Foreigners Tribunal in Assam
संदर्भ:
“असम की आप्रवासन निरुद्ध व्यवस्था न केवल इसमें फंसे लोगों की स्वतंत्रता और कल्याण के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि यह संवैधानिक सिद्धांतों के पालन को लेकर भी गंभीर प्रश्न उठाती है।”
असम में विदेशी न्यायाधिकरण (Foreigners Tribunals):
परिचय:
- विदेशी न्यायाधिकरण (FTs) असम में स्थापित अर्ध-न्यायिक निकाय हैं।
- उद्देश्य: उन व्यक्तियों के मामलों का निपटारा करना जो अवैध प्रवासी होने के संदेह में हैं।
स्थापना:
- विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 के तहत।
- यह आदेश विदेशी अधिनियम, 1946 से अपनी वैधानिकता प्राप्त करता है।
प्रमुख कार्य:
- एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) से बाहर छूटे व्यक्तियों के मामले: लगभग 19.06 लाख लोगों के मामले।
- मूल लक्ष्य: अवैध प्रवासियों की पहचान और न्यायिक निर्णय।
कानूनी पृष्ठभूमि:
कानून और स्वतंत्रता का सिद्धांत:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण की गारंटी देता है।
- स्वतंत्रता को तभी प्रतिबंधित किया जा सकता है जब स्पष्ट कानूनी और न्यायिक ढांचा हो।
गैर–नागरिकों की निरोध प्रक्रिया:
- प्रमुख कानून:
- विदेशी अधिनियम, 1946
- राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980
- निवारक निरोध:
- अनुच्छेद 22 के तहत अनुमेय।
अनिश्चितकालीन हिरासत: उत्पन्न चिंताएँ
- कानूनी चुनौतियाँ
उच्चतम न्यायालय में चुनौती:
- राजूबाला दास बनाम भारत संघ (2020)
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय में अनिश्चितकालीन हिरासत की संवैधानिकता पर विचार करने का अनुरोध किया गया।
- मुख्य प्रश्न: क्या अनिश्चितकालीन हिरासत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है?
वैश्विक मिसाल – ऑस्ट्रेलिया का उच्च न्यायालय:
NZYQ (2023):
- ऑस्ट्रेलिया के उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि बिना निर्वासन की वास्तविक संभावना के गैर-नागरिकों को हिरासत में नहीं रखा जा सकता।
- यह फैसला व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर संवैधानिक सीमाओं पर आधारित है।
- सिद्धांत: जब हटाने की संभावना न हो, तो हिरासत अनिश्चितकाल तक जारी नहीं रह सकती।
- कानूनी सिद्धांतों का उल्लंघन
स्वतंत्रता से वंचित करने का कानूनी आधार: भारतीय कानून के अनुसार, स्वतंत्रता से वंचित करने के तीन वैध आधार हैं:
- न्यायिक शक्ति: अदालत द्वारा दी गई सजा।
- आपराधिक दोषसिद्धि: विधि द्वारा निर्धारित दंड।
- वैध निवारक हिरासत (अनुच्छेद 22): विशेष परिस्थितियों में एहतियाती कदम।
असम में अनिश्चितकालीन हिरासत:
- वास्तविकता:
- हिरासत में रखे गए लोग न तो दोषी हैं, न अभियुक्त, और न ही हटाने योग्य।
- फिर भी, वे अनिश्चितकाल तक हिरासत शिविरों में बंद हैं।
- प्रश्न: क्या यह भारतीय संविधान में निहित व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है?
- अप्रभावी निर्वासन:
- डेटा: 2017 से अब तक असम से केवल 26 विदेशी नागरिकों का निर्वासन।
- कुल 59 लाख से अधिक लोगों को विदेशी घोषित किया गया है।
- मुख्य समस्या:
- अधिकांश व्यक्तियों के पास कोई अन्य देश नहीं है जो उन्हें स्वीकार करे।
- निर्वासन की व्यावहारिक असंभवता।
प्रभाव: अनिश्चितकालीन हिरासत का औचित्य समाप्त हो जाता है।
- न तो न्यायसंगत और न ही व्यावहारिक समाधान।
- वैध हिरासत उद्देश्य का अभाव:
हिरासत का उद्देश्य क्या?
- न तो यह सजा है, न निवारक कदम, और न ही निर्वासन का प्रयास।
- हिरासत का कोई स्पष्ट और वैध उद्देश्य नहीं है।
संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन:
- अनुच्छेद 21:
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा का अधिकार।
- बिना उचित कारण के हिरासत इस मौलिक अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है।