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हीलियम को समझना: रॉकेट्री और अंतरिक्ष अन्वेषण में इसकी भूमिका

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चर्चा में क्यों ?

हीलियम (helium) से संबंधित समस्याओं के कारण स्पेसएक्स की पोलारिस डॉन मिशन (SpaceX’s Polaris Dawn mission) हाल ही में विलंबित हो गई, जबकि बोइंग के स्टारलाइनर (Boeing’s Starliner) पर सवार दो NASA के अंतरिक्ष यात्री एक दोषपूर्ण प्रोपल्शन सिस्टम, जिसमें हीलियम लीक (helium leak) शामिल है, के कारण लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर बने हुए है।

हाल ही के अंतरिक्ष मिशन जो हीलियम लीक समस्या से प्रभावित हुए  (Recent Space Missions Affected by Helium Leak Issues):

  • स्पेसएक्स की पोलारिस डॉन मिशन (SpaceX’s Polaris Dawn mission) हीलियम से संबंधित समस्याओं के कारण विलंबित हो गई है।
  • बोइंग का स्टारलाइनर मिशन (Boeing’s Starliner mission) हीलियम लीक के कारण अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहना पड़ा था। बिना अंतरिक्ष यात्री के धरती पर वापस आना पड़ा।
  • भूतपूर्व मिशनों में भी हीलियम लीक की समस्या आई है, जैसे कि इसरो की चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) और ईएसए की एरियन 5 (ESA’s Ariane 5)

हीलियम के बारे में (About Helium):

  • अक्रियाशीलता (Inertness): हीलियम एक अक्रिय गैस है, जिसका मतलब है कि यह अन्य पदार्थों के संपर्क में आने पर प्रतिक्रिया या जलती नहीं है।
  • प्रेरक और ठंडा करने में उपयोग (Uses in propellants and cooling): यही वजह है कि हीलियम को रॉकेट और अंतरिक्ष यानों में प्रेसराइजेशन (pressurization) और कूलिंग सिस्टम (cooling systems) के लिए आदर्श माना जाता है।
  • प्रतीक (symbol): हीलियम को “He” प्रतीक द्वारा दर्शाया जाता है । परमाणु नंबर (atomic number) 2 है
  • हल्का तत्व (Lightweight element): हीलियम का परमाणु नंबर (atomic number) 2 है, और यह हाइड्रोजन (hydrogen) के बाद दूसरा सबसे हल्का तत्व है। इससे रॉकेट का वजन कम रहता है, जो कि कक्ष में पहुंचने के लिए आवश्यक गति और ऊँचाई प्राप्त करने में मदद करता है। हीलियम मानक परिस्थितियों में रंगहीन (colorless), गंधहीन (odorless) और स्वादहीन (tasteless) गैस है।
  • अत्यधिक कम उबाल बिंदु (Extremely low boiling point): इसका उबाल बिंदु (boiling point) -268.9°C होता है, जिससे यह अत्यधिक ठंडे वातावरण में भी गैसीय अवस्था में रहता है। इसी कारण रॉकेट ईंधन को ठंडा करने में इसका उपयोग किया जाता है।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव (Health effects): हीलियम विषाक्त नहीं ( non-toxic) है, लेकिन इसे अकेले नहीं इनहेल (inhaled) करना चाहिए क्योंकि यह ऑक्सीजन को विस्थापित कर देता है, जो मानव श्वास के लिए आवश्यक है।

रॉकेटों में हीलियम का उपयोग क्यों किया जाता है (Why is helium used in rockets)?

  • हल्का वजन (Lightweight): हीलियम का वजन बहुत कम होता है, जिससे रॉकेट का कुल वजन घटता है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि हल्का रॉकेट तेजी से गति पकड़ सकता है और ऊँचाई पर पहुँच सकता है।
  • ऊर्जा की दक्षता (Energy efficiency): हल्के रॉकेट को कक्ष में पहुंचने के लिए कम ऊर्जा की जरूरत होती है, जिससे ईंधन की खपत कम होती है और शक्तिशाली और महंगे इंजनों की जरूरत नहीं पड़ती है।
  • कम उबाल बिंदु (Low boiling point): हीलियम का उबाल बिंदु बहुत ही कम (-9°C) होता है, जिससे यह बहुत ठंडे वातावरण में भी गैसीय अवस्था में रहता है। यही कारण है कि रॉकेट ईंधन को ठंडा करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
  • रासायनिक प्रतिक्रिया में निष्क्रियता (Inertness in chemical reactivity): हीलियम एक निष्क्रिय गैस है, जिसका मतलब है कि यह अन्य पदार्थों के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया नहीं करता। यह इसे रॉकेट प्रणोदन प्रणाली और ठंडा करने वाले सिस्टम में सुरक्षित उपयोग के लिए आदर्श बनाता है।
  • विस्थापन गुण (Displacement Properties): हीलियम की गैसीय स्थिति में रहने की क्षमता इसे टैंकों को दबाव में रखने के लिए उपयोगी बनाती है। यह रॉकेट ईंधन के दबाव को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • आवश्यक गति प्राप्त करने में सहायक (Helpful in achieving required speed): क्योंकि हीलियम का वाष्पीकरण बिंदु बहुत कम होता है, यह रॉकेटों को उच्च गति प्राप्त करने में सहायता करता है, जो कक्ष में प्रवेश के लिए आवश्यक होती है।
  • उच्च स्थिरता (High Stability): हीलियम का भौतिक और रासायनिक गुण इसे अत्यधिक ठंडे और कठोर परिस्थितियों में स्थिर बनाए रखते हैं, जिससे रॉकेट प्रणाली की दीर्घकालिक विश्वसनीयता सुनिश्चित होती है।

अंतरिक्ष यानों में हीलियम का उपयोग कैसे किया जाता है (How is helium used in spacecraft)?

