Download Today Current Affairs PDF
हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने ट्रैफिक इंफ्राटेक एक्सपो के 12वें संस्करण को संबोधित करते हुए सड़क सुरक्षा में सुधार और परिवहन क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सड़क सुरक्षा का वर्तमान परिदृश्य:
- भारत में हर साल लगभग 5 लाख सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गंवाते हैं।
- इन दुर्घटनाओं में से आधे से अधिक लोग 18-36 वर्ष की आयु वर्ग के होते हैं।
- सड़क दुर्घटनाओं के कारण आर्थिक क्षति का अनुमान देश के सकल घरेलू उत्पाद का 3% है।
- इस स्थिति को सुधारने के लिए, सरकार ने तकनीकी समाधान विकसित करने में सहयोग के लिए निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति करने का निर्णय लिया है।
यह पहल स्टार्टअप्स और उद्योग जगत के नेताओं के प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगी, जिससे सर्वोत्तम विचारों का क्रियान्वयन किया जा सके। समिति को तीन महीने के भीतर अपने मूल्यांकन को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया गया है।
परिवहन क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग:
- यातायात प्रबंधन:
- AI प्रणालियाँ वास्तविक समय के यातायात डेटा का विश्लेषण करती हैं, जिससे सिग्नल समय को अनुकूलित किया जा सकता है।
- यह भीड़भाड़ को कम करने और समग्र यातायात प्रवाह में सुधार करने में मदद करती हैं, जिससे जाम या अप्रत्याशित यातायात पैटर्न के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है।
- पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण:
- ऐतिहासिक दुर्घटना डेटा का विश्लेषण करके, AI उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों और समय की पहचान कर सकता है।
- इससे अधिकारियों को लक्षित सुरक्षा उपायों को लागू करने में मदद मिलती है।
- चालक सहायता प्रणालियाँ: AI को वाहन प्रणालियों में एकीकृत किया गया है, जिससे लेन प्रस्थान चेतावनी, टक्कर से बचाव, और अनुकूली क्रूज नियंत्रण जैसी सुविधाएँ प्रदान की जा सकती हैं।
- आपातकालीन प्रतिक्रिया:
AI प्रणालियाँ आपातकालीन वाहनों के लिए मार्गों को अनुकूलित कर सकती हैं, जिससे दुर्घटनाओं के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया समय सुनिश्चित हो सकता है।
-
- यह जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
- यातायात उल्लंघनों की पहचान: AI के माध्यम से यातायात उल्लंघनों की पहचान करने से प्राधिकरण सही ढंग से दंड लागू कर सकेंगे, जिससे सड़क सुरक्षा में सुधार होगा।
- टोल संग्रहण विधियाँ: उपग्रह टोल प्रणालियों की खोज सहित टोल संग्रहण विधियों को उन्नत करने से टोल संग्रहण में दक्षता में सुधार होगा और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
सड़क सुरक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग में चुनौतियाँ
- बुनियादी ढांचे की सीमाएँ: कई क्षेत्रों में AI प्रौद्योगिकियों को प्रभावी ढंग से समर्थन देने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी है, जैसे कि विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी और पर्याप्त सेंसर नेटवर्क। यह कमी डेटा संग्रहण और विश्लेषण में बाधाएँ उत्पन्न करती है, जिससे AI के प्रभावी उपयोग में कठिनाई होती है।
- डेटा गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: बड़ी मात्रा में ट्रैफ़िक और व्यक्तिगत डेटा का संग्रह और विश्लेषण गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के मुद्दों को जन्म देता है। उपयोगकर्ताओं का विश्वास कमजोर हो सकता है, जिससे AI प्रणालियों की स्वीकृति प्रभावित होती है।
- डेटा की गुणवत्ता: भारत में यातायात और दुर्घटना डेटा की गुणवत्ता में काफी भिन्नता है। यह विश्वसनीय AI सिस्टम विकसित करने में कठिनाई पैदा करता है, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
- मौजूदा प्रणालियों के साथ एकीकरण: मौजूदा यातायात प्रबंधन प्रणालियों और नियामक ढांचे के साथ AI समाधानों को एकीकृत करना जटिल हो सकता है। इसके लिए महत्वपूर्ण वित्तीय निवेश और समय की आवश्यकता हो सकती है।
- कौशल अंतराल: भारत में AI और डेटा एनालिटिक्स में कुशल पेशेवरों की कमी है। इससे AI प्रणालियों को प्रभावी ढंग से विकसित करने, कार्यान्वित करने और बनाए रखने की क्षमता सीमित हो जाती है।
- नैतिक विचार: यातायात प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में AI की तैनाती से नैतिक प्रश्न उठते हैं, जैसे कि एल्गोरिदम में पूर्वाग्रह। विफलताओं या दुर्घटनाओं के मामले में जिम्मेदारी सुनिश्चित करना भी चुनौतीपूर्ण है।
समाधान और रणनीतियाँ:
- डेटा मानकीकरण: विभिन्न हितधारकों के बीच डेटा संग्रहण और साझाकरण के लिए मानक प्रोटोकॉल स्थापित करना। यह डेटा की गुणवत्ता और उपयोगिता को बढ़ाता है।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी: AI समाधान विकसित करने के लिए सरकारी एजेंसियों, निजी कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना। संसाधनों, विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग संभव होगा।
- कौशल विकास कार्यक्रम: AI, डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग में कुशल कार्यबल तैयार करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लागू करना। इससे कार्यबल की क्षमता बढ़ेगी और AI प्रणालियों का विकास सरल होगा।
- पायलट परियोजनाएँ: वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों में AI अनुप्रयोगों का परीक्षण करने के लिए चुनिंदा शहरों में पायलट परियोजनाएँ शुरू करना। इससे तकनीकों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा सकेगा।
- नैतिक दिशानिर्देश: निष्पक्षता, पारदर्शिता, जवाबदेही और पूर्वाग्रह शमन पर ध्यान केंद्रित करते हुए AI विकास और तैनाती के लिए नैतिक दिशानिर्देश स्थापित करना। इससे सार्वजनिक विश्वास और स्वीकार्यता में वृद्धि होगी।
- फीडबैक तंत्र: AI प्रणालियों और सड़क सुरक्षा पहलों पर सार्वजनिक फीडबैक के लिए चैनल बनाना। उपयोगकर्ता के अनुभवों और चिंताओं के आधार पर निरंतर सुधार संभव होगा।
निष्कर्ष: सड़क सुरक्षा में AI का उपयोग प्रभावी हो सकता है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ हैं। उपर्युक्त उपायों को लागू करके, इन चुनौतियों को पार किया जा सकता है और सड़क सुरक्षा में सुधार किया जा सकता है।
Explore our Books: https://apnipathshala.com/product-category/books/
Explore Our test Series: https://tests.apnipathshala.com/