संदर्भ:
संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन ने आपसी व्यापार युद्ध में 90-दिन की संघर्षविराम अवधि के तहत आपसी टैरिफ (शुल्कों) में 115% की कटौती पर सहमति व्यक्त की है। यह समझौता जिनेवा में अमेरिका के ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट और चीन के उप-प्रधानमंत्री हे लीफेंग के बीच उच्च स्तरीय वार्ता के बाद अंतिम रूप से तय किया गया।
अमेरिका–चीन व्यापार युद्ध: पृष्ठभूमि और वार्ता प्रक्रिया:
पृष्ठभूमि:
- अमेरिकी टैरिफ: अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 145% टैरिफ लगाया।
- चीन की प्रतिक्रिया: चीन ने अमेरिकी आयात पर 125% टैरिफ लगाया और दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए।
- वैश्विक प्रभाव: इस संघर्ष ने वैश्विक व्यापार को बाधित किया और मुद्रास्फीति के दबाव को बढ़ाया।
वार्ता प्रक्रिया:
- वार्ता स्थल: वार्ताएं जिनेवा में आयोजित हुईं।
- प्रतिनिधि: अमेरिका: स्कॉट बेसेन्ट, चीन: हे लीफेंग
अमेरिका–चीन व्यापार युद्ध:
टैरिफ लगाने के कारण:
- व्यापार असंतुलन:
- अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ने $1.2 ट्रिलियन व्यापार घाटे को टैरिफ का औचित्य बताया।
- ट्रंप प्रशासन ने इसे अमेरिका के लिए “नुकसान” माना, क्योंकि व्यापार साझेदार अपने उद्योगों की रक्षा और सब्सिडी करते थे, जबकि अमेरिकी बाजार खुले रहते थे।
- रणनीतिक संरक्षणवाद:
- प्रशासन का मानना था कि केवल बातचीत से वैश्विक व्यापार व्यवहार में बदलाव नहीं आया।
- उच्च टैरिफ को अन्य देशों के बाजार खोलने के लिए एक उपकरण के रूप में देखा गया।
जिनेवा वार्ता के बाद संशोधित टैरिफ:
समझौता:
- दोनों देशों के बीच 90-दिन के विराम और टैरिफ स्तर में महत्वपूर्ण कमी पर सहमति।
- “पारस्परिक” टैरिफ 125% से घटाकर 10% करने का निर्णय।
विशेष प्रावधान:
- फेंटेनाइल से संबंधित चीनी आयात पर अमेरिका का 20% शुल्क यथावत रहेगा।
- कुल मिलाकर, चीन पर अमेरिकी टैरिफ 30% तक सीमित रहेगा।
टैरिफ:
परिभाषा: टैरिफ एक कर है जो सरकार द्वारा आयातित वस्तुओं पर लगाया जाता है। इसे आमतौर पर आयातित वस्तु के मूल्य के प्रतिशत के रूप में गणना किया जाता है।
उद्देश्य:
- घरेलू उद्योगों की सुरक्षा: आयातित वस्तुओं को महंगा बनाकर घरेलू उत्पादकों को बढ़ावा देना।
- राजस्व सृजन: सरकार के लिए आय के स्रोत के रूप में कार्य करना।
- व्यापार नियमन: अन्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को नियंत्रित करना।
अमेरिका–चीन व्यापार युद्ध में सुधार:
- वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता में कमी: टैरिफ में कमी से वैश्विक व्यापार में स्थिरता आने की संभावना।
- कूटनीतिक और व्यापारिक वार्ताओं के लिए अवसर: समझौता आगे के संवाद और व्यापार समझौतों का मार्ग प्रशस्त करता है।
भारत की भूमिका में वृद्धि: वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की संभावनाएं मजबूत।