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वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण संधि वार्ता गतिरोध पर (Global plastic pollution treaty negotiations at impasse) | UPSC Preparation

Global plastic pollution treaty negotiations at impasse

Global plastic pollution treaty negotiations at impasse

Global plastic pollution treaty negotiations at impasse – 

संदर्भ:

वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए प्रस्तावित ऐतिहासिक संधि पर सहमति बनाने की कोशिशें असफल रहीं। संयुक्त राष्ट्र के जिनेवा कार्यालय में 185 देशों के प्रतिनिधि 11 दिनों तक लगातार वार्ता में जुटे रहे, लेकिन अंततः कोई सर्वसम्मति नहीं बन सकी।

पृष्ठभूमि:

  • स्थान: जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र केंद्र
  • उद्देश्य: महासागरों समेत विभिन्न स्थानों पर प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए पहलीकानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक संधि बनाना।
  • स्थिति: अंतिम दौर की वार्ता भी बिना किसी समझौते के समाप्त।
  • पिछला संदर्भ: पिछले वर्ष दक्षिण कोरिया में हुई बैठक भी असफल रही थी।

प्लास्टिक प्रदूषण पर वैश्विक संधि के प्रयास विफलत के कारण:

मुख्य विवाद के मुद्दे

  1. नए प्लास्टिक उत्पादन पर सीमा
    • पक्ष में: कई देश व पर्यावरण संगठन — कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रावधान की मांग।
    • विरोध में: तेल उत्पादक देश और अमेरिका (ट्रंप प्रशासन के तहत) — इसे घटते ईंधन मांग की भरपाई के लिए महत्वपूर्ण बाजार मानते हैं।
  2. संधि का फोकस: तेल उत्पादक देशों का मत: उत्पादन सीमित करने के बजायकचरा प्रबंधन और पुनर्चक्रण पर ध्यान।
  3. नवीनतम मसौदे पर आलोचना
    • कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रावधानों की कमी।
    • प्लास्टिक उत्पादन सीमा से संबंधित अनुच्छेद हटाए गए।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

  • फ्रांस— पारिस्थितिकी मंत्री एग्नेस पनियर-रूनाशे: परिणामों की कमी को “क्रोध पैदा करने वाला” बताया।
  • यूरोपीय संघ— डेनमार्क के पर्यावरण मंत्री मैग्नस होनिके: कुछ देशों पर समझौता रोकने का आरोप।
  • पनामा प्रतिनिधि जुआन कार्लोस मोंटेरे गोमेज़: मसौदा “समर्पण” जैसा।
  • माइक्रोनेशिया— वार्ताकार डेनिस क्लेयर: “एक कदम पीछे”।
  • वार्ता अध्यक्ष लुइस वायस वाल्डिविएसो: भविष्य के समझौते के लिए लंबित मुद्दों के महत्व पर जोर।

ग्लोबल प्लास्टिक संधि की आवश्यकता

प्लास्टिक उत्पादन में तेज़ वृद्धि:

  • 2000 → 234 मिलियन टन
  • 2019 → 460 मिलियन टन
  • 2040 (अनुमान) → 700 मिलियन टन

पुनर्चक्रण की स्थिति: केवल 10% प्लास्टिक कचरा पुनर्चक्रित, शेष पर्यावरण, स्वास्थ्य और जलवायु को नुकसान पहुँचा रहा

संधि का उद्देश्य:

  • प्लास्टिक उत्पादन में कमी
  • हानिकारक रसायनों का उन्मूलन
  • टिकाऊ कचरा प्रबंधन के लिए बाध्यकारी लक्ष्य तय करना

मुख्य कारण:

पर्यावरणीय प्रभाव

  • लाखों टन प्लास्टिक कचरा हर साल महासागरों में पहुँचकरसमुद्री और स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान।
  • वन्यजीवों को चोट और आवासों का विनाश।
  • विघटन में 20–500 वर्ष का समय।
  • 2023 तक केवल10% कचरे का पुनर्चक्रण

मानव स्वास्थ्य

  • सूक्ष्म प्लास्टिक पीने के पानी, भोजन और हवा में पाए गए।
  • हानिकारक रसायनों के वाहक, जो गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं।

आर्थिक लागत

  • पर्यटन, मत्स्य उद्योग और सफाई कार्यों पर भारी आर्थिक बोझ।
  • हर साल अरबों डॉलर का नुकसान।

सतत विकास: टिकाऊ उत्पादन व उपभोग, कचरे में कमी और सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देना आवश्यक।

  • सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति के लिए जरूरी।

वैश्विक सहयोग: प्लास्टिक प्रदूषण सीमाहीन समस्या, जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित कार्रवाई ज़रूरी।

  • साझा ढांचा, सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान और समाधान लागू करने का अवसर।

जलवायु परिवर्तन से जुड़ाव: 2020 में प्लास्टिक का योगदान वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 3.6%

  • 2050 तक इसमें20% वृद्धि की संभावना

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