Persian Gulf
संदर्भ:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सऊदी अरब की यात्रा के दौरान ‘पर्सियन गल्फ’ (फारस की खाड़ी) का नाम आधिकारिक रूप से बदलकर ‘अरबियन गल्फ’ रखने की योजना बना रहे हैं, जो अरब खाड़ी देशों की प्राथमिकताओं के अनुरूप है।
पर्शियन खाड़ी: भौगोलिक और भू–राजनीतिक परिप्रेक्ष्य–
नामकरण विवाद:
- ऐतिहासिक उपयोग:
- “पर्शियन खाड़ी“ शब्द का उपयोग 16वीं शताब्दी से लगातार किया जा रहा है।
- इसे ऐतिहासिक दस्तावेजों, अंतरराष्ट्रीय संधियों और नक्शों में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है।
- वैकल्पिक उपयोग:
- अरब देशों की पसंद: जैसे सऊदी अरब और यूएई इसे “अरबियन खाड़ी“ कहते हैं।
- यह नाम उनके राष्ट्रीय नक्शों और आधिकारिक दस्तावेजों में मिलता है।
- अरब देशों की पसंद: जैसे सऊदी अरब और यूएई इसे “अरबियन खाड़ी“ कहते हैं।
ईरान का रुख: 2012 में ईरान ने गूगल को इस जल निकाय को लेबल न करने पर मुकदमे की धमकी दी थी, और इसके ऐतिहासिक नामकरण अधिकार की बात की थी।
वैश्विक मान्यता:
- अंतरराष्ट्रीय जलवैज्ञानिक संगठन (IHO) इसे अभी भी “पर्शियन खाड़ी“ के रूप में मान्यता देता है।
- देश आंतरिक रूप से वैकल्पिक नाम का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन वैश्विक नाम परिवर्तन लागू नहीं कर सकते।
भौगोलिक विशेषताएँ:
- स्थान: यह पश्चिम एशिया में स्थित हिंद महासागर का सीमांत सागर है। यह वैश्विक तेल आपूर्ति के लिए एक महत्वपूर्ण भू–राजनीतिक चोकपॉइंट है।
- संयोग: इसे हॉर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से अरब सागर से जोड़ा जाता है।
- आकार और गहराई:
- क्षेत्रफल: ~2,51,000 वर्ग किमी
- औसत गहराई: 50 मीटर
- अधिकतम गहराई: 90 मीटर