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समृद्ध कार्यक्रम की स्टार्टअप्स एक्सेलेरेटर्स के लिए दूसरे समूह की चयन प्रक्रिया का शुभारंभ

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने उत्पाद नवाचार, विकास और प्रगति (समृद्धि) के लिए मंत्रालय के स्टार्टअप एक्सेलेरेटर्स के दूसरे समूह की चयन प्रक्रिया की शुरुआत की।

  • इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति (NPSP) – 2019 के अंतर्गत भारत के सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
  • इस नीति के तहत भारतीय सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग, विशेष रूप से स्टार्टअप्स, को विभिन्न कार्यक्रमों जैसे उत्कृष्टता केंद्र, तकनीकी इनक्यूबेशन और उद्यमिता विकास (TIDE) योजना, अगली पीढ़ी की इनक्यूबेशन योजना (NGIS), आईसीटी ग्रैंड चैलेंज, और जेन-नेक्स्ट सपोर्ट (GENESIS) जैसी योजनाओं के माध्यम से सहयोग प्रदान किया जा रहा है।

समृद्ध कार्यक्रम के बारे में जानकारी: भारतीय सॉफ्टवेयर स्टार्टअप्स का संवर्द्धन

  • समृद्ध (SAMRIDH), राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति-2019 के अंतर्गत, सॉफ्टवेयर स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने हेतु इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संचालित एक प्रमुख योजना है।
  • अगस्त 2021 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य 4 साल की अवधि में 99 करोड़ रुपये के बजट से 300 सॉफ्टवेयर उत्पाद स्टार्टअप्स को समर्थन देना है।
  • इस योजना के तहत स्टार्टअप्स को एक्सेलेरेटर्स के माध्यम से उत्पादों को बाजार के लिए उपयुक्त बनाने, व्यावसायिक रणनीति तैयार करने, निवेशकों के साथ जुड़ने और अंतर्राष्ट्रीय अवसरों तक पहुंचने जैसी सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
  • इसके साथ ही मंत्रालय द्वारा 40 लाख रुपये तक का वित्तीय सहयोग भी दिया जाता है। इस योजना को इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के स्टार्टअप हब (MSH) और डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (DIC) के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है।

समृद्ध के लिए विविध एक्सेलेरेटर नेटवर्क:

  • समृद्ध कार्यक्रम के अंतर्गत, दूसरा समूह 4 सितंबर, 2024 को इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस कृष्णन द्वारा लॉन्च किया गया।
  • यह भारत सरकार के 100 दिवसीय एजेंडे का हिस्सा है, जिसके तहत 125 स्टार्टअप्स का चयन किया जाएगा ताकि कुल 300 स्टार्टअप्स का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।
  • पहले समृद्ध समूह में, 12 राज्यों से 22 एक्सेलेरेटर्स का चयन किया गया था, जिनमें सरकारी सहायता प्राप्त संगठन, शैक्षणिक संस्थान, निजी क्षेत्र और स्टार्टअप्स के प्रारंभिक चरण के वित्त पोषण प्लेटफॉर्म शामिल थे।
  • ये एक्सेलेरेटर्स एक बहु-स्तरीय स्क्रीनिंग प्रक्रिया के माध्यम से चुने जाते हैं और इनमें से प्रत्येक 5-10 स्टार्टअप्स का चयन करता है। प्रमुख क्षेत्रों में स्वास्थ्य-तकनीक, शिक्षा-तकनीक, कृषि-तकनीक, उपभोक्ता-तकनीक, वित्तीय-तकनीक, सॉफ्टवेयर एज ए सर्विस (SaaS) और स्थिरता शामिल हैं।

राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति – 2019:

2019 में भारत सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति (National Policy on Software Products- NPSP) एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य भारत को सॉफ्टवेयर उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है। इस नीति के माध्यम से सरकार का लक्ष्य है कि भारत सॉफ्टवेयर सेवाओं के अलावा सॉफ्टवेयर उत्पादों के विकास और निर्यात में भी एक प्रमुख खिलाड़ी बन सके।

मुख्य प्रभाव:

