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डिजिटल सर्विस टैक्स (Digital Services Tax) | UPSC Preparation

Digital Services Tax

Digital Services Tax

संदर्भ:

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि वे उन देशों पर नए टैरिफ लगा सकते हैं, जो अमेरिकी टेक कंपनियों पर डिजिटल सर्विस टैक्स या इसी तरह के नियम लागू करते हैं। उनका उद्देश्य है कि व्यापारिक साझेदार ऐसे टैक्स वापस लें, जो मुख्य रूप से Alphabet (Google), Meta (Facebook), और Amazon जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियों को निशाना बनाते हैं।

डिजिटल सर्विस टैक्स (Digital Services Tax – DST) क्या है?

डिजिटल सर्विस टैक्स (DST) एक राजस्वआधारित कर (Revenue-based Tax) है, जिसे विभिन्न देश बड़ी टेक कंपनियों पर लगाते हैं जब वे अपने डिजिटल सेवाएँ (Digital Services) स्थानीय उपयोगकर्ताओं को प्रदान करती हैं।

यह इनकम टैक्स (Income Tax), ऑनलाइन सेल्स टैक्स (Online Sales Tax) या VAT (Value Added Tax) नहीं है। पारंपरिक कॉर्पोरेट टैक्स मुनाफे (Profits) पर आधारित होता है, जबकि DST कंपनी की डिजिटल गतिविधियों से होने वाले कुल राजस्व (Gross Revenue) पर लगाया जाता है, भले ही कंपनी को मुनाफा हुआ हो या नहीं।

उदाहरण: ऑनलाइन विज्ञापन, डिजिटल मार्केटप्लेस और यूज़र डेटा की बिक्री से होने वाली आमदनी पर DST लगाया जाता है।

डिजिटल सर्विस टैक्स की विशेषताएँ:

  1. Revenue-Based Tax (राजस्व आधारित कर): DST कंपनी केकुल राजस्व (Gross Revenue) पर लगाया जाता है, न कि लाभ (Profit) पर। इसका उद्देश्य उस मूल्य को पकड़ना है जो डिजिटल सेवाओं से किसी देश के उपयोगकर्ताओं से उत्पन्न होता है।
  2. Large Multinationals को लक्ष्य करना: यह टैक्स मुख्यतः बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों (Multinational Enterprises) पर लागू होता है, जिनके पासवैश्विक स्तर पर बड़ा राजस्व और डिजिटल कारोबार होता है।
  3. Jurisdiction-Specific (देशविशिष्ट): DST उस देश केयूज़र के लोकेशन पर आधारित होता है। यानी, यदि किसी देश में उपयोगकर्ता किसी डिजिटल सेवा का इस्तेमाल करता है, तो उस सेवा से कंपनी को हुए राजस्व पर वही देश DST लगा सकता है।

ट्रम्प की चिंता और तर्क:

  1. अमेरिकी टेक कंपनियों पर सीधा असर
    • DST मुख्य रूप सेGoogle, Facebook, Amazon, Apple जैसी अमेरिकी टेक दिग्गज कंपनियों को टारगेट करता है।
    • कई देशों ने जब DST लगाना शुरू किया तो इसका सीधा नुकसान इन कंपनियों को हुआ, जिससे अमेरिकी सरकार ने इसेअमेरिका विरोधी कदम माना।
  2. दोहरा टैक्सेशन (Double Taxation) का खतरा
    • अमेरिकी कंपनियाँ पहले से ही अमेरिका में कॉर्पोरेट टैक्स देती हैं।
    • अगर हर देश अलग-अलग DST लगाएगा तो इन कंपनियों परदोहरा बोझ बढ़ेगा।
  3. वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन
    • ट्रम्प प्रशासन का तर्क था कि DST WTO के निष्पक्ष व्यापार सिद्धांतों के खिलाफ है।
    • इसे एक तरह काभेदभावपूर्ण टैक्स (Discriminatory Tax) माना गया।
  4. अमेरिकी निर्यात और निवेश पर नकारात्मक असर
    • DST से अमेरिकी टेक कंपनियों की लागत बढ़ती है, जिससे उनके मुनाफे में गिरावट आती है।
    • इससे अमेरिका केनिर्यात, निवेश और रोजगार पर बुरा असर पड़ सकता है।
  5. प्रतिशोधी टैरिफ का औजार
    • ट्रम्प ने चेतावनी दी कि अगर यूरोप या अन्य देश DST लगाएंगे, तो अमेरिका उनकेउत्पादों पर भारी टैरिफ लगाएगा।
    • इसका उद्देश्य था देशों पर दबाव डालना ताकि वे अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ DST लागू न करें।

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