सामान्य अध्ययन पेपर II: पारदर्शिता और जवाबदेहिता, सूचना का अधिकार |
World Press Freedom Index 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा वर्ष 2025 का विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक जारी किया गया है, जिसमें कई देशों की रैंकिंग में बदलाव देखे गए हैं। यह रिपोर्ट वैश्विक स्तर पर मीडिया की स्वतंत्रता, सुरक्षा और सरकारी हस्तक्षेप के दृष्टिकोण को उजागर करती है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक क्या है?
- परिचय:
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (World Press Freedom Index) एक वार्षिक वैश्विक मूल्यांकन है, जिसे ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders – RSF) नामक एक स्वतंत्र गैर-सरकारी संगठन द्वारा पहली बार वर्ष 2002 में जारी किया गया था।
- यह सूचकांक विभिन्न देशों में पत्रकारों, समाचार संस्थाओं और डिजिटल मीडिया उपयोगकर्ताओं (नेटिज़न्स) को मिलने वाली मीडिया स्वतंत्रता की वास्तविक स्थिति को दर्शाता है।
- इस सूचकांक को वैश्विक स्तर पर मीडिया की स्वतंत्रता के बैरोमीटर के रूप में देखा जाता है।
- उद्देश्य:
- इसका मुख्य उद्देश्य यह जानना होता है कि किसी देश में पत्रकार किस हद तक बिना डर, दबाव या हस्तक्षेप के अपने कार्य कर सकते हैं।
- इसका उद्देश्य इस बात को उजागर करना है कि वहां पत्रकारिता कितनी स्वतंत्र है, और सरकारें तथा संस्थान इस स्वतंत्रता का कितना सम्मान करती हैं या दमन करती हैं।
- यह पत्रकारों और मीडिया संगठनों को जागरूक करने के साथ साथ, सरकारों को भी जवाबदेह बनाता है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक तय करने के मानदंड और प्रक्रिया
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- मानदंड: वर्तमान में सूचकांक को पाँच प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
- राजनीतिक संदर्भ (Political Context): इस श्रेणी में यह देखा जाता है कि पत्रकार किस हद तक सत्ता और राजनीतिक नेतृत्व की निष्पक्ष आलोचना कर सकते हैं। क्या सरकार मीडिया की स्वतंत्रता का समर्थन करती है या उसे दबाने का प्रयास करती है?
- कानूनी ढांचा (Legal Framework): इसमें यह मूल्यांकन किया जाता है कि किसी देश में प्रेस से जुड़ी कानूनी व्यवस्थाएं कैसी हैं। क्या मीडिया पर दंडात्मक कानून हैं? क्या इंटरनेट पर सूचनाओं का प्रवाह बाधित किया जाता है? क्या सार्वजनिक मीडिया स्वतंत्र है?
- आर्थिक संदर्भ (Economic Context): यह मापदंड यह जांचता है कि मीडिया संस्थानों को आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त है या नहीं। क्या उन्हें विज्ञापन, संसाधनों या सरकारी नीति के माध्यम से नियंत्रित किया जा रहा है?
- सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ (Sociocultural Context): इस श्रेणी में देखा जाता है कि पत्रकार किन सामाजिक या सांस्कृतिक दबावों का सामना करते हैं। क्या किसी विशेष विषय पर रिपोर्टिंग करना धार्मिक, जातिगत या सांस्कृतिक कारणों से वर्जित है?
- सुरक्षा (Safety): यह सबसे संवेदनशील श्रेणी है। इसमें यह जांचा जाता है कि पत्रकारों को मानसिक उत्पीड़न या व्यावसायिक हानि का सामना तो नहीं करना पड़ रहा।
- मानदंड: वर्तमान में सूचकांक को पाँच प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
- प्रक्रिया: विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (WPFI) की गणना एक सुव्यवस्थित और विस्तृत प्रक्रिया द्वारा की जाती है।
- सर्वेक्षण: ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (RSF) हर साल अपने वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से पत्रकारों, शोधकर्ताओं, कानूनविदों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से एक विशेष प्रश्नावली के माध्यम से डेटा एकत्र करता है।
- यह प्रश्नावली 150 से अधिक देशों में भेजी जाती है और जिसके माध्यम से प्रेस की वास्तविक स्वतंत्रता की पहचान की जाती है।
- मूल्यांकन: इसके बाद पाँच प्रमुख श्रेणियों के आधार पर RSF की टीम हर देश को एक स्कोर देती है।
- अधिक स्कोर का अर्थ है कि उस देश में प्रेस की स्वतंत्रता अधिक है।
2025 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में वैश्विक रुझान
- शीर्ष तीन देश:
- इस सूचकांक में नॉर्वे लगातार सातवें वर्ष पहले स्थान पर बना हुआ है। यह देश पत्रकारों की सुरक्षा के मानकों पर सबसे उत्कृष्ट रहा है।
- एस्टोनिया (दूसरा) और नीदरलैंड (तीसरा) ने भी प्रेस स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने में उल्लेखनीय प्रगति की है।
- निचले तीन देश:
