United Nations Ocean Conference 2025
संदर्भ:
फ्रांस के नीस शहर में आयोजित तीसरे संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (UNOC) का समापन समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा और महासागरों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करने हेतु कई महत्वपूर्ण वैश्विक संकल्पों के साथ हुआ। सम्मेलन में देशों ने समुद्री जीवन, जलवायु और समुद्री संसाधनों के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
United Nations Ocean Conference 2025 (UNOC): मुख्य बिंदु
- आयोजन: तीसरा संस्करण, 2025 में आयोजित
- मेजबान देश: फ्रांस और कोस्टा रिका (संयुक्त रूप से)
- स्थान: फ्रांस के नाइस शहर में
- थीम: “Accelerating action and mobilizing all actors to conserve and sustainably use the ocean”
- लक्ष्य: समुद्रों की रक्षा हेतु वैश्विक कार्यों में तेजी लाना, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय समुद्री जल क्षेत्रों में
- मुख्य उद्देश्य: संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 14 (SDG 14 – Life Below Water) को लागू करने में सहयोग देना और Nice Ocean Action Plan को आकार देना।
तीन प्राथमिकताएँ:
- बहुपक्षीय प्रक्रियाओं की पूर्ति: समुद्र से संबंधित अंतरराष्ट्रीय समझौतों को पूरा करने की दिशा में ठोस प्रगति
- वित्तीय संसाधनों का जुटाव: SDG14 के लिए फंडिंग जुटाना, टिकाऊ “ब्लू इकॉनॉमी” को विकसित करने में सहयोग देना
- समुद्री विज्ञान का ज्ञान प्रसार: विज्ञान-आधारित नीति निर्माण को बढ़ावा देने हेतु ज्ञान साझा करना और वैज्ञानिक अनुसंधानों को नीति निर्माताओं तक पहुंचाना
UNOC (संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन) –
- उद्देश्य:UNOC के तीसरे संस्करण का मकसद था महासागरों की रक्षा के लिए कार्रवाई को तेज करना, खासकर उन क्षेत्रों में जो किसी देश की सीमा में नहीं आते (अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र)।
- मुख्य लक्ष्य:
- अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्रों में संरक्षित समुद्री क्षेत्र (Marine Protected Areas – MPAs) बनाना
- अत्यधिक मछली पकड़नेऔर गहरे समुद्र में खनन को रोकना
- Convention on Biological Diversity के तहत वर्ष 2030 तक30% समुद्री और तटीय क्षेत्रों को संरक्षित करना।
- प्रमुख फोकस:महासागर के वे हिस्से जो किसी भी देश के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते — यानी वैश्विक संपत्ति (Global Commons) माने जाते हैं।
मुख्य संधि:
- BBNJ (Biodiversity Beyond National Jurisdiction) संधि, जिसेHigh Seas Treaty भी कहते हैं।
- यह संधि तभी प्रभावी होगी जब60 देश इसे औपचारिक रूप से अनुमोदित (ratify) कर देंगे।
- अभी तक56 देशों ने अनुमोदन किया है (भारत प्रक्रिया में है, अमेरिका ने अब तक अनुमोदन नहीं किया)।
- यह संधि लागू होने के बाद:
- राष्ट्रीय सीमा से बाहर संरक्षित समुद्री क्षेत्र बनाएगी
- पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकनअनिवार्य करेगी
- समुद्री जैविक संसाधनों (marine genetic resources) को नियंत्रित करेगी
- विकासशील देशों की मदद और प्रशिक्षणको बढ़ावा देगी
भविष्य की योजना:
- संयुक्त राष्ट्र को उम्मीद है किसितंबर 2025 तक 70 अनुमोदन पूरे हो जाएंगे
- और2026 के अंत तक पहला BBNJ कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP) आयोजित किया जाएगा
BBNJ संधि से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ–
लाभों के बंटवारे पर मतभेद:
- अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में दुर्लभ समुद्री जीवपाए जाते हैं, जिनसे भविष्य में औषधीय या अन्य व्यावसायिक लाभ हो सकते हैं।
- परंतु यह तय नहीं है किउनसे होने वाला लाभ कैसे और किन देशों में बाँटा जाएगा, क्योंकि यह क्षेत्र किसी के अधिकार में नहीं है।
उत्खनन (extraction) पर प्रतिबंध नहीं:
- कई पर्यावरण संगठनों का कहना है किअगर समुद्री संसाधनों के दोहन पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया, तो महासागरों की रक्षा अधूरी रह जाएगी।
- यानी संरक्षण और व्यापारिक हितों के बीच टकराव बना हुआ है।