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संदर्भ:
यमुना नदी में हाल ही में अमोनिया स्तर के बढ़ने से जल प्रदूषण की गंभीर समस्या फिर से उजागर हुई है। इसके परिणामस्वरूप पेयजल आपूर्ति बाधित हो रही है, जिससे आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या बार-बार सामने आती रही है, जिससे नदी की जल गुणवत्ता और पर्यावरणीय संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
मुख्य बिंदु:
- अमोनिया स्तर वृद्धि: यमुना में अमोनिया स्तर लगभग 5 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) तक पहुंच गया है, जो दिल्ली के जल शोधन संयंत्रों की निस्पंदन क्षमता से अधिक है।
- प्रदूषण का कारण: अमोनिया के उच्च स्तर का अर्थ है कि बड़ी मात्रा में अशोधित औद्योगिक रसायन और सीवेज नदी में प्रवेश कर रहे हैं।
- जल आपूर्ति पर प्रभाव: कच्चे जल की आपूर्ति श्रृंखला प्रदूषित हो रही है, जिससे पेयजल संकट गहराने की आशंका है।
अमोनिया:
- रासायनिक सूत्र: NH₃
- स्वरूप: रंगहीन गैस
- उपयोग: उर्वरकों, प्लास्टिक, सिंथेटिक फाइबर, रंगों और अन्य औद्योगिक उत्पादों के निर्माण में।
अमोनिया प्रदूषण के प्रमुख स्रोत:
- कृषि अपवाह (फार्मलैंड से निकलने वाला बहाव)
- औद्योगिक अपशिष्ट जल
- असंसाधित सीवेज
- जैविक पदार्थों का विघटन (जैसे नीली-हरी काई)
अमोनिया के उच्च स्तर के प्रभाव:
- पानी में ऑक्सीजन की मात्रा घटती है, क्योंकि यह नाइट्रोजन के ऑक्सीकृत रूपों में परिवर्तित हो जाती है, जिससे जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) बढ़ जाती है।
- 1 पीपीएम से अधिक सांद्रता पानी में मछलियों के लिए जहरीली हो सकती है।
- मानव शरीर पर प्रभाव:
- 1 पीपीएम या अधिक अमोनिया युक्त पानी का लंबे समय तक सेवन करने से आंतरिक अंगों को नुकसान हो सकता है।
यमुना नदी के बारे में:
- यमुना नदी गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है।
- यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निचले हिमालय की मसूरी श्रृंखला में स्थित यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है।
- यह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से होकर बहती हुई प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में संगम पर गंगा नदी से मिलती है।
मुख्य तथ्य:
- लंबाई: 1376 किमी
- महत्वपूर्ण बांध:
- लखवार–व्यासी बांध (उत्तराखंड)
- ताजेवाला बैराज बांध (हरियाणा)
- मुख्य सहायक नदियाँ: चंबल, सिंध, बेतवा और केन
यमुना जल प्रदूषण के उपचार एवं दीर्घकालिक समाधान:
- मीठे पानी का मिश्रण: अमोनिया प्रदूषित जल को ताजे पानी के साथ मिलाना।
- क्लोरीनीकरण: जल में क्लोरीन या सोडियम हाइपोक्लोराइट जैसे यौगिक मिलाकर जीवाणु और अन्य सूक्ष्मजीवों को नष्ट किया जाता है, लेकिन क्लोरीन अत्यधिक विषैला होता है।
दीर्घकालिक समाधान:
- अशोधित सीवेज पर रोक: यह सुनिश्चित करना कि अशोधित सीवेज नदी में न जाए।
- न्यूनतम पारिस्थितिक प्रवाह बनाए रखना:
- नदी में हमेशा इतना पानी प्रवाहित हो कि जलीय पारिस्थितिकी तंत्र, ज्वारनदीय क्षेत्र (Estuarine Ecosystem) और मानव जीवन को संतुलित रखा जा सके।
- जल का स्व-नियमन (Self Regulation) बना रहे।