  • सॉफ्टवेयर उत्पाद क्षेत्र को नवाचार, बौद्धिक संपदा (आईपी) निर्माण और उच्च मूल्य वृद्धि के रूप में पहचाना जाता है, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है।
  • इस क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं, जो राजस्व और निर्यात को बढ़ाने के साथ-साथ नए रोजगार और उद्यमिता के अवसर पैदा करने में सहायक हो सकती हैं।
  • यह नीति डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध अवसरों का उपयोग करते हुए समावेशी और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देगी।

खर्च:

  • इस नीति के तहत योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने के लिए शुरुआती खर्च 1,500 करोड़ रुपये होगा, जिसे 7 साल की अवधि में खर्च किया जाएगा।
  • इस राशि को सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास कोष (SPDF) और अनुसंधान एवं नवाचार कोष के रूप में बांटा जाएगा।

कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:

इस नीति से सॉफ्टवेयर उत्पाद क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाएं, परियोजनाएं और उपाय तैयार किए जाएंगे, जो इसमें बताए गए रोडमैप के अनुसार होंगे।

NPSP-2019 के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित पांच मिशन निर्धारित किए गए हैं:

  1. सतत भारतीय सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग को बढ़ावा देना, जो बौद्धिक संपदा (आईपी) पर आधारित हो और 2025 तक वैश्विक सॉफ्टवेयर उत्पाद बाजार में भारत की हिस्सेदारी को दस गुना बढ़ाए।
  2. सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग में 10,000 तकनीकी स्टार्टअप्स को विकसित करना, जिसमें 1,000 स्टार्टअप्स को छोटे और मझोले शहरों में स्थापित करना और 2025 तक 35 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देना।
  3. सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग के लिए प्रतिभा का विकास करना, जिसमें 10 लाख आईटी पेशेवरों को नए कौशल सिखाना, 1 लाख छात्रों को प्रेरित करना, और 10,000 विशेषज्ञ पेशेवर तैयार करना जो नेतृत्व कर सकें।
  4. क्लस्टर आधारित नवाचार-प्रधान पारिस्थितिकी का निर्माण करना, जिसमें 20 क्षेत्रीय और रणनीतिक रूप से स्थित सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास क्लस्टर विकसित किए जाएंगे, जिसमें आईसीटी इंफ्रास्ट्रक्चर, मार्केटिंग, इनक्यूबेशन, अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) और मेंटरिंग समर्थन होगा।
  5. इस नीति को लागू करने के लिए योजनाओं और कार्यक्रमों को विकसित करने और उनकी निगरानी के लिए सरकारी, शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ एक राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद मिशन का गठन किया जाएगा।

पृष्ठभूमि:

  • भारतीय आईटी उद्योग अब तक मुख्य रूप से एक सेवा उद्योग रहा है, लेकिन अब तकनीकी उत्पादों और सेवाओं के माध्यम से मूल्य श्रृंखला में ऊपर बढ़ने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
  • सरकार ने राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति – 2019 को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य नवाचार, बेहतर व्यावसायीकरण, स्थायी बौद्धिक संपदा (आईपी) और तकनीकी स्टार्टअप्स को बढ़ावा देकर भारत को वैश्विक सॉफ्टवेयर उत्पाद हब के रूप में विकसित करना है।
  • यह नीति स्टार्ट-अप इंडिया, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसे अन्य सरकारी पहलों के साथ तालमेल बिठाकर 2025 तक 70-80 अरब अमेरिकी डॉलर का भारतीय सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग बनाने का लक्ष्य रखती है, जिसमें लगभग 35 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने उत्पाद नवाचार, विकास और प्रगति (समृद्धि) के लिए मंत्रालय के स्टार्टअप एक्सेलेरेटर्स के दूसरे समूह की चयन प्रक्रिया की शुरुआत की।

  • इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति (NPSP) – 2019 के अंतर्गत भारत के सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
  • इस नीति के तहत भारतीय सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग, विशेष रूप से स्टार्टअप्स, को विभिन्न कार्यक्रमों जैसे उत्कृष्टता केंद्र, तकनीकी इनक्यूबेशन और उद्यमिता विकास (TIDE) योजना, अगली पीढ़ी की इनक्यूबेशन योजना (NGIS), आईसीटी ग्रैंड चैलेंज, और जेन-नेक्स्ट सपोर्ट (GENESIS) जैसी योजनाओं के माध्यम से सहयोग प्रदान किया जा रहा है।

