Global Climate Risk Index
संदर्भ
जर्मन थिंक टैंक Germanwatch द्वारा जारी ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (CRI) 2026 रिपोर्ट में भारत की स्थिति में सुधार दर्ज किया गया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत ने जलवायु आपदाओं से निपटने, पूर्व चेतावनी प्रणाली और आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
भारत की वर्तमान रैंकिंग
- दीर्घकालिक सूचकांक (1995–2024) में भारत 9वें स्थान पर है। जबकि वर्ष 2024 के वार्षिक सूचकांक में भारत 15वें स्थान पर रहा।
- पिछले वर्ष भारत क्रमशः 8वें और 10वें स्थान पर था। इस सुधार का अर्थ है कि भारत की जलवायु जोखिम संवेदनशीलता में कमी आई है, यानी भारत अब अधिक जलवायु-सहिष्णु (climate-resilient) बन रहा है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- 1995 से 2024 के बीच भारत में 430 चरम मौसम घटनाओं (extreme weather events) का सामना किया गया।
- इन घटनाओं में 80,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई और लगभग 170 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।
- रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (COP30) के दौरान बेलें (Belem), ब्राजील में जारी किया गया।
- वैश्विक स्तर पर, इस अवधि में 9,700 से अधिक मौसम घटनाओं ने 8.3 लाख से ज्यादा मौतें और 4.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की हानि पहुंचाई।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
- दीर्घकालिक रूप से सबसे अधिक प्रभावित देश डोमिनिका, म्यांमार और होंडुरास रहे।
- वर्ष 2024 के लिए सेंट विंसेंट एंड द ग्रेनेडाइंस, ग्रेनेडा और चाड शीर्ष तीन प्रभावित देश हैं।
- विश्व की लगभग 40% जनसंख्या, यानी 3 अरब से अधिक लोग, उन 11 देशों में रहते हैं जो जलवायु आपदाओं से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं — जिनमें भारत (9वां), चीन (11वां), हैती (5वां) और फिलीपींस (7वां) शामिल हैं।
- यहां तक कि विकसित देश जैसे फ्रांस (12वां), इटली (16वां) और अमेरिका (18वां) भी शीर्ष 30 में शामिल हैं, जो दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन अब वैश्विक संकट बन चुका है।
सरकारी पहल और नीतिगत सुधार
- राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना (National Action Plan on Climate Change – NAPCC, 2008) के तहत आठ मिशन जैसे राष्ट्रीय सौर मिशन, ऊर्जा दक्षता मिशन और सतत कृषि मिशन संचालित हैं।
- आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण (NDMA) ने त्वरित प्रतिक्रिया और राहत प्रणाली को सुदृढ़ किया।
- भारत की पहल Coalition for Disaster Resilient Infrastructure (CDRI), जिसकी स्थापना 2019 में की गई, जलवायु-संवेदनशील बुनियादी ढांचे के निर्माण में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देती है।
- साथ ही, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और IMD की पूर्व चेतावनी प्रणाली ने सामुदायिक स्तर पर जागरूकता और तैयारी को मजबूत किया है।
भारत की जलवायु चुनौतियाँ
- भारत ने पिछले तीन दशकों में कई भीषण आपदाओं का सामना किया है — चक्रवात हुडहुद (2014) और अम्फान (2020), उत्तराखंड बाढ़ (2013), और घातक हीटवेव्स (1998, 2002, 2003, 2015)। इन घटनाओं से लाखों लोगों के जीवन और आजीविका पर गहरा असर पड़ा।
भविष्य की दिशा
- भारत की रैंकिंग में सुधार उसकी बढ़ती जलवायु-सहिष्णुता का संकेत है, लेकिन यह भी स्पष्ट करता है कि जोखिम पूरी तरह समाप्त नहीं हुए हैं।
- आने वाले वर्षों में भारत को हरित बुनियादी ढांचे (green infrastructure), कार्बन कटौती, और नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार पर और ध्यान देना होगा।
- स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण, जल संरक्षण, और जलवायु अनुकूल कृषि भारत की भविष्य की रणनीति के प्रमुख स्तंभ हैं।
- भारत जैसे देशों को लगातार होने वाली जलवायु आपदाओं से निपटने के लिए अधिक वित्तीय निवेश और तकनीकी नवाचार की आवश्यकता है।

