Flue Gas Desulfurization
संदर्भ:
प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय सूद की अध्यक्षता में विशेषज्ञों के एक समूह ने हाल ही में केंद्र सरकार को यह सुझाव दिया है कि वह कोयला आधारित तापीय बिजली संयंत्रों में फ्ल्यू गैस डीसल्फराइजेशन (FGD) यूनिट लगाने की 10 वर्ष पुरानी अनिवार्यता को रद्द कर दे। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नियम की व्यवहारिकता और प्रभावशीलता पर पुनर्विचार आवश्यक है, विशेषकर वर्तमान ऊर्जा आवश्यकताओं और प्रौद्योगिकीय विकास को देखते हुए।
Flue Gas Desulphurisation (FGD) Unit क्या है?
- परिभाषा: FGD यूनिट एक तकनीकी उपकरण है जो कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों (Thermal Power Plants – TPPs) में फ्लू गैस से सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) को हटाने के लिए उपयोग होता है।
- फ्लू गैस क्या है ? यह जीवाश्म ईंधन (जैसे कोयला) के जलने से निकलने वाली गैस होती है, जिसमें मुख्यतः SO₂, CO₂, NOx और particulate matter जैसे प्रदूषक होते हैं।
प्रमुख FGD तकनीकें:
- Dry Sorbent Injection (सूखी विधि):
- फ्लू गैस में पिसा हुआ चूना पत्थर (limestone) मिलाया जाता है।
- यह SO₂ से प्रतिक्रिया कर प्रदूषण को कम करता है।
- Wet Limestone Treatment (गीली विधि):
- चूना पत्थर के घोल (slurry) को फ्लू गैस के साथ प्रतिक्रिया कराकर जिप्सम (Gypsum) बनाया जाता है।
- यह सबसे सामान्य और प्रभावी विधि मानी जाती है।
- Sea Water Scrubbing (समुद्री जल विधि):
- समुद्र के किनारे स्थित संयंत्रों में उपयोग होता है।
- फ्लू गैस को समुद्री जल से धोकर SO₂ को हटाया जाता है।
SO₂ उत्सर्जन क्यों है हानिकारक ?
- श्वसन तंत्र और स्वास्थ्य पर प्रभाव: SO₂ श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों की क्षति जैसी समस्याएं होती हैं।
- 5 का निर्माण: वायुमंडल में SO₂ की रासायनिक क्रियाओं से सूक्ष्म कण (PM2.5) बनते हैं, जो फेफड़ों में गहराई तक जाकर रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं।
- एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) में योगदान: SO₂, जलवाष्प से मिलकर सल्फ्यूरिक एसिड बनाता है, जिससे अम्लीय वर्षा होती है जो मिट्टी, फसलों, जंगलों और जल पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाती है।
- 4. पर्यावरणीय क्षरण: उच्च SO₂ स्तर से भवनों का क्षरण होता है, विशेषकर चूना पत्थर व संगमरमर से बने स्मारकों का।
- जलवायु और दृश्यता पर असर: SO₂ सीधे ग्रीनहाउस गैस नहीं है, लेकिन यह एरोसोल बनाकर बादल निर्माण, दृश्यता में कमी और जलवायु असंतुलन में योगदान करता है।
2015 FGD नियम को रद्द क्यों किया जाना चाहिए?
उच्च स्थापना लागत का आर्थिक बोझ:
- FGD यूनिट की स्थापना लागत लगभग ₹1.2 करोड़ प्रति मेगावाट होती है।
- इससे बिजली उत्पादन की लागत और टैरिफ दोनों बढ़ जाते हैं, जिससे उपभोक्ताओं पर सीधा असर पड़ता है।
कमजोर और धीमी कार्यान्वयन स्थिति:
- 2015 के नियम के बावजूद अब तक कार्यान्वयन अत्यंत दुखद रहा है।
2025 तक केवल 39 में से 537 संयंत्रों में ही FGD सिस्टम लगे हैं।
- बार-बार डेडलाइन बढ़ाकर 2029 तक करना संस्थागत अक्षमता और योजना की अव्यवहारिकता को दर्शाता है।
कुछ क्षेत्रों में सीमित वायु गुणवत्ता सुधार:
- कई क्षेत्रों में थर्मल पावर प्लांट से SO₂ का योगदान 5 स्तर में अपेक्षाकृत कम होता है।
- दिल्ली जैसे शहरों में प्रदूषण के प्रमुख स्रोत वाहन, निर्माण कार्य और पराली जलाना हैं — वहाँ दूरस्थ पावर प्लांट में FGD लगाने से प्रत्यक्ष लाभ नगण्य रहेगा।
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