Developed India Employment and Livelihood Guarantee Mission Rural Act 2025
संदर्भ:
18 दिसंबर 2025 को संसद ने विकसित भारत – रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) विधेयक 2025 को पारित कर दिया। यह अधिनियम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (मनरेगा) का स्थान लेगा। सरकार के अनुसार यह कानून विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के अनुरूप ग्रामीण रोजगार को उत्पादक परिसंपत्ति निर्माण से जोड़ता है।
विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ:
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रोजगार गारंटी का विस्तार: नए कानून के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को मिलने वाली वैधानिक रोजगार गारंटी को 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन प्रति वित्तीय वर्ष कर दिया गया है। साथ ही मजदूरी भुगतान को साप्ताहिक या अधिकतम 14 दिनों के भीतर करना अनिवार्य किया गया है, जिससे देरी की समस्या कम होगी।
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कार्य संरचना: इस अधिनियम के अंतर्गत कार्यों को चार प्रमुख क्षेत्रों में केंद्रित किया गया है: जल सुरक्षा, मूल ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका अवसंरचना, और जलवायु अनुकूलन। इसके अतिरिक्त खेती के चरम मौसम में 60 दिन का कार्य विराम रखा गया है, ताकि कृषि गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
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वित्तपोषण ढांचा: इस योजना को केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) के रूप में लागू किया गया है। सामान्य राज्यों के लिए 60:40, उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10, तथा बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषण का प्रावधान है।
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शासन और निगरानी: अधिनियम के तहत ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषदें और स्टीयरिंग समितियाँ केंद्र व राज्य स्तर पर गठित की जाएंगी। कार्यान्वयन में बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित धोखाधड़ी पहचान, जीपीएस निगरानी और रीयल-टाइम डैशबोर्ड अनिवार्य किए गए हैं।
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समन्वय: निर्मित परिसंपत्तियों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक से जोड़ा जाएगा, जिसे पीएम गति शक्ति पहल के साथ समन्वित किया गया है। सामाजिक अंकेक्षण वर्ष में कम से कम दो बार अनिवार्य है।
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यह कानून अधिकार आधारित दृष्टिकोण से हटकर उत्पादकता-आधारित रोजगार मॉडल की ओर संकेत करता है। सरकार का तर्क है कि ग्रामीण गरीबी में गिरावट के कारण अब परिसंपत्ति निर्माण पर ज़ोर आवश्यक है। इसके लिए प्रशासनिक व्यय सीमा को बढ़ाकर 9 प्रतिशत किया गया है, जिससे निगरानी तंत्र सुदृढ़ होगा।

