GS Paper II: स्वास्थ्य, महिलाओं से जुड़े मुद्दे, सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप |
चर्चा में क्यों?
4 फरवरी 2025 को विश्व कैंसर दिवस विश्वभर में मनाया गया, जिसका उद्देश्य कैंसर के बढ़ते मामलों के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। इस अवसर पर लोगों को कैंसर की रोकथाम और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के महत्व के बारे में शिक्षित किया गया, ताकि इस गंभीर बीमारी से प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सके।
विश्व कैंसर दिवस का परिचय
विश्व कैंसर दिवस हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है। यह एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाना, शुरुआती पहचान को प्रोत्साहित करना, रोकथाम के उपाय अपनाना और इस घातक बीमारी से प्रभावित व्यक्तियों और परिवारों को समर्थन प्रदान करना है।
- विश्व कैंसर दिवस की स्थापना 2000 में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) द्वारा की गई थी। इस दिन का लक्ष्य सरकारों, स्वास्थ्य संगठनों, गैर-लाभकारी संस्थाओं और आम जनता को कैंसर के खिलाफ एकजुट करना है।
- कैंसर वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है, जो प्रति वर्ष लगभग 1 करोड़ मौतों का कारण बनता है (विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार)। इस दिन का महत्व इस मिशन में है:
- कैंसर की रोकथाम, पहचान, और उपचार के विकल्पों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना।
- सभी कैंसर रोगियों के लिए समान स्वास्थ्य सुविधाओं की वकालत करना।
- कैंसर देखभाल और वित्तपोषण में मौजूद कमियों को दूर करने के लिए समुदायों और नीति-निर्माताओं को सक्रिय करना।
- विश्व कैंसर दिवस का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG) 3.4 के तहत निर्धारित वैश्विक दृष्टिकोण से मेल खाता है। यह लक्ष्य 2030 तक गैर-संचारी रोगों (NCDs) जैसे कैंसर से होने वाली समयपूर्व मौतों को एक-तिहाई तक कम करने, प्रभावी रोकथाम और समय पर उपचार सुनिश्चित करने, और मानसिक स्वास्थ्य व कल्याण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
विश्व कैंसर दिवस 2025 – विषय (Theme)
“यूनाइटेड बाय यूनिक” (United by Unique) को 2025 के विश्व कैंसर दिवस की थीम के रूप में चुना गया है।
- यह थीम कैंसर देखभाल और उपचार में व्यक्तियों को केंद्र में रखने के महत्व पर जोर देती है।
- इसका उद्देश्य हर कैंसर रोगी की अनूठी ज़रूरतों को समझते हुए संवेदनशील, समान और व्यक्तिगत रूप से उपयुक्त उपचार प्रदान करना है।
- यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) के अनुसार, यह अभियान कैंसर उपचार में बदलाव लाने के लिए निम्नलिखित पहलुओं पर केंद्रित है:
- व्यक्तिगत देखभाल: हर मरीज की अलग ज़रूरतें, प्राथमिकताएं और परिस्थितियों को पहचानते हुए, उनके लिए अनुकूलित उपचार प्रदान करना।
- समान पहुंच: निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में कैंसर देखभाल की चुनौती को देखते हुए, उन्नत उपचार और समर्थन तक समान पहुंच सुनिश्चित करना।
विश्व कैंसर दिवस का इतिहास
- विश्व कैंसर दिवस एक वैश्विक पहल है, जिसका नेतृत्व यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) करता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना अंतरराष्ट्रीय कैंसर संगठन है।
- विश्व कैंसर दिवस को आधिकारिक रूप से 4 फरवरी 2000 को पेरिस, फ्रांस में आयोजित “नए सहस्राब्दी के लिए कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन” (World Summit Against Cancer for the New Millennium) के दौरान स्थापित किया गया था।
- पेरिस चार्टर (Paris Charter) इस शिखर सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ था, जिसने कैंसर के खिलाफ एकजुट वैश्विक प्रतिबद्धता को निम्नलिखित लक्ष्यों के साथ परिभाषित किया:
- कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा देना: कैंसर को समझने के लिए और इसे हराने के लिए वैज्ञानिक प्रगति को प्रोत्साहित करना।
- कैंसर की रोकथाम: तंबाकू का सेवन, अस्वस्थ खानपान और पर्यावरणीय खतरों जैसे जोखिम कारकों के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
- रोगी सेवाओं में सुधार: कैंसर से प्रभावित लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण देखभाल और सहायता सुनिश्चित करना।
- वैश्विक समुदाय को सक्रिय करना: व्यक्तियों, संगठनों और सरकारों को एकजुट कर कैंसर के खिलाफ सामूहिक रूप से कार्य करना।
- पेरिस चार्टर ने विश्व कैंसर दिवस को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में औपचारिक रूप से अपनाया, ताकि इसे जागरूकता और कार्रवाई का एक प्रेरक बिंदु बनाया जा सके।
- 2014 में इस दिवस का ध्यान विश्व कैंसर घोषणा के लक्ष्य 5 पर केंद्रित था, जिसका उद्देश्य कैंसर और इस बीमारी से संबंधित मिथकों को तोड़ना था।
- आज, विश्व कैंसर दिवस एक मजबूत आंदोलन बन चुका है, जो दुनियाभर में लाखों लोगों को जागरूकता और कार्रवाई के लिए प्रेरित करता है।
यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC):
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भारत में कैंसर की स्थिति
भारत में कैंसर एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनता जा रहा है। यह बीमारी जीवनशैली में बदलाव, पर्यावरणीय कारकों और बढ़ती उम्र की जनसंख्या के कारण तेजी से बढ़ रही है।
