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पाकिस्तान-तुर्की गठजोड़: भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया (Pakistan-Turkey nexus India strategic response)

Pakistan-Turkey nexus India strategic response

संदर्भ:

पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए तुर्की निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल किया है।
तुर्की, पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है और उसके सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है, जो लगातार कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • तुर्की द्वारा बनाए गए ड्रोन, खासतौर पर Bayraktar TB2, का इस्तेमाल पाकिस्तान ने सीमा पर उकसावे की कार्रवाई में किया है।
  • तुर्की और पाकिस्तान के बीच रक्षा सहयोगतकनीकी साझेदारी और सैन्य प्रशिक्षण में हाल के वर्षों में तेज़ी आई है।

तुर्की के पाकिस्तान में रणनीतिक हित:

  1. शीत युद्ध गठबंधन:
  • केन्द्रीय संधि संगठन (CENTO) और क्षेत्रीय सहयोग विकास (RCD): तुर्की और पाकिस्तान ने पश्चिमी सुरक्षा ढांचे के साथ अपनी नीतियों का समन्वय किया।
  • साइप्रस संकट (1964 और 1971): पाकिस्तान ने तुर्की के पक्ष का समर्थन किया और सैन्य सहायता की पेशकश की।
  • 1983 में समर्थन: पाकिस्तान ने घोषणा की कि यदि तुर्की साइप्रस स्वतंत्रता घोषित करता है, तो उसे मान्यता देने वाला पहला देश होगा।
  • वैचारिक संबंध: इन समर्थन कदमों ने दोनों देशों के बीच वैचारिक संबंधों को मजबूत किया।
  1. सऊदीअमीराती प्रभाव का मुकाबला:
  • मुस्लिम दुनिया में नेतृत्व संघर्ष: तुर्की और कतर ने सऊदी अरब और UAE के प्रभाव को चुनौती देने का प्रयास किया।
  • कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन (2019): पाकिस्तान, तुर्की, मलेशिया और इंडोनेशिया ने मिलकर एक वैकल्पिक गुट बनाया, जिसे रियाद के नेतृत्व के खिलाफ माना गया।
  1. हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में तुर्की का फोकस:
  • सोमालिया में सैन्य अड्डा (2017): तुर्की ने अपना सबसे बड़ा विदेशी अड्डा स्थापित किया।
  • दक्षिण एशिया में बढ़ता प्रभाव (2024): तुर्की ने मालदीव को Baykar TB2 ड्रोन बेचे।
  • सैन्य अभ्यास: तुर्की नौसेना ने पाकिस्तान नौसेना के साथ संयुक्त अभ्यास किए, जबकि भारतीय नौसेना के साथ सीमित संपर्क रहा।

तुर्कीपाकिस्तान संबंधों का भारत पर प्रभाव:

कश्मीर मुद्दे पर तुर्की का रुख

  • पुराना विवाद: तुर्की द्वारा पाकिस्तान के कश्मीर रुख का समर्थन भारत के लिए लंबे समय से समस्या रहा है।
  • भारतीय प्रतिक्रिया: 2013 में तत्कालीन विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा था कि तुर्की को अपनी मित्रता भारत के खर्च पर नहीं बनानी चाहिए।

पूर्वी यूरोप में भागीदारी:

  • भारत ने ग्रीस समर्थित साइप्रस गणराज्य का समर्थन किया है, जबकि तुर्की और पाकिस्तान ने उत्तरी साइप्रस के तुर्की गणराज्य का समर्थन किया।
  • परिणाम: ग्रीस ने कश्मीर पर भारत के रुख का समर्थन किया।

दक्षिण कॉकसस में भूमिका:

  • भारत आर्मेनिया का सबसे बड़ा सैन्य समर्थक बनकर उभरा है, जो नागोर्नो-कराबाख को लेकर अजरबैजान से संघर्षरत है।
  • 2024 तक: भारत ने आर्मेनिया को सबसे अधिक हथियार आपूर्ति की, रूस को भी पीछे छोड़ दिया।
  • पाकिस्तान का रुख: तुर्की समर्थित अजरबैजान का समर्थन किया और $1.6 बिलियन का समझौता किया।
  • त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन (2024): पाकिस्तान, तुर्की और अजरबैजान ने पहला त्रिपक्षीय सम्मेलन आयोजित किया।

वैश्विक भूराजनीतिक परिदृश्य में असमानता

अमेरिकी रणनीतिक बदलाव: अमेरिका ने अफगानिस्तान केंद्रित पाकिस्तान साझेदारी को छोड़कर भारत-केंद्रित इंडो-पैसिफिक साझेदारी को मजबूत किया।

2022 इंडोपैसिफिक रणनीति: पाकिस्तान का कोई उल्लेख नहीं, जबकि भारत का उल्लेख पांच बार हुआ।

आर्थिक गलियारा विवाद:

India-Middle East-Europe Economic Corridor:

  • एशिया और यूरोप के बीच ऐतिहासिक पुल के रूप में तुर्की को बायपास कर रहा है।
  • राष्ट्रपति एर्दोगन ने IMEC की आलोचना की और “इराक डेवलपमेंट रोड” के रूप में अपनी एशिया-यूरोप कॉरिडोर बनाने की योजना पर बल दिया।

निष्कर्ष: तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ता सामरिक गठबंधन भारत के लिए एक कूटनीतिक चुनौती प्रस्तुत करता है।

  • भारत ने ग्रीस और आर्मेनिया के साथ साझेदारी को मजबूत कर तुर्की-पाकिस्तान गठजोड़ का संतुलन साधने का प्रयास किया है।

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