Genocide in Gaza
Genocide in Gaza –
संदर्भ:
गाजा में इज़राइल द्वारा की जा रही सैन्य कार्रवाई को लेकर वैश्विक समुदाय में गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है। लगातार बढ़ती हिंसा, नागरिकों की व्यापक हानि और मानवाधिकार उल्लंघनों के बीच यह मान्यता जोर पकड़ रही है कि इज़राइल की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून में परिभाषित जनसंहार की सीमा तक पहुंच चुकी है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) द्वारा जारी बाध्यकारी अंतरिम आदेशों की अनदेखी और हमलों की निरंतरता ने नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था की प्रामाणिकता और प्रभावशीलता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
जनसंहार (Genocide) क्या है?
परिचय:
- जनसंहार को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत एक अपराध के रूप में पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा 1946 में मान्यता दी गई थी।
- 1948 में, जर्मनी में हुए होलोकॉस्ट जैसी भयावह घटनाओं के बाद, UNGA ने “Genocide Convention” (जनसंहार रोकथाम और सजा कन्वेंशन) को सर्वसम्मति से अपनाया।
जनसंहार की परिभाषा (Genocide Convention, 1948 के अनुसार): “ऐसे कार्य जो किसी राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय या धार्मिक समूह को पूरी तरह या उसके बड़े हिस्से को नष्ट करने के इरादे से किए जाते हैं,” जनसंहार कहलाते हैं।
जनसंहार: अंतरराष्ट्रीय कानून में सर्वोच्च अपराध
- यह अंतरराष्ट्रीय कानून का सबसे गंभीर अपराध माना जाता है।
- इसका निषेध एक ‘जस कोजेंस‘ (jus cogens) या ‘परमाधिक मानदंड‘ है
‘Jus Cogens’ का अर्थ और प्रभाव:
- जनसंहार पर प्रतिबंध पूर्ण और सार्वभौमिक है:
- कोई भी देश इसे अनदेखा, स्थगित या उल्लंघन नहीं कर सकता — न युद्ध में, न आपातकाल में और न आपसी सहमति से।
- यदि कोई कानून या संधि जनसंहार को अनुमति देती है, तो वह स्वतः अमान्य (invalid) मानी जाती है।
Erga Omnes दायित्व (संपूर्ण विश्व समुदाय के प्रति उत्तरदायित्व):
- हर देश पर यह कानूनी दायित्व है कि वह:
- जनसंहार को रोके और दोषियों को सजा दे, भले ही वह संघर्ष में प्रत्यक्ष रूप से शामिल न हो।
- जहां भी जनसंहार हो, वहां हस्तक्षेप करना उसकी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है।
जनसंहार कन्वेंशन (Genocide Convention): एक अंतरराष्ट्रीय संधि
जनसंहार की रोकथाम और सजा संबंधी कन्वेंशन (Convention on the Prevention and Punishment of the Crime of Genocide) द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मानवता की रक्षा हेतु एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संधि के रूप में अस्तित्व में आई।
- यह कन्वेंशन पहली कानूनी संधि है जिसने जनसंहार को परिभाषित किया और उसे अंतरराष्ट्रीय अपराध के रूप में घोषित किया।
मुख्य तथ्य:
- सर्वसम्मति से अंगीकरण: संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1948 में अपनाया गया।
- प्रवेश में आया: वर्ष 1951 में लागू हुआ।
- सदस्य देश: वर्ष 2024 तक 153 देशों ने इसे अंगीकार किया है।
- भारत ने इस कन्वेंशन की 1959 में पुष्टि की।
जनसंहार की परिभाषा: जनसंहार को निम्न पाँच कार्यों के माध्यम से परिभाषित किया गया है, यदि इनका उद्देश्य किसी राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय या धार्मिक समूह को पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट करना हो:
- समूह के सदस्यों की हत्या करना
- गंभीर शारीरिक या मानसिक क्षति पहुँचाना
- ऐसी जीवन स्थितियाँ थोपना, जिससे शारीरिक विनाश हो
- प्रजनन रोकने के उपाय थोपना
- बच्चों को बलपूर्वक किसी अन्य समूह में स्थानांतरित करना
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव:
- इस परिभाषा को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) सहित कई अंतरराष्ट्रीय व हाइब्रिड न्यायाधिकरणों ने अपनाया है।
- कई देशों ने इसे अपने घरेलू कानूनों में भी सम्मिलित किया है।
निष्कर्ष:
जनसंहार कन्वेंशन मानवता के विरुद्ध अत्यंत गंभीर अपराधों के खिलाफ एक वैश्विक कानूनी ढांचा प्रस्तुत करता है। यह केवल सजा का माध्यम नहीं, बल्कि निवारण की जिम्मेदारी भी तय करता है — जिससे मानवाधिकारों की रक्षा की जा सके।