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संदर्भ:
एक हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत में एनीमिया केवल आयरन की कमी (Iron Deficiency) से ही नहीं, बल्कि कई अन्य कारणों से भी हो सकता है। इनमें विटामिन B12 की कमी और वायु प्रदूषण जैसे कारक शामिल हैं। यह शोध एनीमिया के व्यापक कारणों को समझने और इसके निदान की दिशा में महत्वपूर्ण है।
एनीमिया के बारे में:
एनीमिया एक ऐसी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) या हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है, जिससे शरीर के ऊतकों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी आती है।
एनीमिया के प्रमुख लक्षण:
- थकान और कमजोरी
- पीली त्वचा
- सांस फूलना
एनीमिया के प्रकार:
- आयरन–डिफिशियेंसी एनीमिया (Iron-Deficiency Anaemia):
- यह तब होता है जब शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आवश्यक पर्याप्त आयरन नहीं होता।
- कारण: खराब आहार, रक्तस्राव, या आयरन अवशोषण में समस्या।
- विटामिन–डिफिशियेंसी एनीमिया (Vitamin-Deficiency Anaemia): यह शरीर में विटामिन B12 या फोलेट की कमी के कारण होता है, जो RBC उत्पादन के लिए आवश्यक होते हैं।
- अप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic Anaemia): यह तब होता है जब अस्थि मज्जा (Bone Marrow) पर्याप्त RBC का उत्पादन नहीं कर पाती।
- सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anaemia): यह एक अनुवांशिक रोग है, जिसमें RBC असामान्य आकार के हो जाते हैं, जिससे रक्त प्रवाह में रुकावट और ऑक्सीजन आपूर्ति में कमी हो सकती है।
- हीमोलिटिक एनीमिया (Hemolytic Anaemia): यह RBCs के असमय टूटने (Premature Destruction) के कारण होता है।
- थैलेसीमिया (Thalassemia): यह एक अनुवांशिक विकार है, जिसमें असामान्य हीमोग्लोबिन का उत्पादन होता है।
- क्रॉनिक डिजीज एनीमिया (Anaemia of Chronic Disease): यह कैंसर, गुर्दे की बीमारी जैसी दीर्घकालिक बीमारियों से संबंधित होता है।
भारत में एनीमिया का बोझ:
भारत में एनीमिया की समस्या गंभीर रूप से बढ़ रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-21) के अनुसार:
- 15-49 वर्ष की महिलाओं में: 57%
- 6-59 माह के बच्चों में: 67%
- 15-19 वर्ष की किशोरियों में: 59%
- 15-19 वर्ष के किशोर लड़कों में: 31%
भारत में एनीमिया बढ़ने के कारण:
- पोषण संबंधी कमियाँ:
- विटामिन B12, फोलेट और अन्य एरिथ्रोपोएटिक पोषक तत्वों की कमी।
- एरिथ्रोपोएटिक पोषक तत्व वे आवश्यक तत्व हैं जो हीमोग्लोबिन संश्लेषण और लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करते हैं।
- पर्यावरणीय कारक: वायु प्रदूषण और अस्वच्छ वातावरण एनीमिया की समस्या को बढ़ाते हैं।
- रक्त संग्रहण विधियाँ: एनएफएचएस (NFHS) में प्रयुक्त कैपिलरी ब्लड सैंपल शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से एनीमिया की व्यापकता को बढ़ा-चढ़ाकर दिखा सकते हैं।
- आहार संबंधी आदतें: अपर्याप्त आहार विविधता पोषक तत्वों के अवशोषण को सीमित करती है, जिससे एनीमिया की समस्या बढ़ती है।