  • ईंधन टैंकों का दबाव बनाए रखना (Pressurizing fuel tanks): हीलियम ईंधन टैंकों को दबाव में रखने का काम करता है, जिससे ईंधन का प्रवाह रॉकेट इंजनों तक स्थिर रहता है।
  • ठंडा करने की प्रणाली (Cooling systems): रॉकेट और अंतरिक्ष यानों की ठंडा करने की प्रणालियों में भी हीलियम का उपयोग किया जाता है।
  • दबाव बनाए रखना (Pressurizing): जैसे-जैसे ईंधन का उपयोग होता है, हीलियम ईंधन टैंकों में खाली जगह को भर देता है, जिससे दबाव स्तर स्थिर रहता है।
  • रासायनिक प्रतिक्रिया में निष्क्रियता (Inertness in chemical reactions): हीलियम रासायनिक रूप से निष्क्रिय होता है, इसलिए यह ईंधन टैंकों में बचे हुए सामग्री के साथ सुरक्षित रूप से संपर्क कर सकता है।

 क्या हीलियम लीक होने की संभावना होती है (Is helium prone to leaks)?

हीलियम लीक होने की संभावना होती है, और इसके पीछे कुछ मुख्य कारण हैं (Helium is prone to leaks, and there are a few main reasons behind this):

  • छोटे परमाणु आकार और कम आणविक वजन (Small atomic size and low molecular weight): हीलियम के परमाणु छोटे होते हैं और इसका आणविक वजन (molecular weight) भी कम होता है, जिससे यह छोटे छिद्रों या सील से बाहर निकल सकता है।
  • गैस की मात्रा और पता लगाना (Gas quantity and detection): पृथ्वी के वायुमंडल में हीलियम की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे लीक का पता लगाना आसान हो जाता है। यह गैस रॉकेट या अंतरिक्ष यान के ईंधन सिस्टम में संभावित दोषों की पहचान करने में मदद करती है।

हीलियम के विकल्प (Alternatives to helium):

आर्गन और नाइट्रोजन (Argon and nitrogen): कुछ रॉकेट लॉन्चों ने आर्गन और नाइट्रोजन जैसे अन्य इनर्ट गैसों का उपयोग किया है। ये गैसें कभी-कभी सस्ती होती हैं, लेकिन हीलियम अभी भी उद्योग में मानक के रूप में बनी हुई है।

ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को गैस में बदलकर प्रेशर बनाए रखने का नया सिस्टम (New pressurization system by converting oxygen and hydrogen into gas): यूरोप की नई एरियन 6 रॉकेट ने ईंधन को प्रेशराइज करने के लिए हीलियम का उपयोग बंद कर दिया है। इसके बजाय, इसने अपने तरल ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के छोटे हिस्से को गैस में बदलकर प्रेशर बनाए रखने का नया सिस्टम अपनाया।

एरियन 6 की लॉन्च समस्या (Ariane 6 launch problem): हालांकि, एरियन 6 के पहले लॉन्च के दौरान, इस नए प्रेशराइजेशन सिस्टम ने अंतरिक्ष में काम नहीं किया, जिससे वैश्विक रॉकेट उद्योग को प्रेशराइजेशन चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

हीलियम के अन्य उपयोग (Other uses for helium):

  • मेडिकल इमेजिंग (Medical imaging): हीलियम का उपयोग MRI (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) मशीनों में किया जाता है, क्योंकि यह सुपरकूलिंग के लिए जरूरी होता है जो मशीन की मैग्नेट्स को उच्च क्षमता पर काम करने में सक्षम बनाता है।
  • विज्ञान प्रयोग (Science experiments): हीलियम का उपयोग वैज्ञानिक प्रयोगों में किया जाता है, जैसे कि क्वांटम फिजिक्स और कंडक्टिविटी स्टडीज़ में, जहां इसकी कम तापीय चालकता की जरूरत होती है।
  • वायर्ड गैस (Wired gas): हीलियम का उपयोग हेलीओमेटेड बैलूनों और एयरशिप्स में किया जाता है। यह सुरक्षित होता है क्योंकि यह ज्वलनशील नहीं है, unlike हाइड्रोजन।
  • लिक्विड क्रायोजेन (Liquid cryogen): हीलियम को लिक्विड स्टेट में इस्तेमाल किया जाता है, विशेषकर क्रायोजेनिक स्थितियों में, जैसे कि सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट्स और कुछ विज्ञान प्रयोगों में।
  • कूलिंग (Cooling): हीलियम का उपयोग उच्च तकनीक वाले कूलिंग सिस्टम्स में किया जाता है, जैसे कि न्यूक्लियर रिएक्टरों और रॉकेट इंजनों में।
  • विज्ञान और अनुसंधान (Science and research): हीलियम का उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले लेज़र और कैमरा सिस्टम में भी किया जाता है, जहां इसकी शुद्धता और स्थिरता महत्वपूर्ण होती है।
  • बैलून में (Balloons): हीलियम का प्रयोग पार्टियों और आयोजनों में बैलून भरने के लिए भी किया जाता है, क्योंकि यह हवा से हल्का होता है और बैलून को ऊपर उठाने में मदद करता है।

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