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मतदाता पहचान संख्या की दोहरीकरण समस्या

सामान्य अध्ययन पेपर II: संवैधानिक निकाय, पारदर्शिता और जवाबदेहिता 

चर्चा में क्यों? 

मतदाता पहचान संख्या: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि कई मतदाताओं को एक ही EPIC नंबर जारी किया गया है। चुनाव आयोग ने इसे ERONET से पहले की तकनीकी त्रुटि मानते हुए तीन महीने में समाधान का भरोसा दिया है।

मतदाता पहचान संख्या EPIC नंबर (मतदाता फोटो पहचान पत्र संख्या) क्या हैं?

भारत में चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए EPIC नंबर (निर्वाचक फोटो पहचान पत्र संख्या) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

  • यह एक 10 अंकों का अल्फान्यूमेरिक कोड होता है, जिसे भारत के प्रत्येक पंजीकृत मतदाता को जारी किया जाता है। 
  • इसे वर्ष 1993 में मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के तहत शुरू किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य मतदाता प्रतिरूपण (Voter Impersonation) और चुनावी धोखाधड़ी को रोकना था।
  • यह संख्या तीन अक्षरों के कोड से शुरू होती है, जिसके बाद सात अंकों की संख्या होती है। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र (Assembly Constituency) के लिए एक कार्यात्मक विशिष्ट क्रम संख्या (Functional Unique Serial Number – FUSN) भी प्रदान की जाती है।
  • EPIC नंबर न केवल किसी व्यक्ति की पहचान और नागरिकता प्रमाणित करता है, बल्कि इसे निवास और आयु प्रमाण के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।
  • आम चुनावों के दौरान, यह मतदाता की विशिष्ट पहचान (Unique Identification) सुनिश्चित करता है, जिससे कोई भी मतदाता केवल अपने पंजीकृत मतदान केंद्र पर ही मतदान कर सकता है। 
  • EPIC नंबर के साथ मतदाता का फोटो, निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र की जानकारी जुड़ी होती है, जिससे किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना कम हो जाती है।
  • EPIC नंबर को मतदाता पहचान पत्र के ऊपरी दाएँ कोने में देखा जा सकता है। यह पुराने मतदाता पहचान पत्रों में निर्वाचक पहचान संख्या (Elector Identification Number) के समान ही होता है। 
  • हालांकि, EPIC नंबर मात्र मतदान की पात्रता निर्धारित नहीं करता है। 
  • EPIC नंबर का निर्माण और प्रबंधन ERONET (निर्वाचन सूची प्रबंधन प्रणाली) के माध्यम से किया जाता है। यह प्रणाली कई भाषाओं और लिपियों में कार्य कर सकती है।
  • चुनाव आयोग (ECI) ने स्पष्ट किया है कि एक ही EPIC नंबर का मतलब यह नहीं है कि एक ही व्यक्ति कई बार वोट डाल सकता है। 

EPIC नंबर व्यवस्था क्यों आवश्यक है?

भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए मतदाता पहचान प्रणाली का मजबूत और प्रभावी होना अनिवार्य है। EPIC (Electors Photo Identity Card) नंबर व्यवस्था इसी उद्देश्य से लागू की गई थी, ताकि हर नागरिक की मतदाता पहचान सुनिश्चित हो सके और किसी भी तरह की चुनावी धांधली को रोका जा सके।

  • फर्जी मतदान को रोकना: पहले के चुनावों में मतदाता पहचान की ठोस व्यवस्था न होने के कारण फर्जी मतदान और दोहरे पंजीकरण जैसी समस्याएँ सामने आती थीं। कई मतदाता एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हो जाते थे, जिससे चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठते थे। EPIC नंबर हर मतदाता को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि एक व्यक्ति केवल एक ही स्थान से मतदान कर सके।
  • पारदर्शिता और विश्वसनीयता: EPIC नंबर मतदाता सूची को सुव्यवस्थित और डिजिटल रूप से संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रत्येक मतदाता को एक अल्फ़ान्यूमेरिक (अक्षर-संख्या मिश्रित) EPIC नंबर दिया जाता है, जिससे मतदाता सूची में किसी भी अनियमितता को तुरंत पहचाना जा सकता है।
  • डिजिटलीकरण: EPIC नंबर प्रणाली के तहत, निर्वाचन आयोग ने “ERONET” जैसी डिजिटल प्रणाली लागू की, जो मतदाता सूची के स्वचालित प्रबंधन में मदद करती है। इससे पंजीकरण, स्थानांतरण और मतदाता सूची में संशोधन प्रक्रिया तेज़ और कुशल हो गई है।

EPIC नंबर जारी करने की ERONET प्रणाली:

पहले मतदाता सूची का प्रबंधन पारंपरिक कागज़ी रिकॉर्ड पर आधारित था, जिससे डेटा त्रुटियों और दोहरे पंजीकरण जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती थीं। इन समस्याओं को हल करने के लिए निर्वाचन आयोग ने 2017 के बाद से, ERONET (Electoral Roll Management System) प्रणाली को लागू किया। यह एक वेब-आधारित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, जो मतदाता सूची के पंजीकरण, संशोधन, स्थानांतरण और विलोपन की प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाता है।