समृद्ध कार्यक्रम के बारे में जानकारी: भारतीय सॉफ्टवेयर स्टार्टअप्स का संवर्द्धन

  • समृद्ध (SAMRIDH), राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति-2019 के अंतर्गत, सॉफ्टवेयर स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने हेतु इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संचालित एक प्रमुख योजना है।
  • अगस्त 2021 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य 4 साल की अवधि में 99 करोड़ रुपये के बजट से 300 सॉफ्टवेयर उत्पाद स्टार्टअप्स को समर्थन देना है।
  • इस योजना के तहत स्टार्टअप्स को एक्सेलेरेटर्स के माध्यम से उत्पादों को बाजार के लिए उपयुक्त बनाने, व्यावसायिक रणनीति तैयार करने, निवेशकों के साथ जुड़ने और अंतर्राष्ट्रीय अवसरों तक पहुंचने जैसी सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
  • इसके साथ ही मंत्रालय द्वारा 40 लाख रुपये तक का वित्तीय सहयोग भी दिया जाता है। इस योजना को इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के स्टार्टअप हब (MSH) और डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (DIC) के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है।

समृद्ध के लिए विविध एक्सेलेरेटर नेटवर्क:

  • समृद्ध कार्यक्रम के अंतर्गत, दूसरा समूह 4 सितंबर, 2024 को इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस कृष्णन द्वारा लॉन्च किया गया।
  • यह भारत सरकार के 100 दिवसीय एजेंडे का हिस्सा है, जिसके तहत 125 स्टार्टअप्स का चयन किया जाएगा ताकि कुल 300 स्टार्टअप्स का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।
  • पहले समृद्ध समूह में, 12 राज्यों से 22 एक्सेलेरेटर्स का चयन किया गया था, जिनमें सरकारी सहायता प्राप्त संगठन, शैक्षणिक संस्थान, निजी क्षेत्र और स्टार्टअप्स के प्रारंभिक चरण के वित्त पोषण प्लेटफॉर्म शामिल थे।
  • ये एक्सेलेरेटर्स एक बहु-स्तरीय स्क्रीनिंग प्रक्रिया के माध्यम से चुने जाते हैं और इनमें से प्रत्येक 5-10 स्टार्टअप्स का चयन करता है। प्रमुख क्षेत्रों में स्वास्थ्य-तकनीक, शिक्षा-तकनीक, कृषि-तकनीक, उपभोक्ता-तकनीक, वित्तीय-तकनीक, सॉफ्टवेयर एज ए सर्विस (SaaS) और स्थिरता शामिल हैं।

राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति – 2019:

2019 में भारत सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति (National Policy on Software Products- NPSP) एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य भारत को सॉफ्टवेयर उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है। इस नीति के माध्यम से सरकार का लक्ष्य है कि भारत सॉफ्टवेयर सेवाओं के अलावा सॉफ्टवेयर उत्पादों के विकास और निर्यात में भी एक प्रमुख खिलाड़ी बन सके।

मुख्य प्रभाव:

  • सॉफ्टवेयर उत्पाद क्षेत्र को नवाचार, बौद्धिक संपदा (आईपी) निर्माण और उच्च मूल्य वृद्धि के रूप में पहचाना जाता है, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है।
  • इस क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं, जो राजस्व और निर्यात को बढ़ाने के साथ-साथ नए रोजगार और उद्यमिता के अवसर पैदा करने में सहायक हो सकती हैं।
  • यह नीति डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध अवसरों का उपयोग करते हुए समावेशी और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देगी।

खर्च:

  • इस नीति के तहत योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने के लिए शुरुआती खर्च 1,500 करोड़ रुपये होगा, जिसे 7 साल की अवधि में खर्च किया जाएगा।
  • इस राशि को सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास कोष (SPDF) और अनुसंधान एवं नवाचार कोष के रूप में बांटा जाएगा।

कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:

