Deep-tech revolution in agriculture: World Economic Forum report
संदर्भ:
विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने अपने “Artificial Intelligence for Agriculture Initiative (AI4AI)” के तहत एक नई रिपोर्ट “Shaping the Deep-Tech Revolution in Agriculture” जारी की। यह रिपोर्ट कृषि क्षेत्र में अगली पीढ़ी की तकनीकों को अपनाने, उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु अनुकूल खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से तैयार की गई है।
रिपोर्ट का उद्देश्य
- इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य है — गहन तकनीकों (Deep-Tech) को कृषि के हर स्तर पर लागू कर वैश्विक खाद्य प्रणाली को अधिक टिकाऊ, कुशल और जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीला बनाना।
- WEF का मानना है कि यदि वैज्ञानिक नवाचारों को व्यावहारिक खेती से जोड़ा जाए तो भविष्य की खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है।
मुख्य डीप-टेक क्षेत्रों की पहचान
रिपोर्ट में सात ऐसी तकनीकों को “उच्च प्रभाव क्षेत्र” के रूप में चिन्हित किया गया है, जो कृषि के स्वरूप को पूरी तरह बदल सकती हैं –
- जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): यह डेटा आधारित निर्णय लेने और फसल की भविष्यवाणी करने में मदद करती है।
- कंप्यूटर विज़न: पौधों की तस्वीरों से रोग पहचान और पोषण स्थिति का पता लगाने में सहायक है।
- रोबोटिक्स: खेतों में स्वत: संचालन और सटीक कृषि कार्यों को सक्षम बनाता है।
- एज इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT): स्थानीय डेटा प्रोसेसिंग और रियल-टाइम निगरानी के लिए उपयोगी।
- सैटेलाइट आधारित रिमोट सेंसिंग: मिट्टी और जलवायु की बड़े पैमाने पर जांच के लिए।
- CRISPR तकनीक: उच्च उपज और जलवायु-सहिष्णु फसलें विकसित करने हेतु।
- नैनोटेक्नोलॉजी: मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने, पोषक तत्व वितरण और कीट नियंत्रण में मददगार।
वैश्विक स्तर पर नवाचार के उदाहरण
- जलवायु-सहिष्णु धान की किस्में जो पारंपरिक किस्मों की तुलना में 20% कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करती हैं।
- गन्ने की सटीक कृषि प्रणाली, जिससे उत्पादन में 40% तक वृद्धि देखी गई है।
- रिमोट सेंसिंग आधारित आपूर्ति श्रृंखला विश्लेषण, जो कार्बन फाइनेंसिंग और जोखिम प्रबंधन को सशक्त बना रहा है।
- स्वायत्त रोबोट और एजेंटिक AI सिस्टम खेतों में सामूहिक रूप से कार्य कर रहे हैं, जिससे श्रम पर निर्भरता घट रही है।
चुनौतियाँ
- उच्च लागत: ड्रोन, IoT और रोबोटिक उपकरण छोटे किसानों की पहुंच से बाहर हैं।
- नियमक विलंब: CRISPR जैसी तकनीकों को सार्वजनिक स्वीकृति और कानूनी मंजूरी में समय लगता है।
- श्रमिकों की कमी: ग्रामीण आबादी के शहरों की ओर पलायन से खेती में उम्रदराज़ आबादी बढ़ रही है।
- जलवायु दबाव: वर्षा की अनिश्चितता और तापमान वृद्धि से पैदावार पर असर पड़ रहा है।
- पर्यावरणीय जोखिम: नैनोटेक्नोलॉजी के दीर्घकालिक प्रभावों पर अभी पर्याप्त अध्ययन नहीं हुआ है।
- भोजन की मांग और अपशिष्ट: 2050 तक खाद्य उत्पादन में 70% वृद्धि की जरूरत होगी, जबकि आज भी एक-तिहाई उत्पादन बर्बाद हो जाता है।
- भूराजनीतिक अस्थिरता: युद्धों और व्यापारिक अवरोधों से उर्वरक कीमतें बढ़ी हैं, जिससे आयात-निर्भर देशों में खाद्य सुरक्षा खतरे में है।
- मैदानीय विविधता: कंप्यूटर विज़न तकनीक अलग-अलग प्रकाश और फसल अवस्थाओं में सटीक परिणाम नहीं देती।
रणनीतिक सुझाव
- रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि उद्योग, शोध संस्थान और निवेशक एक साथ मिलकर शुरुआती तकनीकी जोखिमों को साझा करना चाहिए।
- सरकारों को कठोर नीतिगत ढांचे के माध्यम से नवाचारों को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही विज्ञान, वित्त और नीति को जोड़ने वाले बहु-विषयक पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना चाहिए।
- यदि तकनीक और नीति में सामंजस्य बना रहे, तो आने वाले वर्षों में यह क्रांति न सिर्फ उत्पादकता बढ़ाएगी, बल्कि पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा दोनों को संतुलित रखेगी।