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- इरीट्रिया को इस बार 180वां स्थान, यानी अंतिम स्थान मिला है।
- उत्तर कोरिया 179वें और चीन 178वें स्थान पर हैं। इन देशों में मीडिया पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में है।
- भारत और इसके पड़ोसी:
- भारत सूचकांक में 151वें स्थान पर है। यहां पत्रकारों को राजनीतिक दबाव और सशर्त फंडिंग जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- पाकिस्तान 158वें स्थान पर है, जहां सैन्य प्रतिष्ठानों और चरमपंथी ताकतों के दबाव के कारण मीडिया खतरे में है।
- भूटान 152वें स्थान पर है, जो शांतिपूर्ण देश होते हुए भी मीडिया की सीमित पहुंच और सरकारी प्रभाव के कारण स्वतंत्रता में पिछड़ गया है।
- प्रमुख देशों की रैंकिंग:
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- संयुक्त राज्य अमेरिका, 2025 में 57वें स्थान पर आ गया है। यह पिछली रैंकिंग (55वां) से दो स्थान की गिरावट है।
- राजनीतिक ध्रुवीकरण द्वारा मीडिया और पत्रकारों की सुरक्षा में कमी इसका प्रमुख कारण है।
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- गाज़ा पट्टी में जारी संघर्ष के चलते फिलिस्तीन 163वें स्थान पर है।
- रिपोर्ट के अनुसार, वहां 200 से अधिक पत्रकार मारे जा चुके हैं, और न्यूज़रूम तबाह कर दिए गए हैं।
- ब्रिटेन 20वें स्थान पर है, जहां प्रेस की स्वतंत्रता अपेक्षाकृत सुरक्षित मानी गई है।
- इज़राइल 112वें स्थान पर है, जहां गाजा संघर्ष के दौरान पत्रकारों की मौतों ने इसके प्रदर्शन को प्रभावित किया हैं।
- रूस 171वें स्थान पर है, जहां सरकार ने मीडिया पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित किया है।
- अफगानिस्तान 175वें स्थान पर है, जहां तालिबान शासन के बाद पत्रकारों की स्थिति अत्यंत असुरक्षित हो गई है।
- गाज़ा पट्टी में जारी संघर्ष के चलते फिलिस्तीन 163वें स्थान पर है।
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- राजनीतिक नियंत्रण:
- भारत, लेबनान, बुल्गारिया और आर्मेनिया जैसे देशों में राजनीतिक और आर्थिक रूप से प्रेरित मीडिया का वर्चस्व देखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार इन देशों में राजनीतिक नेताओं और कारोबारी समूहों से मिलने वाली फंडिंग मीडिया की स्वतंत्रता को सीमित कर रही है।
- टेक कंपनियों का वर्चस्व:
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- रिपोर्ट के अनुसार विज्ञापन राजस्व का बड़ा हिस्सा अब गूगल, फेसबुक, ऐप्पल, अमेज़न और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक कंपनियों को चला जाता है। इससे स्थानीय और स्वतंत्र मीडिया संस्थानों के लिए टिके रहना मुश्किल हो गया है।
विश्व में प्रेस स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
- राजनीतिक हस्तक्षेप: प्रेस स्वतंत्रता को सबसे बड़ा खतरा राजनीतिक हस्तक्षेप से होता है। जब सरकारें मीडिया के कामकाज में दखल देती हैं, तो यह पत्रकारिता की स्वतंत्रता को नष्ट कर देता है। कई देशों में सरकारें पत्रकारों और मीडिया हाउसों को अपने पक्ष में लिखने के लिए दबाव डालती हैं।
- डिजिटल निगरानी: डिजिटल निगरानी और सेंसरशिप प्रेस स्वतंत्रता के लिए एक और प्रमुख खतरा बन चुके हैं। आजकल सरकारें और प्राइवेट कंपनियाँ मीडिया की निगरानी कर रही हैं, जिससे स्वतंत्र पत्रकारिता पर कड़ा प्रभाव पड़ता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर विषयवस्तु की निगरानी और ब्लॉकिंग पत्रकारिता के लिए एक नई चुनौती उत्पन्न कर रही है।
- फेक न्यूज़: फेक न्यूज़ और मिसइन्फॉर्मेशन प्रेस स्वतंत्रता को कमजोर करने के प्रमुख कारणों में से हैं। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के साथ, झूठी जानकारी का प्रसार तेजी से हो रहा है। आधिकारिक जानकारी और फर्जी रिपोर्ट्स के बीच अंतर पहचानना अब मुश्किल हो गया है, जिससे समाज में ध्रुवीकरण और भ्रांतियां उत्पन्न होती हैं।
- उत्पीड़न: पत्रकारों पर हमले और उत्पीड़न प्रेस की स्वतंत्रता पर सबसे खतरनाक असर डालते हैं। दुनिया के कई देशों में पत्रकारों को हिंसा, गिरफ्तारी और धमकियों का सामना करना पड़ता है। गाजा और म्यांमार जैसे देशों में पत्रकारों को सरकारी बलों और आतंकवादी समूहों से भारी दबाव का सामना करना पड़ता है।
भारत की स्थिति और प्रदर्शन का विश्लेषण
- भारत को 2025 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 151वीं रैंकिंग प्राप्त हुई है, जो पिछले वर्ष की 159वीं रैंक से कुछ सुधार दर्शाता है।
- RSF (रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स) ने भारत को “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र” के रूप में चिन्हित किया, लेकिन प्रेस स्वतंत्रता के संदर्भ में यहाँ संकट की स्थिति बनी हुई है।
