Exemptions for Mineral Exploration Drilling on Forest Land
संदर्भ:
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति (FAC) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए खनिज अन्वेषण गतिविधियों के लिए वन भूमि पर अधिक बोरहोल की अनुमति दे दी है। मंत्रालय के दस्तावेज़ों के अनुसार, इसके लिए अब वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 के तहत अलग से मंज़ूरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
समिति के प्रमुख नीतिगत निर्णय:
- बोरहोल सीमा: मंत्रालय ने सर्वे और अन्वेषण कार्यों के लिए 10 वर्ग किलोमीटर में 62 से 80 बोरहोल (6 इंच व्यास तक) की अनुमति दी है। यह सीमा खनिज या अयस्क के प्रकार पर निर्भर करेगी।
- बोरहोल क्या है: यह पृथ्वी में गहरे और संकरे छेद होते हैं जिनका उपयोग खनिज, अयस्क, तेल या गैस की खोज के लिए किया जाता है।
- पुराने नियम: वन संरक्षण कानून के तहत पहले 10 वर्ग किलोमीटर में 25 बोरहोल और 80 शॉट होल (छोटे छेद) की अनुमति थी, साथ ही 100 पेड़ों की कटाई भी छूट में शामिल थी।
पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय:
- सीमित कार्य समय: ड्रिलिंग केवल सुबह 9 बजे से शाम 5:30 बजे तक ही होगी, ताकि वन्यजीवों की गतिविधियों के साथ तालमेल बना रहे।
- साइट पुनर्स्थापन: कार्य पूरा होने पर बोरहोल को सीमेंट से बंद करना अनिवार्य होगा।
- प्रतिबंधित क्षेत्र: इन इलाकों में ड्रिलिंग की अनुमति नहीं होगी—
- वन्यजीवों के प्रजनन और घोंसले बनाने वाले महत्वपूर्ण आवास
- जलस्रोत और नदी किनारे के पारिस्थितिकी तंत्र
- उच्च जैव विविधता वाले क्षेत्र
- विलुप्तप्राय/स्थानीय प्रजातियों वाले क्षेत्र
- सांस्कृतिक या धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण वन क्षेत्र
उद्देश्य और आवश्यकता:
- महत्वपूर्ण खनिजों पर जोर: लिथियम, कोबाल्ट, निकल और रेयर अर्थ जैसे खनिज, जो स्वच्छ ऊर्जा, रक्षा और आधुनिक उद्योगों के लिए अनिवार्य हैं, अधिकतर वन क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- व्यवसाय में सुगमता: अस्थायी सर्वेक्षणों के लिए बार-बार केंद्रीय मंजूरी लेने की ज़रूरत खत्म होने से प्रक्रियाएँ तेज़ और सरल होंगी।
- निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन: यह कदम खनन अन्वेषण में निजी कंपनियों और निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने का मार्ग खोलेगा।
- आर्थिक विकास में योगदान: खनिज संसाधन बुनियादी ढांचे, विनिर्माण, रक्षा उत्पादन और हरित प्रौद्योगिकियों के लिए अहम आधार हैं।
प्रमुख चिंताएँ:
- जैविक संतुलन पर असर: खनन सर्वेक्षण के दौरान होने वाला शोर और कंपन जंगली जानवरों की दिनचर्या और उनके प्राकृतिक मार्गों को बाधित कर सकता है।
- पानी के स्रोतों को खतरा: ड्रिलिंग के दौरान निकलने वाला तेल, ग्रीस या ठोस अवशेष जंगलों की नदियों और झरनों को प्रदूषित कर सकते हैं।
- प्रतिपूर्ति की सीमाएँ: मौजूदा कानून केवल पेड़ कटने पर नए पौधे लगाने की बात करते हैं। लेकिन पुरानी वनस्पति, घने छत्रों और पारिस्थितिक विविधता की क्षति को इस तरह पूरी तरह से पूरा नहीं किया जा सकता।
- स्थानीय समुदायों के अधिकार: वन अधिकार अधिनियम, 2006 आदिवासी और पारंपरिक वनवासियों को कानूनी अधिकार देता है। यदि खनिज खोज को “वन से जुड़ी गतिविधि” मान लिया गया, तो ग्रामसभा की सहमति और सामुदायिक अधिकारों को दरकिनार किया जा सकता है।
- कानूनी निगरानी से बचने की आशंका: वन अधिनियम, 1980 के तहत अब तक गैर-संरक्षण गतिविधियों के लिए केंद्र से अनुमति जरूरी थी। लेकिन नई परिभाषा के बाद खनिज खोज इस प्रक्रिया से बाहर हो सकती है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठेंगे।
निष्कर्ष:
खनिज अन्वेषण को “वन गतिविधि” के रूप में वर्गीकृत करने का उद्देश्य आर्थिक विकास और ऊर्जा सुरक्षा को गति देना है, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरणीय संतुलन, जैव विविधता, और स्थानीय समुदायों के अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। इसलिए, नीतियों को इस तरह संतुलित करने की ज़रूरत है कि विकास की गति बनी रहे, लेकिन पारिस्थितिकी और जनजातीय समुदायों के अधिकारों की अनदेखी न हो।