- कैंसर के मामले: साल 2022 में भारत में 14.6 लाख नए कैंसर मामले दर्ज किए गए। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 15.7 लाख तक पहुंच सकता है। यह स्थिति कैंसर की रोकथाम के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता को दर्शाती है।
- लिंग आधारित प्रभाव:
- पुरुषों में आमतौर पर फेफड़ों, मुंह और पेट के कैंसर के मामले अधिक देखे जाते हैं।
- महिलाओं में स्तन, गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) और डिंबग्रंथि (ओवरी) से संबंधित कैंसर अधिक होते हैं।
- क्षेत्रीय असमानताएं:
- शहरी क्षेत्रों में कैंसर के मामले जीवनशैली से जुड़े कारकों (जैसे धूम्रपान, खानपान) के कारण अधिक हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण आधारित कैंसर, जैसे कि गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर, ज्यादा देखे जाते हैं।
- मृत्यु दर: भारत में हर साल लगभग 8 लाख लोग कैंसर के कारण अपनी जान गंवाते हैं। यह देरी से निदान और सीमित स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता जैसे कारणों को उजागर करता है।
- जांच और निदान: कैंसर के मामलों में शुरुआती चरणों में पहचान बहुत कम होती है। केवल 12.5% मामलों का निदान आरंभिक चरण में हो पाता है, जिससे जीवित रहने की संभावना घट जाती है।
भारत में कैंसर से जुड़ी चुनौतियां
भारत में कैंसर से निपटना कई चुनौतियों से घिरा हुआ है। यह बीमारी न केवल जागरूकता की कमी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं और उपचार में असमानता के कारण भी एक गंभीर समस्या बन गई है।
- कम जागरूकता: कैंसर के लक्षण, जोखिम कारक और नियमित जांच की महत्वता के बारे में जागरूकता की कमी, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, देर से निदान का मुख्य कारण है।
- अपर्याप्त जांच सुविधाएं: स्तन, गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) और मुंह के कैंसर के लिए जांच केंद्रों की सीमित उपलब्धता के कारण कैंसर का समय पर पता नहीं चल पाता।
- स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का बुनियादी ढांचा कमजोर है और भौगोलिक बाधाएं विशेषज्ञ कैंसर देखभाल तक पहुंच को मुश्किल बनाती हैं।
- उपचार की उच्च लागत: कैंसर का इलाज बहुत महंगा होता है, जिससे कम आय वर्ग के परिवारों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है और गुणवत्तापूर्ण इलाज उनके लिए असंभव बन जाता है।
- सामाजिक कलंक: कैंसर को लेकर समाज में फैले भय और stigma (कलंक) के कारण लोग समय पर चिकित्सा सहायता लेने से कतराते हैं।
- विशेषज्ञों की कमी: प्रशिक्षित ऑन्कोलॉजिस्ट (कैंसर विशेषज्ञ) और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी के कारण गुणवत्तापूर्ण इलाज तक पहुंच सीमित हो जाती है।
- जीवनशैली से जुड़े जोखिम कारक: तंबाकू का सेवन, अस्वस्थ आहार, शारीरिक गतिविधियों की कमी और पर्यावरण प्रदूषण भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों के प्रमुख कारण हैं।
कैंसर उपचार के लिए भारत सरकार की पहल
भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने कई महत्त्वपूर्ण पहल की हैं। इन पहलों का उद्देश्य कैंसर की रोकथाम, प्रारंभिक पहचान और सस्ती व गुणवत्तापूर्ण उपचार सुविधाओं को सुनिश्चित करना है।
- राष्ट्रीय कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक रोकथाम व नियंत्रण कार्यक्रम (NPCDCS): यह कार्यक्रम कैंसर की रोकथाम, प्रारंभिक पहचान और सस्ती उपचार सुविधाओं पर केंद्रित है। इसके तहत जागरूकता अभियान, स्क्रीनिंग कार्यक्रम और स्वास्थ्य सेवाओं के ढांचे को मजबूत किया जा रहा है।
- राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (NCG): यह ग्रिड 250 से अधिक कैंसर केंद्रों को आपस में जोड़ता है। इसका उद्देश्य कैंसर उपचार को मानकीकृत करना, उपचार प्रक्रियाओं में सुधार लाना और देशभर में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा और देखभाल सुविधा उपलब्ध कराना है।
- राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस: हर साल 7 नवंबर को मनाया जाने वाला यह दिवस कैंसर की रोकथाम और प्रारंभिक पहचान के महत्व को बढ़ावा देता है।
- एचपीवी वैक्सीन का प्रचार: सरकार गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) कैंसर के मामलों को कम करने के लिए एचपीवी वैक्सीन को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है, खासकर किशोरी लड़कियों के बीच।
- जिला अस्पतालों में डे-केयर कैंसर केंद्र: केंद्रीय बजट में घोषित यह पहल कैंसर उपचार को विकेंद्रीकृत करने का प्रयास है। 2025-26 तक 200 डे-केयर कैंसर केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जहां कीमोथेरेपी और बुनियादी उपचार की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। यह ग्रामीण मरीजों के लिए सहूलियत बढ़ाएगा और महानगरों के बड़े अस्पतालों पर रोगियों का दबाव कम करेगा।
UPSC पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs) प्रश्न (2016): ‘मिशन इंद्रधनुष’, जिसे भारत सरकार ने शुरू किया है, का संबंध है: प्रश्न (2010): निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है? उत्तर: (b) |
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