Draft Seeds Bill 2025

संदर्भ:
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2025 में बीज विधेयक (Draft Seeds Bill), 2025 जारी किया है। यह विधेयक भारत के बीज विनियमन ढांचे में व्यापक सुधार लाने के उद्देश्य से बनाया गया है। इसका लक्ष्य मौजूदा पुराने नियमों को प्रतिस्थापित कर एक आधुनिक, पारदर्शी और जवाबदेह बीज शासन प्रणाली स्थापित करना है।
बीज विधेयक 2025 के मुख्य बिंदु
बीज पंजीकरण:
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विधेयक में सभी बीजों के लिए अनिवार्य पंजीकरण का प्रावधान है। कोई भी किस्म तब तक बिक्री के लिए मान्य नहीं होगी, जब तक वह Value for Cultivation and Use (VCU) परीक्षणों पर आधारित पंजीकरण प्राप्त न कर ले।
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वर्ष 1966 के अधिनियम में अधिसूचित प्रजातियाँ स्वतः पंजीकृत मानी जाएँगी और वर्तमान प्रचलित किस्मों को 3 वर्ष की अस्थायी पंजीकरण अवधि मिलेगी।
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केंद्र सरकार को अंकुरण, शुद्धता, स्वास्थ्य और आनुवंशिक गुणों से संबंधित न्यूनतम मानक अधिसूचित करने का अधिकार रहेगा। गलत लेबलिंग, मिलावटी तथा कम-गुणवत्ता वाले बीजों की विक्री पर कठोर प्रतिबंध है।
किसान अधिकारों की सुरक्षा:
- बीज विधेयक 2025 किसानों को farm-saved seeds के संबंध में महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करता है। किसान अपनी फसल से बचाए गए बीजों को उपयोग, पुनः बोना, विनिमय और बेचना जारी रख सकते हैं, बशर्ते वे किसी ब्रांड नाम से न बेचें।
- किसानों पर किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्यवाही लागू नहीं होगी।
राज्य और केंद्र स्तर की संस्थागत संरचना:
- केंद्र सरकार के अंतर्गत केंद्रीय बीज समिति (Central Seed Committee) इस विधेयक के क्रियान्वयन और नीतिगत मार्गदर्शन की apex संस्था होगी।
- राज्य स्तर पर State Seed Committee का गठन किया जाएगा, जिसमें अधिकतम 15 सदस्य होंगे। इसका उत्तरदायित्व राज्य की बीज-व्यवस्था का समन्वयन, निरीक्षण और अनुशंसा करना है।
- इसके अतिरिक्त, देशभर में केंद्रीय एवं राज्य बीज परीक्षण प्रयोगशालाएँ, प्रमाणन एजेंसियाँ तथा Seed Inspectors और Seed Analysts की नियुक्ति का प्रावधान है, जिससे निरीक्षण और गुणवत्ता परीक्षण प्रक्रिया सुदृढ़ होगी।
बीज आपूर्ति श्रृंखला का विनियमन:
- विधेयक बीज उत्पादक, प्रोसेसिंग यूनिट, डीलर, वितरक और नर्सरी—सभी को अनिवार्य पंजीकरण के दायरे में लाता है। बहु-राज्य संचालन वाले संगठनों के लिए केंद्र स्तरीय Accreditation System के माध्यम से “डीम्ड रजिस्ट्रेशन” की सुविधा भी उपलब्ध है।
- साथ ही, बीज पैकेट पर अनिवार्य लेबलिंग और QR कोड आधारित ट्रेसिबिलिटी लागू की जाएगी, जिससे आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जीवाड़ा कम होगा।
आयात और अनुसंधान को प्रोत्साहन:
- विधेयक बीज आयात को उदार लेकिन नियंत्रित बनाता है। सभी आयातित बीजों को quarantine नियमों और भारतीय न्यूनतम बीज मानकों का पालन करना होगा।
- अ-पंजीकृत बीजों को अनुसंधान एवं परीक्षण हेतु विशेष अनुमति के साथ आयात किया जा सकता है, जिससे नवीन किस्मों के विकास और वैश्विक सहयोग को गति मिल सके।
डिजिटल ट्रेसिबिलिटी प्रणाली:
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विधेयक में SATHI (Seed Authentication, Traceability and Holistic Integration) पोर्टल को लागू करने का प्रावधान है।
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इसमें बीज उत्पादक, प्रसंस्करण संस्थान, अनुसंधान निकाय और डीलर अनिवार्य रूप से पंजीकृत होंगे। इससे end-to-end traceability संभव होगी और शिकायत समाधान प्रक्रिया तेज़ बनेगी।
दंड प्रावधान:
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विधेयक में अपराधों को तीन श्रेणियों—trivial, minor और major—में विभाजित किया गया है।
- तिरस्कार योग्य अपराध: चेतावनी या छोटे दंड।
- लघु अपराध: ₹2 लाख तक का दंड।
- गंभीर अपराध: नकली बीज, गैर-पंजीकृत किस्मों की बिक्री तथा बिना पंजीकरण व्यापार।
- इन मामलों में ₹30 लाख तक जुर्माना और अधिकतम 3 वर्ष कारावास का प्रावधान है।
- किसानों को सभी दंडों से मुक्त रखा गया है।
