संदर्भ:
समुद्री केबल (Undersea cables) : भारती एयरटेल ने भारत में 2Africa Pearls सबसी केबल (subsea cable) की लैंडिंग की है, जो देश को सीधे अफ्रीका, यूरोप और मध्य पूर्व से जोड़ती है। यह दुनिया की सबसे लंबी केबल (45,000 किमी से अधिक) बनने जा रही है और इससे भारत को 100 Tbps से अधिक डेटा क्षमता मिलेगी।
समुद्री केबल (Undersea cables or submarine communication cables):
Undersea cables या submarine communication cables वे फाइबर-ऑप्टिक केबल होती हैं जो समुद्र तल पर बिछाई जाती हैं और महाद्वीपों के बीच डेटा ट्रांसमिशन का कार्य करती हैं। ये केबल्स वैश्विक इंटरनेट की रीढ़ (backbone) हैं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय संचार का अधिकांश हिस्सा इन्हीं के माध्यम से होता है।
मुख्य तथ्य:
- लगभग 90% डेटा, 80% वैश्विक व्यापार, और करीब $10 ट्रिलियन डॉलर के वित्तीय लेनदेन, साथ ही सरकारी गोपनीय जानकारी इन्हीं केबल्स के ज़रिए होती है।
- ये फाइबर-ऑप्टिक केबल प्रकाश की गति (speed of light) से डेटा ट्रांसफर करती हैं।
- ये केबल्स Tbps (terabits per second) की गति से डेटा भेज सकती हैं, जो कि आज के समय की सबसे तेज़ और विश्वसनीय तकनीक है।
- हजारों टेलीकॉम उपयोगकर्ता एक साथ इन केबल्स का उपयोग कर सकते हैं।
कार्यप्रणाली:
- फाइबर–ऑप्टिक तकनीक: ये केबल्स बाल जितनी पतली काँच की फाइबर्स के माध्यम से प्रकाश संकेत (light signals) भेजती हैं, जिन्हें उच्च गति पर लेज़र द्वारा एन्कोड किया जाता है।
- सिग्नल रिसेप्शन : दूसरी ओर लगे रिसीवर इन प्रकाश संकेतों को इंटरनेट डेटा में बदल देते हैं।
- समुद्र में बिछाना: केबल्स को किनारों के पास जमीन में गाड़ा जाता है और गहरे समुद्र में सीधे बिछा दिया जाता है।
- रूटिंग रणनीति: केबल्स को fault lines, anchors, और fishing zones से बचाकर बिछाया जाता है ताकि नुकसान का खतरा कम हो।
- डेटा वहन क्षमता:एक केबल सैकड़ों टेराबिट्स प्रति सेकंड (Tbps) डेटा वहन कर सकती है, जिससे दुनिया भर में निर्बाध डेटा प्रवाह संभव होता है।
सबमरीन केबल्स की विशेषताएं (Key Features):
- मोटाई: गार्डन होज जैसी मोटाई; जबकि अंदर की core fiber मानव बाल जितनी पतली होती है।
- सुरक्षा परतें: प्लास्टिक, स्टील वायरिंग और इंसुलेशन की कई परतें; तटों के पास अधिक armouring की जाती है।
- उदाहरण (Examples):
- सबसे छोटी: CeltixConnect (131 किमी, आयरलैंड से UK)
- सबसे लंबी: Asia-America Gateway (20,000 किमी)
- लैंडिंग पॉइंट: ये केबल्स समुद्री किनारों पर स्थित लैंडिंग स्टेशन से जुड़ती हैं, जहां से डेटा देशभर में भेजा जाता है।
- वैश्विक कवरेज: लगभग सभी तटीय देश इससे जुड़े हैं, और backup के लिए कई केबल्स होती हैं ताकि इंटरनेट ब्लैकआउट न हो।
भारत में चुनौतियाँ (Challenges in India):
- रुकावट की संभावना: 2023 में Red Sea में कट के कारण भारत के 25% इंटरनेट पर असर पड़ा।
- सीमित लैंडिंग पॉइंट: 95% केबल्स केवल मुंबई के 6 किमी दायरे में उतरती हैं
- जटिल परमिट प्रक्रिया: 51 से अधिक अनुमतियाँ लगती हैं – केबल बिछाने में देरी होती है।
- मरम्मत ढांचा कमजोर: भारत के पास अपने repair जहाज नहीं हैं – विदेशी जहाजों पर निर्भरता है।
- मानवजनित क्षति: मछली पकड़ने वाली नौकाएं और dredging के कारण बार-बार नुकसान होता है।