Global Multidimensional Poverty Index 2025

संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (OPHI) ने मिलकर 2025 का वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Global Multidimensional Poverty Index – MPI) जारी किया है।
2025 ग्लोबल मल्टीडायमेंशनल पवर्टी इंडेक्स:
ग्लोबल MPI 100+ विकासशील देशों में गंभीर बहुआयामी गरीबी (acute multidimensional poverty) को मापता है।
यह स्वास्थ्य (health), शिक्षा (education), आवास (housing), स्वच्छता (sanitation) और ऊर्जा की पहुँच (energy access) सहित कई सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDGs) में लोगों की कमी को दर्शाता है।
मुख्य विवरण:
- विकसित करने वाले (Developed by): UNDP और OPHI, University of Oxford
- शुरुआत (Launch): 2010
- उद्देश्य (Purpose): आय पर आधारित माप से आगे जाकर गरीबी को स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर जैसे कई संकेतकों के आधार पर मापना।
- गरीबी की पहचान: यदि कोई व्यक्ति वज़नी संकेतकों में कम से कम एक-तिहाई (one-third) से वंचित है, तो उसे “बहुआयामी गरीब माना जाता है।
- इंडेक्स (Index): MPI 0 से 1 के बीच होता है, और अधिक मान (higher value) अधिक गरीबी को दर्शाता है।
नई विशेषता – 2025 संस्करण:
- पहली बार यह रिपोर्ट गरीब आबादी को चार प्रमुख जलवायु खतरों (climate hazards) के प्रति उनकी संवेदनशीलता के साथ मैप करती है:
- उच्च तापमान (High Heat)
- सूखा (Drought)
- बाढ़ (Floods)
- वायु प्रदूषण (Air Pollution)
ग्लोबल MPI रिपोर्ट 2025 के मुख्य निष्कर्ष:
- वैश्विक गरीबी आँकड़े (Global Poverty Statistics)
- 109 देशों में 6.3 अरब लोगों में से 1.1 अरब (18.3%) लोग गंभीर बहुआयामी गरीबी में रहते हैं।
- अधिकांश लोग युवा, ग्रामीण (rural) और कम मानव विकास वाले देश में रहते हैं।
- भारत में बहुआयामी गरीबी (Multi-dimensional Poverty in India)
- भारत में गरीबी 55.1% (2005–2006) से घटकर 16.4% (2019–2021) हो गई।
- भारत के कई क्षेत्र गंभीर गरीबी, उच्च तापमान (high heat), बाढ़ (flooding), और वायु प्रदूषण (air pollution) जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
- गरीबी और जलवायु का संबंध:
- जलवायु संकट अधिक बारंबार और तीव्र (frequent and intense) हो रहे हैं।
- 2022 में 32 मिलियन लोग (32 million) विस्थापित हुए।
- यदि मजबूत जलवायु नियंत्रण नहीं किया गया, तो सर्वाधिक गरीबी (extreme poverty) 2050 तक लगभग दोगुनी (double) हो सकती है।
- उच्च जोखिम वाले क्षेत्र:
- 309 मिलियन गरीब लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहाँ तीन या चार जलवायु खतरे और गंभीर गरीबी का मेल है।
- इन्हें कम संपत्ति और सीमित सामाजिक सुरक्षा का सामना करना पड़ता है।
- आय स्तर के अनुसार MPI: दुनिया के गरीबों में से लगभगदो-तिहाई (64.5%) मध्य-आय वाले देशों में रहते हैं।
- निम्न–मध्य आय वाले देश (Lower-middle-income):5%
- उच्च–मध्य आय वाले देश (Upper-middle-income):9%
- सामान्य अभाव: प्रमुख अभाव में शामिल हैं:
- स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन की कमी: 970 मिलियन
- पर्याप्त आवास की कमी: 878 मिलियन
- स्वच्छता की कमी: 830 मिलियन
- कुपोषण: 635 मिलियन
- स्कूल न जाने वाले बच्चे: 487 मिलियन
- MPI में असमान प्रगति:
- 88 देशों में से 76 देशों ने MPI में कमोबेश सुधार देखा है।
- Benin ने सबसे तेज संपूर्ण कमी दर्ज की (2017–2018 से 2021–2022)।
- इसके बाद Cambodia (2014–2021–2022) और Tanzania (2015–2016 से 2022) का स्थान है।