  • नया मतदाता: 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नागरिक ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन पत्र (फॉर्म 6) जमा करने के बाद निर्वाचन अधिकारी डेटा को ERONET पर सत्यापित करता है। सफल सत्यापन के बाद EPIC नंबर जारी किया जाता है और मतदाता सूची में नाम दर्ज किया जाता है।
  • स्थानांतरण प्रक्रिया: अगर कोई मतदाता किसी अन्य निर्वाचन क्षेत्र में स्थानांतरित होता है, तो उसे स्थानांतरण हेतु आवेदन (फॉर्म 8) भरना होता है। ERONET प्रणाली पुराने क्षेत्र से मतदाता का नाम हटाकर नए क्षेत्र में जोड़ने की प्रक्रिया को डिजिटल रूप से निष्पादित करती है।
  • संशोधन: गलत जानकारी सुधारने या नाम हटाने के लिए भी ERONET प्रणाली का उपयोग किया जाता है। त्रुटि सुधार, मृत्यु के बाद नाम हटाना, या किसी व्यक्ति द्वारा स्वेच्छा से नाम विलोपित करने की प्रक्रिया पूरी तरह स्वचालित और पारदर्शी हो चुकी है।
  • डिजिटलीकरण के दौर में निर्वाचन आयोग ने EPIC कार्ड का डिजिटल वर्जन भी जारी किया है, जिसे मतदाता डिजीलॉकर में स्टोर कर सकते हैं। अब मतदाताओं को फिज़िकल वोटर आईडी कार्ड रखने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि वे इसे अपने स्मार्टफोन या अन्य डिजिटल माध्यमों से दिखा सकते हैं।

EPIC नंबर से जुड़े मुद्दे और समस्या:

भारतीय निर्वाचन प्रणाली में EPIC (Electors Photo Identity Card) नंबर एक महत्वपूर्ण पहचान पत्र है, इसके क्रियान्वयन में कई तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियाँ सामने आई हैं, जिनके कारण मतदाताओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

  • डुप्लिकेट EPIC नंबर: EPIC नंबर का हर मतदाता के लिए अद्वितीय (Unique) होना आवश्यक है, लेकिन कुछ मामलों में यह दो या अधिक मतदाताओं को आवंटित हो जाता है। इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि अगर फोटो का मिलान नहीं होता, तो मतदाता को वोट डालने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
    • मतदाता पंजीकरण की त्रुटियों के कारण कभी-कभी दो अलग-अलग व्यक्तियों को एक ही EPIC नंबर जारी कर दिया जाता है।
  • EPIC नंबर का विवाद: कुछ मामलों में, एक ही EPIC नंबर विभिन्न राज्यों में दो अलग-अलग मतदाताओं को जारी कर दिया गया है। यदि ऐसे मतदाताओं की तस्वीरों का मिलान नहीं होता, तो उनका EPIC नंबर अमान्य घोषित किया जा सकता है। ऐसी स्थितियों में, पात्र मतदाता भी मतदान से वंचित हो सकते हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि यह सुनियोजित साजिश हो सकती है, जिससे कुछ वर्गों के मतदाता वोट न डाल सकें।
    • अब प्रत्येक मतदाता को पहली बार EPIC नंबर जारी करने पर एक विशिष्ट (Unique) नंबर आवंटित किया जाता है।
    • अगर किसी मतदाता का EPIC कार्ड खो जाता है या नया कार्ड बनवाना होता है, तो मूल EPIC नंबर वही रहता है और नया नंबर नहीं दिया जाता।

EPIC नंबर विवाद पर निर्वाचन आयोग का रुख

भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने EPIC नंबर से जुड़े विवादों और मतदाता सूची में दोहराव की समस्या को गंभीरता से लिया है। हाल ही में डुप्लिकेट EPIC नंबर को देखते हुए आयोग ने निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (EPIC) प्रणाली में व्यापक सुधार की घोषणा की है।

  • निर्वाचन आयोग ने यह भी घोषणा की है कि ERONET 2.0 प्लेटफॉर्म को अपडेट किया जाएगा, जिससे EPIC नंबर की पुनरावृत्ति की समस्या का स्थायी समाधान किया जा सके।
  • ERONET 2.0 एक डिजिटल प्रणाली होगी, जो मतदाता डेटा को अधिक सटीक रूप से प्रबंधित करेगी और EPIC नंबर को पूरी तरह से अद्वितीय बनाएगी।
  • जिन मतदाताओं के EPIC नंबर डुप्लिकेट पाए गए हैं, उन्हें नया और विशिष्ट EPIC नंबर जारी किया जाएगा, ताकि उनकी मतदान प्रक्रिया प्रभावित न हो।
  • इस डिजिटल सुधार से मतदाता सूची की पारदर्शिता और सटीकता बढ़ेगी, जिससे भविष्य में चुनावी प्रक्रिया में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोका जा सके।

UPSC पिछले वर्ष का प्रश्न (PYQ)

प्रश्न (2018): इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के इस्तेमाल संबंधी हाल के विवाद के आलोक में, भारत में चुनावों की विश्‍वास्यता सुनिश्चित करने के लिये भारत के निर्वाचन आयोग के समक्ष क्या-क्या चुनौतियाँ हैं? 

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