इस नीति से सॉफ्टवेयर उत्पाद क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाएं, परियोजनाएं और उपाय तैयार किए जाएंगे, जो इसमें बताए गए रोडमैप के अनुसार होंगे।

NPSP-2019 के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित पांच मिशन निर्धारित किए गए हैं:

  1. सतत भारतीय सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग को बढ़ावा देना, जो बौद्धिक संपदा (आईपी) पर आधारित हो और 2025 तक वैश्विक सॉफ्टवेयर उत्पाद बाजार में भारत की हिस्सेदारी को दस गुना बढ़ाए।
  2. सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग में 10,000 तकनीकी स्टार्टअप्स को विकसित करना, जिसमें 1,000 स्टार्टअप्स को छोटे और मझोले शहरों में स्थापित करना और 2025 तक 35 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देना।
  3. सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग के लिए प्रतिभा का विकास करना, जिसमें 10 लाख आईटी पेशेवरों को नए कौशल सिखाना, 1 लाख छात्रों को प्रेरित करना, और 10,000 विशेषज्ञ पेशेवर तैयार करना जो नेतृत्व कर सकें।
  4. क्लस्टर आधारित नवाचार-प्रधान पारिस्थितिकी का निर्माण करना, जिसमें 20 क्षेत्रीय और रणनीतिक रूप से स्थित सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास क्लस्टर विकसित किए जाएंगे, जिसमें आईसीटी इंफ्रास्ट्रक्चर, मार्केटिंग, इनक्यूबेशन, अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) और मेंटरिंग समर्थन होगा।
  5. इस नीति को लागू करने के लिए योजनाओं और कार्यक्रमों को विकसित करने और उनकी निगरानी के लिए सरकारी, शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ एक राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद मिशन का गठन किया जाएगा।

पृष्ठभूमि:

  • भारतीय आईटी उद्योग अब तक मुख्य रूप से एक सेवा उद्योग रहा है, लेकिन अब तकनीकी उत्पादों और सेवाओं के माध्यम से मूल्य श्रृंखला में ऊपर बढ़ने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
  • सरकार ने राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति – 2019 को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य नवाचार, बेहतर व्यावसायीकरण, स्थायी बौद्धिक संपदा (आईपी) और तकनीकी स्टार्टअप्स को बढ़ावा देकर भारत को वैश्विक सॉफ्टवेयर उत्पाद हब के रूप में विकसित करना है।
  • यह नीति स्टार्ट-अप इंडिया, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसे अन्य सरकारी पहलों के साथ तालमेल बिठाकर 2025 तक 70-80 अरब अमेरिकी डॉलर का भारतीय सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग बनाने का लक्ष्य रखती है, जिसमें लगभग 35 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY):

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण मंत्रालय है जो देश में इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार क्षेत्रों के विकास के लिए जिम्मेदार है। यह मंत्रालय देश में डिजिटल इंडिया पहल को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।

MeitY के प्रमुख कार्य और उद्देश्य:

·        डिजिटल इंडिया पहल: देश को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और डिजिटल डिवाइड को कम करने के लिए विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम चलाना।

·        सूचना प्रौद्योगिकी का विकास: देश में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को बढ़ावा देना, सॉफ्टवेयर विकास को प्रोत्साहित करना और डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा देना।

·        इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन: देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को बढ़ावा देना और इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर का निर्माण करना।

·        डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर: देश में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास करना, जैसे कि ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, डेटा सेंटर आदि।

·        साइबर सुरक्षा: देश की साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाना और साइबर अपराधों से निपटना।

·        ई-गवर्नेंस: ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना और सरकारी सेवाओं को डिजिटल रूप से उपलब्ध कराना।

MeitY की प्रमुख योजनाएं और कार्यक्रम:

·        डिजिटल इंडिया: यह एक व्यापक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य भारत को एक डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदलना है।

·        स्टार्टअप इंडिया: यह कार्यक्रम स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने और उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए है।

·        मेक इन इंडिया: यह कार्यक्रम भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए है।

·        भारत नेट: यह कार्यक्रम देश के सभी गांवों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए है।

·        सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास कोष: यह कोष सॉफ्टवेयर उत्पादों के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

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