Human Development Index
संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा जारी “ए मैटर ऑफ चॉइस: पीपल एंड पॉसिबिलिटीज़ इन द एज ऑफ एआई“ शीर्षक वाली 2025 मानव विकास रिपोर्ट (HDR) में भारत को 193 देशों और क्षेत्रों में से 130वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
मानव विकास सूचकांक: वर्तमान स्थिति
वैश्विक स्थिति:
- शीर्ष रैंकिंग देश:
- आइसलैंड: मानव विकास सूचकांक (HDI) मान 972 के साथ प्रथम स्थान पर।
- नॉर्वे और स्विट्जरलैंड: क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर।
- निचला रैंकिंग देश:
- दक्षिण सूडान: HDI मान 388 के साथ 193वें स्थान पर।
भारत की स्थिति:
- HDI में सुधार:
- 2022 में भारत का HDI मान 676 था (133वां स्थान)।
- 2023 में यह बढ़कर 685 हो गया (130वां स्थान)।
- वर्गीकरण: मध्यम मानव विकास श्रेणी में।
- दीर्घकालिक सुधार:
- 1990 से अब तक भारत के HDI मान में 53% से अधिक की वृद्धि।
- वैश्विक और दक्षिण एशियाई औसत से तेज वृद्धि।
भारत के मानव विकास सूचकांक (HDI) में प्रगति के मुख्य बिंदु
जीवन प्रत्याशा में सुधार:
- उन्नति:
- 1990 में जीवन प्रत्याशा 6 वर्ष थी, जो 2023 में बढ़कर 72 वर्ष हो गई।
- उपलब्धि: HDI के आरंभ से अब तक का सबसे उच्च स्तर।
- कारक:
- आयुष्मान भारत, जननी सुरक्षा योजना और पोषण अभियान जैसी राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजनाओं ने योगदान दिया।
शिक्षा में प्रगति:
- औसत शिक्षा वर्ष: 1990 में 8.2 वर्ष से बढ़कर 2023 में 13 वर्ष।
- नीतिगत हस्तक्षेप:
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम, समग्र शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आर्थिक वृद्धि और गरीबी में कमी:
- आर्थिक विकास: प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 1990 में $2,167 से बढ़कर 2023 में $9,046।
- गरीबी उन्मूलन: 2015-16 से 2019-21 के बीच 5 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले।
- मुख्य चुनौतियाँ और रिपोर्ट में सुझाव:
एआई और मानव विकास:
- मूलभूत विचार: मानव विकास रिपोर्ट (HDR) 2025 के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को मानव क्षमताओं को बढ़ाने के लिए उपयोग करना चाहिए, न कि उन्हें प्रतिस्थापित करने के लिए।
- नीतिगत पहल: AI-प्रेरित विकास का लाभ सभी समुदायों तक पहुँचाने के लिए सशक्त नीतियाँ आवश्यक।
बढ़ती असमानताएँ:
- वैश्विक असमानता: तकनीकी प्रगति के बावजूद मानव विकास में प्रगति धीमी हो रही है।
- भारत में आय असमानता: आय असमानता के कारण भारत का HDI 30.7% तक कम हो जाता है, जो क्षेत्र में सबसे अधिक है।
- लैंगिक असमानता: शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में अब भी व्यापक अंतर।
- समावेशी AI नीति की आवश्यकता: विकसित और विकासशील देशों के बीच अंतर को पाटने के लिए।
तीन प्रमुख कार्यक्षेत्र:
- पूरक अर्थव्यवस्था का निर्माण: मनुष्य और AI को एक साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- मानव क्षमताओं का विस्तार: नवाचार को बढ़ावा देना।
- समावेशी शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा में निवेश: कमजोर वर्गों को लाभ पहुँचाना।