- वर्तमान सरकार द्वारा पेश किए गए नए कानून, जैसे डेटा संरक्षण अधिनियम 2023, दूरसंचार अधिनियम 2023 पत्रकारिता पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं।
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार और मीडिया के बड़े कारोबारी परिवारों के बीच गठजोड़ के कारण मीडिया अब “अनौपचारिक आपातकाल की स्थिति” में है।
- भारत के मीडिया उद्योग में बड़े कॉर्पोरेट उद्योगों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। उदाहरण स्वरूप रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह के पास 70 से अधिक मीडिया आउटलेट्स हैं, जिनसे करीब 800 मिलियन लोग जुड़े हुए हैं।
- भारत में पत्रकारों को हमलों, ऑनलाइन उत्पीड़न, और धमकियों का सामना करना पड़ता है। कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में पत्रकारों को परेशान किया जाता है।
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता से संबद्ध प्रमुख निकाय
- भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India – PCI): भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 के अंतर्गत की गई थी। यह एक वैधानिक निकाय है जिसका उद्देश्य पत्रकारिता में नैतिक मानकों को बनाए रखना और प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करना है।
- न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA): एनबीए एक स्व-नियामक संस्था है, जो निजी समाचार चैनलों का प्रतिनिधित्व करती है। यह नैतिक आचार संहिता को लागू करने, शिकायतों को सुलझाने और टेलीविजन पत्रकारिता में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने का कार्य करती है।
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- एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया: यह एक स्वतंत्र संगठन है जिसमें देश के प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के संपादक शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा, संपादकीय स्वतंत्रता का समर्थन और प्रेस पर होने वाले हमलों के विरुद्ध आवाज़ उठाना है।
- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय: भारत सरकार का यह मंत्रालय मीडिया से संबंधित नीति-निर्माण और प्रशासनिक कार्यों का केंद्र है। यह प्रसारण नीतियों, फिल्म प्रमाणीकरण, विज्ञापन मानकों और प्रचार नियमों को तय करता है।
प्रेस स्वतंत्रता सुनिश्चित करने हेतु किए जाने योग्य आवश्यक उपाय
- स्वायत्तता और अधिकार: भारतीय प्रेस परिषद (PCI) जैसी संस्थाएं केवल सलाह देने तक सीमित हैं। इन्हें कानूनी शक्तियाँ प्रदान कर, पत्रकारों पर हमले, दबाव या सेंसरशिप के मामलों में दंडात्मक कार्रवाई का अधिकार दिया जाना चाहिए। साथ ही, इन संस्थाओं में राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त नियुक्ति प्रणाली लागू होनी चाहिए।
- आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करना: वर्तमान समय में अधिकांश मीडिया हाउस बड़ी कॉर्पोरेट या राजनीतिक संस्थाओं पर निर्भर हैं, जिससे उनकी संपादकीय स्वतंत्रता प्रभावित होती है। सरकार को चाहिए कि वह स्वतंत्र व गैर-लाभकारी मीडिया प्लेटफॉर्म्स को वित्तीय सहायता फंडिंग मॉडल के लिए नीति बनाए।
- सेंसरशिप पर स्पष्ट नीति: एक स्वतंत्र डिजिटल मीडिया नियामक संस्था का गठन हो, जो तकनीकी कंपनियों और सरकारों के बीच बैलेंस बनाते हुए पत्रकारों और नागरिकों की सूचना तक पहुंच सुनिश्चित करे।
- पत्रकारों की सुरक्षा: पत्रकारों पर हमले या धमकी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में एक “पत्रकार सुरक्षा कानून” की आवश्यकता है जो तेजी से न्याय, गोपनीयता की रक्षा, और राजकीय उत्पीड़न से सुरक्षा सुनिश्चित करे।
UPSC पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs) प्रश्न: निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में संरक्षित किया जाता है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है? (a) अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध (b) अनुच्छेद 17 एवं भाग IV में दिये राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व (c) अनुच्छेद 21 एवं भाग III में गारंटी की गई स्वतंत्रताएँ (d) अनुच्छेद 24 एवं संविधान के 44वें संशोधन के अधीन उपबंध उत्तर: (c) प्रश्न: आप ‘वाक् और अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य’ संकल्पना से क्या समझते हैं? क्या इसकी परिधि में घृणा वाक् भी आता है? भारत में फिल्में अभिव्यक्ति के अन्य रूपों से तनिक भिन्न स्तर पर क्यों हैं? चर्चा कीजिये। |