Disaster Risk Index
संदर्भ:
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आपदा जोखिम सूचकांक (Disaster Risk Index – DRI) को नए सिरे से तैयार करने की मांग की है। उनका कहना है कि हिमालयी क्षेत्र की विशिष्ट भौगोलिक और प्राकृतिक परिस्थितियाँ हैं, जिनसे जुड़े खतरों को वर्तमान सूचकांक में पर्याप्त रूप से शामिल नहीं किया गया है।
डिजास्टर रिस्क इंडेक्स (DRI):
डिजास्टर रिस्क इंडेक्स (DRI) एक ऐसा माप है जो प्राकृतिक/मानवजनित आपदाओं के खतरे, संवेदनशीलता और क्षमता/सहनशीलता को मिलाकर तैयार किया जाता है।
भारत में उपयोग:
- DRI का प्रयोग यह पहचानने के लिए किया जाता है कि कौन से राज्य/केंद्रशासित प्रदेश (UTs) आपदाओं के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
- यह केवल प्राकृतिक आपदाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें शामिल हैं:
- कितने लोग प्रभावित हो सकते हैं
- कितनी आबादी, कृषि और अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है
- बुनियादी ढांचे की तैयारी और सुरक्षा
तैयारी: DRI 15वीं वित्त आयोग (2017–2025) द्वारा तैयार किया गया।
- इसमें 14 प्रकार की आपदाओं शामिल हैं: भूकंप, चक्रवात, बाढ़, सूखा, भूस्खलन, सूनामी, हिमस्खलन, हीट वेव, कोल्ड वेव, तटीय क्षरण, वन आग, आग, औद्योगिक आपदाएँ, बिजली गिरना
स्तर और गणना:
- DRI की गणना जिला स्तर (Census District) पर की जाती है (2011 की जनगणना के अनुसार 640 जिले)।
फिर इसे राज्य/केंद्रशासित प्रदेश स्तर पर समेकित किया जाता है।