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निर्यात संवर्धन मिशन (EPM) | Apni Pathshala

EPM

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संदर्भ

भारत सरकार ने नवंबर 2025 में ₹25,060 करोड़ की लागत से Export Promotion Mission (EPM) को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक निर्यात प्रणाली में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना और विशेष रूप से MSME, प्रथम-पीढ़ी के निर्यातकों तथा श्रम-प्रधान उद्योगों को मजबूत समर्थन प्रदान करना है।

Export Promotion Mission (EPM) क्या हैं?

  • EPM एक प्रमुख निर्यात-उन्मुख नीति पहल है, जिसे 2025–26 के केंद्रीय बजट में घोषित किया गया था। 
  • इसका मुख्य लक्ष्य भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता, दक्षता, और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार लाना है। 
  • यह मिशन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने, MSME इकाइयों के लिए व्यापारिक प्रक्रियाओं को सरल करने, ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने, और नए निर्यातकों को प्रशिक्षण तथा मार्गदर्शन देने पर केंद्रित है। 
  • यह पहल वित्तीय बाधाओं, उच्च अनुपालन लागत और क्षेत्रीय असमानताओं जैसे संरचनात्मक अवरोधों को सीधे संबोधित करती है।

EPM के घटक

  • निर्यात प्रोत्साहन: EPM के अंतर्गत “निर्यात प्रोत्साहन” उपयुक्त वित्तीय साधनों के माध्यम से निर्यातकों की पूंजीगत जरूरतों को संबोधित करता है। इसमें ब्याज सब्वेंशन, एक्सपोर्ट फैक्टरिंग, बिना भारी गारंटी वाले ऋण, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए विशेष क्रेडिट कार्ड, और नए बाज़ारों में प्रवेश के लिए जोखिम कवरेज शामिल है। इसका उद्देश्य विशेष रूप से छोटे निर्यातकों को वहन करने योग्य कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराना तथा तरलता से जुड़े जोखिमों को कम करना है।
  • निर्यात दिशा: यह उप-योजना गैर-वित्तीय सहायता के माध्यम से निर्यात क्षमता को मजबूत करती है। इसमें अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन प्राप्त करने में सहायता, वैश्विक बाज़ारों के अनुरूप पैकेजिंग और ब्रांडिंग सुधार, अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में भागीदारी, और निर्यात लॉजिस्टिक्स—जैसे वेयरहाउसिंग, कोल्ड-चेन, और इनलैंड परिवहन—के लिए सहायता शामिल है। यह भारत की “Brand India” दृष्टि को वैश्विक मंच पर सुदृढ़ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

EPM का प्रशासनिक ढांचा

  • इस मिशन की प्रमुख ज़िम्मेदारी DGFT के पास है, जो नीति समन्वय, डिजिटल प्लेटफॉर्म संचालन और प्रदर्शन निगरानी का कार्य संभालता है। 
  • वाणिज्य मंत्रालय इसकी नीतिगत दिशा तय करता है और अन्य विभागों के बीच तालमेल सुनिश्चित करता है। 
  • वित्त मंत्रालय इसके लिए फंड उपलब्ध कराता है तथा बैंकों के साथ मिलकर वित्तीय साधनों को लागू करता है। 
  • MSME मंत्रालय प्रशिक्षण और प्रमाणन सहायता देता है, जबकि राज्य सरकारें जिलों स्तर पर नए निर्यातकों और स्थानीय उत्पादों की पहचान में मुख्य भूमिका निभाती हैं। 
  • एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल और EXIM Bank जैसे वित्तीय संस्थान तकनीकी और वित्तीय समर्थन प्रदान करते हैं।

EPM का महत्व

  • यह मिशन उन उद्योगों को मजबूत आधार देता है, जो वैश्विक शुल्क वृद्धि से प्रभावित हुए हैं। गुणवत्ता मानकों, पर्यावरण अनुपालन और स्थिरता प्रमाणन पर ध्यान देकर यह मिशन भारतीय उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता बढ़ाता है। 
  • यह “Brand India” की वैश्विक दृश्यता बढ़ाकर नए बाजारों तक पहुँच आसान बनाता है। साथ ही, यह उत्पादन, लॉजिस्टिक्स और सेवा क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित करने की क्षमता रखता है।
  • EPM भारत के दीर्घकालिक विकास दृष्टिकोण Viksit Bharat @2047 के अनुरूप आत्मनिर्भर, उच्च-गुणवत्ता वाले और विश्व-स्तरीय निर्यात तंत्र को स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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