Delhi Ridge Management Board gets statutory status

संदर्भ:
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत दिल्ली रिज मैनेजमेंट बोर्ड (DRMB) को वैधानिक दर्जा प्रदान करते हुए पुनर्गठित किया। यह कदम 11 नवम्बर 2025 के सुप्रीम कोर्ट निर्देश के अनुरूप है, जिसमें अदालत ने स्पष्ट कहा था कि दिल्ली की रिज, शहर के “ग्रीन लंग्स” का कार्य करती है, जिसके अधिकार सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।
पृष्ठभूमि:
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पर्यावरणीय महत्व: दिल्ली रिज प्राचीन अरावली पर्वतमाला की उत्तरी शाखा है। यह दिल्ली को मरुस्थलीकरण से बचाती है, भूमिगत जल पुनर्भरण में सहायक है, और राजधानी के कण-प्रदूषण (PM2.5/PM10) को प्राकृतिक रूप से कम करती है।
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पूर्व स्थिति: 1995 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद रिज मैनेजमेंट बोर्ड बनाया गया, परन्तु वह गैर-वैधानिक था। इसका परिणाम यह हुआ कि: अनेक एजेंसियों के स्वामित्व अधिकार बने रहे। दक्षिणी रिज में बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे बने रहे और 7,777 हेक्टेयर रिज क्षेत्र में से अधिकांश का फाइनल नोटिफिकेशन भी जारी नहीं हो पाया।
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न्यायिक हस्तक्षेप: T.N. Godavarman मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह पाया कि प्रशासनिक स्तर पर प्रयास लगातार “sub-optimal” रहे। इस कारण सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि दिल्ली की रिज की सुरक्षा केवल एक विधिक संस्था द्वारा ही सुनिश्चित की जा सकती है।
नए वैधानिक DRMB की संरचना और अधिकार:
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कानूनी आधार: DRMB को धारा 3(3), पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत गठित किया गया है। अब इसके सभी निर्णय प्रक्रिया कानूनी रूप से बाध्यकारी है और आवश्यक होने पर NGT और उच्च न्यायालय की न्यायिक समीक्षा के अंतर्गत आएगी।
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संरचना: यह 13 सदस्यीय निकाय है, जिसमें प्रमुख शामिल हैं: दिल्ली के मुख्य सचिव – अध्यक्ष, MoEFCC, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के प्रतिनिधि, सेंट्रल एम्पावरड कमेटी (CEC) का सदस्य और नागरिक समाज/NGO के प्रतिनिधि। साथ ही, CEC सदस्य को हर तीन महीने में सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट देनी होगी।
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भौगोलिक वर्गीकरण: MPD–2021 के अनुसार कुल 7,777 हेक्टेयर रिज चार क्षेत्रों में विभाजित है: उत्तरी रिज, केंद्रीय रिज, दक्षिण-मध्य (मेहरौली) रिज और दक्षिणी रिज – सर्वाधिक दबाव वाला क्षेत्र।
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अधिकार और कार्य: DRMB को पहली बार पूर्ण नियामक अधिकार प्राप्त हुए हैं—
- रिज क्षेत्र में गतिविधियों की अनुमति/अस्वीकृति
- अवैध निर्माणों व कब्जों की हटाने की शक्तियाँ
- मॉर्फोलॉजिकल रिज की पहचान और संरक्षण
- वैज्ञानिक वन प्रबंधन एवं पुनर्स्थापन
- खंड-खंड होने (fragmentation) की रोकथाम
शासन और पारदर्शिता में सुधार:
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एकल-खिड़की प्राधिकरण: पहली बार सभी अनुमतियाँ और निर्णय एक ही वैधानिक संस्था के माध्यम से होंगे। इससे DDA, MCD, दिल्ली पुलिस, वन विभाग आदि के बीच समन्वय और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
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पारदर्शी तंत्र: अधिसूचना के अनुसार: DRMB को सार्वजनिक वेबसाइट बनानी होगी। सभी अनुमति/आपत्ति प्रक्रियाएँ सार्वजनिक नोटिस के माध्यम से अनिवार्य होंगी। हर छह महीने बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट को स्थिति रिपोर्ट भेजनी होगी। जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
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पर्यावरणीय शासन: यह निर्णय पर्यावरणीय विधि-शासन (Environmental Rule of Law) को मजबूत करता है। चूँकि दिल्ली में वायु गुणवत्ता 2024–25 में कई बार AQI 350–450 के बीच दर्ज हुई, रिज का संरक्षण शहर के लिए पारिस्थितिक सुरक्षा कवच है।
