी भी मातृत्व लाभ के बिना बच्चे को जन्म देती हैं। उप-सहारा अफ्रीका में, यह दर 94 प्रतिशत तक पहुँच गई है। मातृत्व अवकाश के दौरान वित्तीय सहायता की कमी महिलाओं की आर्थिक स्थिरता और उनके बच्चों की भलाई पर गंभीर प्रभाव डालती है।
- लिंग-विशिष्ट जोखिम: संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, और आर्थिक झटकों जैसे कारक महिलाओं के लिए लिंग-विशिष्ट जोखिमों को बढ़ाते हैं। 25-34 वर्ष की आयु की महिलाएँ समान आयु के पुरुषों की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक गरीब households में रहने की संभावना रखती हैं।
- मुद्रास्फीति का असंगत प्रभाव: हाल की मुद्रास्फीति ने खाद्य और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों के साथ महिलाओं को विशेष रूप से कठिनाई में डाल दिया है। संकट के बाद, महिलाओं के लिए लिंग-विशिष्ट जोखिम और कमजोरियों को अक्सर अनदेखा किया जाता है।
सकारात्मक उदाहरण:
- मंगोलिया: अनौपचारिक श्रमिकों को मातृत्व अवकाश का लाभ दिया गया है और पितृत्व अवकाश को बढ़ावा दिया गया है।
- मेक्सिको और ट्यूनीशिया: अब घरेलू कामगारों को सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों में शामिल किया जा रहा है।
- सेनेगल: राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का विस्तार किया गया है ताकि यह ग्रामीण महिलाओं की आवश्यकताओं को पूरा कर सके।
लिंग-संवेदनशील सामाजिक सुरक्षा प्रणालियाँ:
- रिपोर्ट लिंग-संवेदनशील सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों के महत्व पर जोर देती है, जो महिलाओं और लड़कियों के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करती हैं।
- शिक्षाविदों, नागरिक समाज और संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के योगदान से प्राप्त प्रगति पर प्रकाश डाला गया है।
निष्कर्ष: संयुक्त राष्ट्र महिला की यह रिपोर्ट हमें याद दिलाती है कि लैंगिक समानता और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है। जब तक सभी महिलाओं और लड़कियों को सामाजिक सुरक्षा की पहुँच नहीं मिलती, तब तक वैश्विक गरीबी उन्मूलन के प्रयास अधूरे रहेंगे।
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