Govt. Notifies Amendments to IT Rules

संदर्भ:
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत प्रदान किए गए अधिकारों का उपयोग करते हुए, सूचना प्रौद्योगिकी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन्स और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियम, 2021 में संशोधनों का प्रस्ताव रखा है।
मुख्य प्रावधान – संशोधित नियम (Key Provisions of the Amendments):
- अनिवार्य लेबलिंग: सामग्री बनाने वालों और प्लेटफॉर्म्स (विशेषकर Significant Social Media Intermediaries – SSMIs) को AI-जनित या संशोधित सामग्री स्पष्ट रूप से लेबल करने की आवश्यकता।
- सिंथेटिक सामग्री की परिभाषा: कोई भी छवि, वीडियो या ऑडियो जिसे कंप्यूटर संसाधनों द्वारा इस तरह बनाया या बदला गया हो कि यह वास्तविक या सटीक प्रतीत हो, उसे “सिंथेटिक सामग्री” कहा जाएगा।
- दृश्य और श्रवण मानक (Visibility Standards):
- Visual Content: लेबल स्क्रीन के कम से कम 10% क्षेत्र पर दिखाई दे।
- Audio Content: लेबल ऑडियो की कम से कम पहली 10% अवधि में सुनाई दे।
- उपयोगकर्ता घोषणा और प्लेटफॉर्म सत्यापन:
- उपयोगकर्ता को बताना होगा कि सामग्री AI-जनित है।
- प्लेटफॉर्म को उचित तकनीकी उपाय (जैसे ऑटोमेटेड टूल्स) से इसकी जांच और लेबलिंग करनी होगी यदि उपयोगकर्ता ने घोषणा नहीं की।
- ट्रेसबिलिटी और अपरिवर्तनीय मेटाडेटा: AI-जनित सामग्री में स्थायी और अद्वितीय मेटाडेटा/पहचानकर्ता एम्बेड करना अनिवार्य, जिसे बदला या हटाया नहीं जा सकता।
- जवाबदेही और “सेफ हार्बर”: नियमों का पालन न करने पर प्लेटफॉर्म को IT Act, 2000 की Section 79 की सेफ हार्बर सुरक्षा खो सकती है, जिससे उपयोगकर्ता-जनित सामग्री के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
- सामग्री हटाने की प्रक्रियाएँ (Content Takedown Procedures):
- सरकारी आदेश केवल Joint Secretary स्तर या DIG स्तर अधिकारी द्वारा लिखित कानूनी औचित्य के साथ जारी किया जा सकता है।
सभी टakedown आदेश मासिक समीक्षा के अधीन होंगे, जिसकी जिम्मेदारी सचिव-स्तरीय अधिकारी संशोधनों का महत्व:
- भारत के डिजिटल गवर्नेंस ढांचे और ऑनलाइन सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
- सरकार के एआई दुरुपयोग, डीपफेक और फेक न्यूज़ से निपटने के लक्ष्य के अनुरूप है।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया में विश्वास, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है।
चिंताएँ:
- सरकारी हस्तक्षेप और सेंसरशिप के बढ़ने की आशंका।
- “फेक” या “भ्रामक” सामग्री की परिभाषा को लेकर स्पष्टता की कमी।
- छोटे डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए तकनीकी आवश्यकताओं का पालन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
सरकार का उद्देश्य:
- इन संशोधनों का मुख्य लक्ष्य पारदर्शिता बढ़ाना, भ्रामक जानकारी और डीपफेक से मुकाबला करना, तथा भारत में एक सुरक्षित डिजिटल इकोसिस्टम को विकसित करना है।
- जनता और उद्योग जगत से सुझाव आमंत्रित किए गए थे, जिनकी अंतिम तिथि 6 नवम्बर 2025 निर्धारित की गई थी।
आगे की राह:
- स्वतंत्र निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए ताकि सामग्री मॉडरेशन में निष्पक्षता बनी रहे।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उपयोगकर्ता सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखा जाए।
- डिजिटल साक्षरता, जागरूकता और नैतिक एआई उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए ताकि नियामक उपायों को समर्थन मिल सके।
