Dowry Deaths in India
Dowry Deaths in India –
संदर्भ:
कानूनी रूप से प्रतिबंधित होने के बावजूद दहेज प्रथा और इससे जुड़ी हिंसा आज भी भारत में व्यापक रूप से जारी है। हाल ही में सामने आए दर्जनों मामले—जिनमें यातना, आत्महत्या और हत्या तक शामिल हैं—यह दर्शाते हैं कि निवारण, जांच और अभियोजन प्रणाली में गंभीर खामियाँ बनी हुई हैं। यह स्थिति भारत में लैंगिक न्याय और सामाजिक सुधार के प्रयासों को एक बार फिर कठघरे में खड़ा करती है।
दहेज के बारे में जानकारी
दहेज की परिभाषा (Dowry Definition): दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार: “किसी भी संपत्ति या बहुमूल्य वस्तु का विवाह में, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष को, या उसके माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति को दिया जाना या देने का वादा करना दहेज कहलाता है।”
समस्या की गंभीरता:
- दहेज संबंधित हिंसा और मृत्यु भारत में गहराई से जड़ जमा चुके पितृसत्तात्मक सोच का परिणाम है।
- यह लैंगिक आधार पर होने वाले अपराधों का सबसे पुराना और गंभीर रूप है।
दहेज उत्पीड़न के सामान्य रूप:
- मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना
- आत्महत्या, हत्या (जैसे जलाना, जहर देना, या फांसी लगाना)
- विवाह के बाद संपत्ति या पैसा लाने के लिए लगातार दबाव
कानूनी उपाय:
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत दहेज लेना, देना या मांगना दंडनीय अपराध है।
- दोष सिद्ध होने पर कम से कम 5 वर्ष की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है।
सामाजिक दृष्टिकोण:
- यह केवल कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार का भी मुद्दा है।
- महिलाओं की गरिमा, आत्मनिर्भरता और अधिकारों की रक्षा हेतु जन-जागरूकता और सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।
भारत में दहेज हत्या: स्थिति और आंकड़े:
दहेज हत्या के आंकड़े (NCRB 2022 अनुसार)
- कुल दर्ज मामले: 6,450 दहेज हत्याएं भारत में दर्ज की गईं।
- 80% मामले केवल 7 राज्यों से आए: उत्तर प्रदेश (सबसे अधिक), बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, हरियाणा
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) – 2024 के आंकड़े
- कुल शिकायतें: दहेज उत्पीड़न की 4,383 शिकायतें (सभी शिकायतों का 17%)
- दहेज हत्या की शिकायतें: 292 मामले दर्ज
- राज्यवार दहेज हत्या का बोझ:
- 60% से अधिक दहेज हत्याएं – पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार से
शहरों में दहेज हत्या
- दिल्ली: अकेले 19 बड़े शहरों में दर्ज कुल मामलों का 30%
- अन्य उच्च रिपोर्टिंग वाले शहर: कानपुर, बेंगलुर, लखनऊ, पटना
भारत में दहेज हत्याओं के पीछे मुख्य कारण–
- सांस्कृतिक स्वीकृति: दहेज आज भी कई समुदायों में परंपरा और सामाजिक अपेक्षा के रूप में देखा जाता है, विशेषकर अरेंज मैरिज में।
- आर्थिक शोषण: वर पक्ष दहेज को आर्थिक लाभ या सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने का माध्यम बनाते हैं।
- लैंगिक असमानता (Gender Inequality)
- बेटियों को अब भी आर्थिक बोझ माना जाता है, जिससे उन्हें दहेज की मांगों का सामना करना पड़ता है।
- दहेज न मिलने पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न होता है, जो हत्या या आत्महत्या तक पहुंचता है।
- लिंगानुपात असंतुलन: जिन जिलों में स्त्री–पुरुष अनुपात असंतुलित है, वहां दहेज हत्या के मामले अधिक देखे गए हैं।
- अशिक्षा और जागरूकता की कमी: कानूनी अधिकारों की जानकारी का अभाव, और प्रतिक्रिया का डर, महिलाओं को चुप रहने पर मजबूर करता है।
- न्याय में देरी: पुलिस जांच धीमी, और दोष सिद्धि दर कम होने से अपराधियों को दंड मिलने की संभावना कम हो जाती है, जिससे अपराध बढ़ते हैं।
- जातीय व सामाजिक संरचनाएं: हाइपरगैमी (नीचे से ऊपर विवाह) और पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं पर अधिक दहेज का दबाव रहता है।
निष्कर्ष: दहेज हत्याएं सामाजिक कुप्रथा, आर्थिक लालच और लैंगिक भेदभाव का त्रिकोणीय परिणाम हैं।
इसके समाधान के लिए शिक्षा, सशक्तिकरण, तेज न्याय प्रणाली और सामाजिक जागरूकता जरूरी है।